नई दिल्ली: कानूनी विशेषज्ञों ने उत्तर प्रदेश पुलिस की इस थ्यौरी को खारिज कर दिया है कि हाथरस की पीड़िता के शरीर पर शुक्राणु नहीं मिलने का मतलब है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ.
वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन और विकास पाहवा ने कहा कि कथित सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के शरीर पर शुक्राणु की अनुपस्थिति, जैसा कि पुलिस ने फॉरेंसिक रिपोर्ट में दावा किया है, का आरोपियों पर इस अपराध के लिए अभियोजन चलाने पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि मरते समय उसने जो बयान दिया, उस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता.
जॉन ने कहा, ‘(सीमन नहीं पाया गया) तो क्या? बलात्कार के अपराध के लिए उसकी मौजूदगी जरूरी नहीं. और तो और, मृत्यु पूर्व दिया गया बयान है.’
उन्होंने कहा, ‘मृत्यु पूर्व दिये गये बयान को खारिज करने के लिए कुछ असाधारण सबूत की जरूरत होगी.’
पाहवा की भी ऐसी ही राय है. उन्होंने कहा, ‘शरीर को धोया जा सकता है, साफ किया जा सकता है. यह इस पर निर्भर करता है. यह भी देखना होगा कि अपराध और मेडिकल परीक्षण में कितने समय का फासला है? यदि बलात्कार के तुरंत बाद मेडिकल परीक्षण होता है तो शुक्राणु मिलते हैं, अन्यथा नहीं.’