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Friday, 27 September, 2024
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तबलीग़ी आयोजन के 7 महीने के बाद भी, यूपी सरकार का ये अस्पताल मरीज़ों से पूछता है कि क्या वो कार्यक्रम में शरीक हुए थे

ये सवाल एक कोविड-19 स्क्रीनिंग फार्म का हिस्सा है, जो लखनऊ के राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के मरीज़ों को, दाख़िले से पहले भरना होता है.

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नई दिल्ली: लखनऊ का एक शीर्ष सरकारी अस्पताल मरीज़ों से पूछ रहा है, कि क्या वो मार्च में दिल्ली में हुए तबलीग़ी जमात के जलसे में शरीक हुए थे, जिसे तक़रीबन सात महीने पहले, एक सुपर-स्प्रैडिंग घटना क़रार दिया गया था.

ये सवाल एक कोविड-19 स्क्रीनिंग फार्म का हिस्सा है, जो लखनऊ के राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) के मरीज़ों को, दाख़िले से पहले भरना होता है. दिप्रिंट ने ये फॉर्म एक 70 वर्षीय महिला, आमना बेगम के बेटे के ज़रिए हासिल किया, जो इस महीने के शुरू में अस्पताल में भर्ती होना चाहती थी.

टिप्पणी के लिए कहे जाने पर सरकारी अस्पताल ने कहा, कि फॉर्म के सवाल तय करने में उनका कोई हाथ नहीं था, लेकिन ये भी कहा कि उन्होंने अब उसे हटा दिया है.

दिप्रिंट ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद से टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कहा कि ये मामला स्वास्थ्य विभाग के दायरे में नहीं आता. यूपी के चिकित्सा स्वास्थ्य और शिक्षा महानिदेशक डॉ डीएस नेगी को कॉल्स और मैसेज करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला. अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा स्वास्थ्य) डॉ रजनीश दूबे की ओर से भी, कॉल्स और मैसेज करने का कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ.


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एक सुपर स्प्रैडिंग आयोजन

तबलीग़ी जमात एक सुन्नी मिशनरी संस्था है, जो दिल्ली में स्थित है, लेकिन जिसके सदस्य दुनिया भर में फैले हैं.

निज़ामुद्दीन इलाक़े में स्थित इस संस्था का मुख्यालय, मार्च में तब सुर्ख़ियों में आया, जब उसने कोविड-19 महामारी के दौरान, धार्मिक जमावड़ों पर दिल्ली सरकार की पाबंदी के बावजूद, कथित रूप से एक जलसे का आयोजन किया.

उस जलसे के लिए तबलीग़ी जमात के मुख्यालय, निज़ामुद्दीन मरकज़ पर कथित रूप से, 2,000 से ज़्यादा मेम्बर्स जमा हुए जिनमें विदेशी भी शामिल थे.

उसके बाद इसके सदस्यों का संबंध, देश भर में फैले कोविड मामलों से जोड़ दिया गया. अप्रैल के उत्तरार्ध में केंद्र सरकार ने कहा, कि भारत के 30 प्रतिशत कोविड-19 मामलों का संबंध तबलीग़ी जमात के जमावड़े से है.

मीडिया समेत कुछ तबक़ों पर बाद में, इस आयोजन के बारे में हो रही चर्चाओं को, सांप्रदायिक रंग देने के आरोप लगे. अगस्त में बॉम्बे हाईकोर्ट ने, तबलीग़ी जमात के जलसे में शरीक होने वाले विदेशियों के ख़िलाफ, ‘बड़ा प्रचार’ करने को लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को आड़े हाथों लिया. कोर्ट ने 29 विदेशियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियां भी ये कहते हुए ख़ारिज कर दीं, कि ऐसा कोई सबूत नहीं था, कि उन्होंने वीज़ा नियमों का उल्लंघन किया, और इस्लाम का प्रचार किया, या वो देश में कोविड-19 फैलाने के लिए ज़िम्मेदार थे.

कोर्ट ने ये भी कहा कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया.

मार्च में, तबलीग़ी जमात ने इन आरोपों से इनकार किया, कि उसने कोई ग़ैर-ज़िम्मेदाराना काम किया था, और कहा कि उस समय घोषित लॉकडाउन की वजह से, सदस्यों को बाहर निकालने की उसकी कोशिशों में बाधाएं आईं थीं.


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ये सवाल अभी भी क्यों पूछे जा रहे हैं?

आरएमएलआईएमएस को कोविड-19 स्क्रीनिंग फॉर्म में आठ सवाल हैं, जिनमें चौथे में हिंदी में लिखा है: ‘क्या आपने या आपके परिवार से किसी ने, तबलीग़ी जमात के जलसे में शिरकत की है, या किसी ऐसे शख़्स के संपर्क में रहा है, जो शरीक हुआ हो?’

The hospital's Covid-19 screening form

आमना बेगम को 8 अक्तूबर को अस्पताल ले जाया गया, जब उन्होंने अपने पेट में तेज़ दर्द की शिकायत की.

उनके बेटे शाकिर अली के मुताबिक़, कोविड स्क्रीनिंग नियमों के तहत, आरएमएलआईएमएस के एक स्टाफर ने, शुरू में भी उनसे यही सवाल किया था.

अली ने बताया, ‘मैं रात 10.30 बजे के बाद, अपनी मां को अस्पताल ले गया था. उन्हें बहुत तेज़ दर्द उठ रहा था, पहले तो वो प्रोटोकोल पर चल रहे थे, लेकिन जल्द ही जलसे के बारे में पूछने लगे. मेरी मां बूढ़ी हैं और वो बेहद तकलीफ में थीं. लोग इलाज के लिए अस्पताल कैसे जाएंगे, अगर वो किसी एक मज़हब को इस तरह दाग़दार करेंगे? क्या वायरस देखता है कि कौन मुसलमान है, कौन हिंदू है, कौन ईसाई है?’

मुझे अस्पताल का बर्ताव और रवैया पसंद नहीं आया, इसलिए मैं उन्हें इलाज के लिए एक दूसरे अस्पताल ले गया. हम उनकी सर्जरी वहीं कराएंगे. तबलीग़ी जमात के जलसे को महीनों बीत चुके हैं. हमसे यही सवाल अभी भी क्यों पूछे जा रहे हैं?’

आरएमएलआईएमएस के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह ने दिप्रिंट को बताया, कि कोविड-19 स्क्रीनिंग फॉर्म में कोई सवाल शामिल करना, ‘अस्पताल की च्वॉयस’ नहीं है, और इन सवालों के मामले में अस्पताल प्रशासन, अपने ‘विवेक’ का इस्तेमाल नहीं करता.

सिंह ने कहा, ‘हमने केवल राज्य व केंद्र सरकार, और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से जारी गाइडलाइन्स, और निर्देशों का पालन किया है. अस्पताल ने विशेष रूप से किसी के ख़िलाफ, निजी तौर पर कुछ नहीं किया है’.

लेकिन आईसीएमआर की ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं है, जिसमें मरीज़ों से तबलीग़ी जमात के जलसे के बारे में पूछने के लिए कहा गया हो.

सिंह ने कहा कि अस्पताल ने मामले का संज्ञान लिया है, और अब उस सवाल को ‘हटा’ दिया गया है. लेकिन उन्होंने इसका जवाब देने से मना कर दिया, कि सवाल कब हटाया गया, और क्या वो अभी भी पुराने कोविड स्क्रीनिंग फॉर्म्स की, बची हुई कॉपियां इस्तेमाल कर रहे हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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