नई दिल्ली: खाद्य वस्तुओं विशेषकर सब्जियों की कीमतों में तेजी के चलते थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) सितंबर 2020 में बढ़कर 1.32 प्रतिशत हो गयी. यह डब्ल्यूपीआई का सात महीने का उच्चतम स्तर है और मुद्रास्फीति के दबाव में रिजर्व बैंक के लिए नीतिगत ब्याजदर में नरमी करने की संभावना और धूमिल लगती है.
थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 0.16 प्रतिशत थी.
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, ‘मासिक डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर सितंबर में 1.32 प्रतिशत (अनंतिम) रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 0.33 प्रतिशत थी.’
थोक मुद्रास्फीति में भी खुदरा मुद्रास्फीति के साथ-साथ ही बढ़ रही है. खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर महीने में बढ़कर आठ महीने के उच्चतम स्तर 7.34 प्रतिशत पर पहुंच गयी है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, रिजर्व बैंक नीतिगत दर तय करते समय भले ही खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है, लेकिन थोक मुद्रास्फीति पर आज के आंकड़े से इस बात की संभावना और प्रबल दिखती है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दर पर अभी और अधिक समय तक यथास्थिति बरकरार रखेगा.
अगस्त से पहले डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार चार महीनों शूरू से नीचे (अप्रैल में नकारात्मक 1.57 प्रतिशत, मई में नकारात्मक 3.37 प्रतिशत, जून में नकारात्मक 1.81 प्रतिशत और जुलाई में नकारात्मक 0.58 प्रतिशत) थी.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई 8.17 प्रतिशत रही, जबकि अगस्त में यह 3.84 प्रतिशत थी.
समीक्षाधीन अवधि में अनाज की कीमतों में गिरावट आयी, जबकि दालें महंगी हुईं.
इस दौरान सब्जियों के महंगा होने की दर 36.54 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी. आलू की कीमत एक साल पहले के मुकाबले 107.63 प्रतिशत अधिक थी, हालांकि प्याज की कीमतों में 31.64 प्रतिशत गिरावट देखने को मिली. फलों के दाम भी 3.89 प्रतिशत कम हुए.
इन महीने के दौरान अनाज की कीमतों में 3.91 प्रतिशत की गिरावट आयी. दालों के दाम में 12.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि इस दौरान विनिर्मित उत्पाद श्रेणी में महंगाई दर बढ़कर 1.61 फीसदी हो गयी. अन्य श्रेणियों में ‘ईंधन और बिजली’ की कीमतों में 9.54 प्रतिशत गिरावट देखी गयी. इस श्रेणी में इस वित्त वर्ष की शुरुआत से लगातार कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. इसी तरह गैर-खाद्य श्रेणी में 0.08 प्रतिशत की अपस्फीति देखी गयी.
बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री एवं अनुसंधान प्रमुख सिद्धार्थ सान्याल ने कहा खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के बीच छह प्रतिशत से अधिक का अंतर यह बताता है कि खुदरा दाम आपूर्ति श्रृंखला के अवरोधों के कारण बढ़ रहे हैं, न कि मांग के कारण.
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति कम आधार प्रभाव के कारण आगे और बढ़ सकती है. इसके नवंबर तक बढ़ने की उम्मीद है.