scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिउपचुनाव में कुलदीप सेंगर का परिवार BJP प्रत्याशी के लिए कर रहा प्रचार, इस सीट पर महिला सुरक्षा मुद्दा नहीं

उपचुनाव में कुलदीप सेंगर का परिवार BJP प्रत्याशी के लिए कर रहा प्रचार, इस सीट पर महिला सुरक्षा मुद्दा नहीं

विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस सेंगर पर चुप दिख रहे हैं. उनके पोस्टरों व स्लोगन में हाथरस कांड का तो जिक्र है लेकिन वे उन्नाव कांड का नहीं.

Text Size:

उन्नाव: यूपी में आगामी 3 नवंबर को यूं तो सात सीटों पर उपचुनाव हैं लेकिन इनमें उन्नाव की बांगरमऊ सीट सबसे चर्चित है क्योंकि ये सीट रेप व मर्डर के मामले में बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के दोषी साबित होने के बाद खाली हुई है. यहां सेंगर का परिवार बीजेपी का समर्थन कर रहा है. कुलदीप सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर लगातार बीजेपी प्रत्याशी श्रीकांत कटियार के समर्थन में होने वाली जनसभाओं में दिख रही हैं तो वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से भी वे बीजेपी प्रत्याशी के लिए वोट की अपील कर रही हैं.

वहीं महिला सुरक्षा का मुद्दा इस सीट से गायब है. विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस सेंगर पर चुप दिख रहे हैं. वे योगी सरकार की नाकामी और बेरोजगारी के मुद्दे पर चुनाव लड़ते दिख रहे हैं. उनके पोस्टरों व स्लोगन में हाथरस कांड का तो जिक्र होता दिखता है लेकिन वे उन्नाव कांड का कहीं जिक्र करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं.


यह भी पढ़ें: राज्यसभा चुनाव से पहले मायावती को बड़ा झटका, BJP से अंदरखाने सांठ-गांठ की सुगबुगाहट के बीच बागी हुए 7 विधायक


गायब है महिला सुरक्षा का मुद्दा

जिस उन्नाव कांड की चर्चा कुछ महीने पहले तक देशभर में थी वो यहां उपचुनाव में गायब है. यहां की जनता भी इसे बड़ा मुद्दा नहीं मानती है. बांगरमऊ के ताजपुर में रहने वाले राजेश सिंह कहते हैं कि वे विकास के मुद्दे पर वोट देंगे. महिला सुरक्षा कोई नया मुद्दा नहीं है. पहले भी महिलाओं से जुड़े अपराध सामने आते रहे हैं लेकिन तब मीडिया व सोशल मीडिया का दौर नहीं था इसलिए हाइलाइट नहीं होते थे. अब फिर भी अपराध थोड़ा कम हुआ है. पुलिस पहले से ज्यादा एक्टिव हुई है.

नेवल इलाके की लक्ष्मी कुमारी कहती हैं उन्नाव को रेप के नाम पर बदनाम भी ज्यादा किया जा रहा है. डर तो हर जिले हर गांव में है लेकिन पिछले 2-3 साल में मीडिया ने उन्नाव के मामलों को ज्यादा हाइलाइट किया है.

कुलदीप सेंगर को भले ही कोर्ट ने दोषी मान लिया हो लेकिन दबी जुबान में यहां के तमाम लोगों की उनके प्रति आज भी सहानुभूति रखते हैं. नाम न छापने की शर्त पर यहां के जगटापुर इलाके के एक युवक कहना है कि सेंगर की उन्नाव में मजबूत पकड़ी थी. अगर बीजेपी उनकी पत्नी को टिकट देती तो उनकी सीट आराम से निकल सकती थी अब इतना आसान नहीं दिखता. इस युवक के मुताबिक, ‘सेंगर का मामला विपक्षी दल के नेता यहां इसलिए उठाने से बच रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि आम जनता का विधायक जी के प्रति आज भी सॉफ्ट कॉर्नर हैं.’

कुलदीप सेंगर के परिवार से जुड़े एक सदस्य का कहना है कि परिवार का समर्थन बीजेपी कैंडिडेट को है. उनके समर्थन में संगीता सेंगर वोट देने की अपील भी कर रही हैं. वह जिला पंचायत अध्यक्ष व बीजेपी नेता होने के नाते बीजेपी के प्रत्याशी के लिए वोट मांग रही हैं. परिवार के अन्य सदस्य भी बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे हैं. हालांकि परिवार से जुड़े सूत्रों का ये भी कहना है कि सेंगर परिवार ने इस बार टिकट के लिए काफी कोशिश की लेकिन हाथरस कांड के कारण बीजेपी ने टिकट नहीं दिया. अगर टिकट दिया जाता तो विपक्ष भाजपा पर निशाना साधने लगता है.

बता दें कि कुलदीप सिंह सेंगर और उनेके साथियों ने 2017 में उन्नाव के माखी गांव में नाबालिग लड़की को अगवा कर सामूहिक दुष्कर्म किया था जिसके बाद पीड़िता के पिता की भी हत्या कर दी गई थी. दोनों ही मामलों में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को दोषी पाया जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई.

सेंगर का मामला उठाने से बच रहे सभी दल

उन्नाव कांड को जोर-शोर से उठाने वाली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने यहां एक भी जनसभा नहीं की है. वहीं पार्टी भी यहां सेंगर कांड को मुद्दा बनाती नहीं दिख रही है. कांग्रेस की प्रत्याशी आरती वाजपेयी के मुताबिक, हाथरस कांड का मुद्दा अभी नया है इसलिए उस पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. वे इस मुद्दे को उठा रही हैं. कुलदीप सिंह सेंगर के मुद्दे को वे क्यों नहीं उठा रहीं इस पर उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया. आरती का कहना था कि जनता योगी सरकार से त्रस्त आ गई है. वे बेरोजगारी के मुद्दे पर इस बार वोट करेंगी इसलिए बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा ज्यादा जोर-शोर से उठाया जा रहा है.

वहीं समाजवादी पार्टी व बसपा की जनसभाओं में भी सेंगर के मुद्दे को नेता नहीं उठा रहे हैं. सपा प्रत्याशी सुरेशा पाल के समर्थन में लगातार जनसभाएं कर रहे समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील सिंह साजन का कहना है कि यूपी में बदलाव की शुरुआत उन्नाव से होगी. युवा परेशान हैं, व्यापारी परेशान हैं, माताएं-बहनें परेशान हैं. यूपी की जनता बीजेपी से गद्दी छीनकर अखिलेश यादव को देना चाहती है.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी 27 अक्टूबर को हुई अपनी जनसभा के दौरान कानून व्यवस्था से जुड़ी बातें गिनाईं लेकिन उन्नाव कांड का जिक्र नहीं किया. योगी ने कहा कि प्रदेश में पिछले 3 साल में एक भी दंगा नहीं हुआ. अराजकता फैलाने वाले जेल जाएंगे. योगी के मुताबिक प्रदेश में माफिया राज नहीं चलेगा. माफिया की अवैध संपत्ति पर बुल्डोजर चलाया जा रहा. पहले प्रदेश में दंगे होते थे, लेकिन अब दंगाइयों को मालूम है, दंगा करेंगे तो जेल जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार दिया.

थ्री-कॉर्नर फाइट की तरह है ये सीट

कांग्रेस ने यहां अपनी पूर्व प्रत्याशी आरती बाजपेई पर तीसरी बार भरोसा जताया है. आरती बाजपेई यूपी में गृहमंत्री रह चुके गोपीनाथ दीक्षित की पुत्री हैं. वह पिछले कई हफ्तों से यहां डोर टू डोर कैम्पेन कर रही हैं. वहीं बीजेपी ने पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत कटियार को अपना प्रत्याशी बनाया है. सपा ने स्थानीय सुरेश पाल तो बसपा से महेश पाल को चुनाव में उतारा है. पूर्व विधायक बदलू खान का टिकट कटने से मुस्लिम वोटर्स का रुझान यहां कांग्रेस की ओर दिख रहा है. ऐसे में इस सीट पर बीजेपी, कांग्रेस व सपा के बीच ‘थ्री कॉर्नर फाइट’ दिख रही है.

लगभग साढ़े 3.40 लाख मतदाताओं वाली बांगरमऊ विधानसभा सीट को मुस्लिम बाहुल्य माना जाता रहा है. यहां लगभग 68,000 मुस्लिम वोटर्स हैं. यहां पर आमतौर सपा और बसपा में ही आमने-सामने की टक्कर होती रही है लेकिन सेंगर ने 2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर लड़कर पार्टी को जीत दिलाई थी. इससे पहले 2012 में ये सीट समाजवादी पार्टी के नेता बदलू खान ने जीती थी. आबादी के हिसाब से बांगरमऊ विधानसभा में मतदाताओं की संख्या लगभग 33,8903 है, जिसमें पुरुष मतदाता 1,86000 व महिला मतदाता 1,53800 हैं. थर्ड जेंडर के रूप में 30 मतदाताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज दर्ज कराई है. 3 नवबंर को इस सीट पर मतदान है जिसके परिणाम 9 नवंबर को आएंगे.


यह भी पढ़ें: UP उपचुनाव में सातों सीट पर प्रचार में जुटे CM योगी, अखिलेश वर्चुअली संभाल रहे मोर्चा, प्रियंका और मायावती नदारद


 

share & View comments