नई दिल्ली: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के तहत इंजीनियरिंग कॉलेज शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से जल्द ही उभरते हुए क्षेत्रों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग और अन्य में पाठ्यक्रम पेश कर सकते हैं.
कॉउंसिल ने उन संस्थानों से नए पाठ्यक्रमों की सूची मांगी है जो पहले से ही उन्हें 2020-21 से दे रहे थे और उन्हें अगले वर्ष से एआईसीटीई की स्वीकृति हैंडबुक में जोड़ देंगे. एक बार पाठ्यक्रम जुड़ जाने के बाद नया पाठ्यक्रम आधिकारिक हो जाएगा, जिससे छात्रों को पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए अधिक कॉलेज सक्षम होंगे. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करना है.
29 अक्टूबर को एक सर्कुलर में घोषणा करते हुए एआईसीटीई ने कहा, ‘यह देखा गया है कि अप्रूवल प्रक्रिया 2020-21 के दौरान कई संस्थानों ने परिषद द्वारा अनुमोदित विषयों में नए पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए इस अवसर का उपयोग किया है. हम सभी समझते हैं कि उभरते क्षेत्रों या इंटरडिसिप्लिनरी पाठ्यक्रमों में अधिक संख्या में नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत से छात्र को रोजगार या उद्यमिता के अपने लक्ष्य में मदद मिलेगी और यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी कहा गया है.
सर्कुलर में आगे लिखा है, ‘इसलिए आपको इसके माध्यम से पहले से अनुमोदित नए पाठ्यक्रमों की सूची प्रस्तुत करने का अनुरोध किया जाता है, यदि कोई हो, तो आपके शासी निकाय / शैक्षणिक परिषद / बोर्ड ऑफ स्टडीज के साथ दें.’
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पाठ्यक्रम में सुधार के लिए प्रयास
वर्ष 2020-21 के लिए कॉउंसिल ने आदेश दिया था कि एक नए कार्यक्रम के लिए आवेदन करने वाले सभी संस्थानों या इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी सीटों में वृद्धि ‘केवल उभरते क्षेत्रों में’ की अनुमति दी जाएगी.
एआईसीटीई के अनुसार, कई संस्थानों ने नए पाठ्यक्रमों को शुरू करके अवसर का उपयोग किया है और कॉउंसिल अब इस अवसर को अन्य संस्थानों में भी विस्तारित करना चाहती है. संस्थानों को 15 नवंबर तक नए कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.
इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में कम मांग से प्रेरित एआईसीटीई देश में इंजीनियरिंग शिक्षा को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है. काउंसिल द्वारा उठाए गए कदमों में उभरते क्षेत्रों में पाठ्यक्रम शुरू करना, पाठ्यक्रमों और कॉलेजों में सीटों की संख्या को कम करना और नए कॉलेजों के उद्घाटन पर प्रतिबंध लगाना है.
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