नई दिल्ली: दिल्ली में कोविड-19 से हुई मौत, एक विवादास्पद मुद्दा रहा हैं, चूंकि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और बीजेपी-शासित निगम निकायों और राष्ट्रीय राजधानी में बने कब्रिस्तान व श्मशान स्थलों के बीच सही संख्या पर आमराय नहीं रही है.
ये महामारी की शुरूआत से ही देखा जा रहा है.
दिप्रिंट द्वारा हासिल किए गए डेटा के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने मौत के जो आंकड़े पेश किए हैं वो उत्तरी, दक्षिणी व पूर्वी नगर निगमों के कुल आंकड़ों से 895 कम है.
तीनों निगम निकायों के हिसाब से 5 अक्टूबर तक दिल्ली में कुल मौतों की संख्या 6,437 है. उसी दिन जारी दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन में ये संख्या 5,542 दी गई है.
डेटा से पता चलता है कि 5 अक्टूबर तक,उत्तरी एमसीडी में कुल 2,244 मौतें दर्ज हुईं जबकि दक्षिणी एमसीडी में 3,518 और पूर्वी दिल्ली एमसीडी में कुल 675 मौतें दर्ज की गईं. (बॉक्स देखें)
लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है कि दिल्ली में कोविड मौतों की संख्या में विसंगतियां देखी गईं हैं.
दिप्रिंट ने खबर दी थी कि मई में राष्ट्रीय राजधानी में मौतों का आंकड़ा, सरकारी आंकड़े का चार गुना था. उसके बाद जून में दिप्रिंट ने खबर दी कि दिल्ली के पांच श्मशान घरों में जो अंतिम संस्कार किए गए, उनकी संख्या मौत के सरकारी आंकड़ों की दोगुनी थी. जुलाई में दिप्रिंट ने खबर दी कि केजरीवाल सरकार ने मौतों की संख्या 584 बताई थी जो निगम निकायों की तुलना में 19 कम थी.
एनडीएमसी की स्थायी समिति के अध्यक्ष जय प्रकाश ने कहा, ‘अब इससे मुझे भी आश्चर्य होना बंद हो गया है कि सरकार की ओर से दी गई संख्या और कोविड-19 से हुई मौतों की वास्तविक संख्या में विसंगति है, चूंकि ऐसा शुरू से ही चला आ रहा है’.
बीजेपी नेता ने आगे कहा, ‘लोगों को सच्चाई से अवगत कराना ज़रूरी है ताकि कोई इस बीमारी की गंभीरता को हल्के में न ले’.
दिप्रिंट ने टेक्स्ट, कॉल्स और ईमेल के ज़रिए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक उनका जवाब नहीं मिला था.
लेकिन दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ये अंतर इस वजह से है कि बड़ी संख्या में मरीज़, दूसरे राज्यों से इलाज के लिए आते हैं और दिल्ली के अस्पतालों में उनकी मौत हो जाती है.
नाम न बताने की शर्त पर उस अधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली सरकार के बुलेटिंस में सिर्फ दिल्लीवासियों की मौतें दर्ज होती हैं. दिल्ली के अस्पताल दूसरे राज्यों के मरीज़ों से भरे हुए हैं, जो गंभीर हालत में लाए जाते हैं’.
उन्होंने आगे कहा, ‘जब ये लोग कोविड से मरते हैं, तो ज़ाहिर है हम उनके शव उनके राज्यों में वापस नहीं भेजते, बल्कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही करा देते हैं. इसी वजह से निगम निकायों और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन के डेटा में अंतर है. हम कुछ छिपा नहीं रहे हैं’.
एक सीनियर मेडिकल ऑफिसर, जो दिल्ली में कोविड-19 मौतों का हिसाब रखने की प्रक्रिया में शामिल हैं, ने कहा, ‘आंकड़ों के बीच अंतर ज़रूर है लेकिन हमें ये भी समझना चाहिए कि कुछ शव गाज़ियाबाद और दूसरे शहरों से भी आते हैं और ऐसा नहीं है कि दिल्ली के श्मशान गृह, उनका अंतिम संस्कार करने से मना कर सकते हैं’.
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संख्या कैसे तय होती है
राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 मौतों का हिसाब लगाने के लिए तीनों नगर निगम संदिग्ध और पुष्ट मौतों का आंकड़ा ज़िला स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजते हैं.
सीनियर मेडिकल ऑफिसर्स इन आंकड़ों को कोविड-19 अस्पतालों से मिली कुल संख्या से मिलाते हैं. इस प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी ने, जो नाम नहीं बताना चाहते थे, दिप्रिंट को बताया, ‘इस प्रकार हम कोविड-19 की कुल मौतों का आंकड़ा जुटा लेते हैं’.
ये डेटा फिर सरकार को भेजा जाता है, जो इसे अपने दैनिक स्वास्थ्य बुलेटिंस में शामिल करती है. 7 अक्तूबर तक दिल्ली में कुल 2,95,236 मामले दर्ज हो चुके हैं जिनमें 5,581 मौतें हुईं हैं और 2,66,935 मरीज़ ठीक हो चुके हैं.
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सितंबर में ज्यादा मौतें हुईं
संख्या में ये अंतर दिल्ली में मौतों में आई तेजी के बीच सामने आया है. जैसा कि दिप्रिंट ने ख़बर दी थी, सितंबर के बीच दिल्ली में मौतों की संख्या दोगुने से अधिक बढ़ गई. एक सितंबर को 18 से बढ़कर, 30 सितंबर को 41 हो गई.
लेकिन 29 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने राजधानी में बढ़ती मौतों के महत्व को कम करके बताया. जैन ने कहा, ‘दिल्ली में जून के मुकाबले सितंबर में काफी ज़्यादा मामले सामने आए. लेकिन इस महीने की मौतों की संख्या, जून में हुई मौतों की एक तिहाई भी नहीं हैं’.
6 अक्टूबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लगता है कि राजधानी ने दूसरा पीक पार कर लिया है.
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में कोविड-19 की दूसरी लहर का शिखर 17 सितंबर को देखा गया जब पूरे शहर से 4,500 मामले सामने आए. स्थिति पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है’.
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शवदाह गृहों और कब्रिस्तानों में दिखा उछाल
मौतों में आया ये उछाल दिल्ली के शवदाहगृहों और कब्रिस्तानों में देखा जा रहा है जहां फिर से कतारें लगने लगी हैं. दिप्रिंट द्वारा दिल्ली के कुछ प्रमुख शवदाहगृहों और कब्रिस्तानों के दौरों से पता चला कि पिछले एक पखवाड़े में यहां हर रोज लाए जा रहे कोविड-19 शवों की संख्या भी बढ़ गई थी.
दिल्ली के सबसे बड़े शवदाहगृह निगमबोध घाट पर, सोमवार दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच दिप्रिंट को दो शव वाहन अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए दिखे. लोक नायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल के शव वाहन ड्राइवर, संदीप ने बताया, ‘मैं आज छह शव तो पहले ही ला चुका हूं और एक और शव रास्ते में है’.
शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से 4 बजे के बीच जब दिप्रिंट फिर वहां पहुंचा तो स्थिति लगभग वही थी. एलएनजेपी अस्पताल के एक दूसरे शव वाहन ड्राइवर, राजेश कुमार ने कहा, ‘ज़्यादातर शव एलएनजेपी से हैं क्योंकि उनका मुर्दाघर सबसे बड़ा है. पूरे सितंबर, मैं औसतन हर रोज़ 11 शव लाता रहा हूं’.
जून में बहुत से शवों को लौटाने के लिए आलोचना का शिकार रहे, निगमबोध घाट के अधिकारियों ने बताया कि मौतों की संख्या बढ़ी ज़रूर है लेकिन स्थिति मई और जून जितनी खराब नहीं है. निगमबोध घाट के सुपरवाइज़र अवदेश शर्मा ने बताया, ‘अगस्त में हमारे यहां रोज़ाना दो शव आ रहे थे लेकिन सितंबर में हर रोज़ कम से कम 10 शव आ रहे हैं’.
पंजाबी बाग श्मशान घाट पर, जो एसडीएमसी का सबसे बड़ा शवदाहगृह है, सोमवार को करीब 3.30 बजे, कम से कम 150 लोग देखे गए, जो अपने रिश्तेदारों या दोस्तों के अंतिम संस्कार के लिए वहां आए हुए थे.
यहां के एक पंडित ने नाम छिपाते हुए कहा कि मरने वालों की संख्या अगस्त में रोज़ाना 2-3 से बढ़कर, पिछले डेढ़ हफ्ते में 17-18 हो गई है. प्रवेश द्वार पर सिक्योरिटी गार्ड ने कहा, ‘सितंबर में यहां आ रही एंबुलेंस गाड़ियों के बीच का समय भी कम हो गया. कोविड-19 शव ज़्यादा संख्या में आए’.
पंजाबी बाग श्मशान मैदान में, जहां रविवार को 10 कोविड-19 शवों का दाह संस्कार हुआ, वहां सोमवार दोपहर तक ही, सात शवों का दाह संस्कार हो चुका था.
इसी तरह लोधी रोड विद्युत शवदाह गृह में, जो दक्षिणी दिल्ली का एक और बड़ा श्मशान स्थल है, सोमवार दोपहर तक छह कोविड शवों का दाह संस्कार हो चुका था जबकि रविवार को आठ का हुआ था.
लेकिन यहां पर 12 साल से केयरटेकर का काम कर रहे धर्मवीर ने दिप्रिंट को बताया, ‘मौतों की संख्या पिछले साल से कुछ बहुत अलग नहीं है लेकिन चूंकि हम कोविड-19 शवों का भी दाह संस्कार करते हैं इसलिए भीड़ कम है क्योंकि लोग डरे हुए हैं’. केयरटेकर ने कहा कि श्मशान स्थल पर रोजाना आने वाले कोविड शवों की संख्या हाल में चार शव हो गई है.
जदीद कब्रिस्तान एहले इस्लाम को, जो शहर का सबसे बड़ा क़ब्रिस्तान है, सोमवार को दो एकड़ अतिरिक्त ज़मीन आवंटित की गई.
कब्रिस्तान के सुपरवाइज़र मोहम्मद शमीम ने कहा, ‘दफ्नाने की संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा था और हमारे लिए जगह कम पड़ रही थी, इसलिए हमने कमेटी से और ज़मीन देने के लिए कहा. सितंबर के महीने में हमारे यहां हर रोज़ कम से कम पांच जनाज़े आ रहे थे जबकि इसके मुकाबले अगस्त में हर रोज़ मुश्किल से एक या दो जनाज़े आते थे’.
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