नई दिल्ली : भारतीय रेलवे की तरफ से लागत घटाने के लिए ट्रेनों में लिनेन सेट देना बंद करने का फैसला लेने के कुछ ही दिनों बाद रेलकर्मियों के सबसे बड़े संघ ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन ने राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को पैंट्री कारों को भी हटाने के लिए कहा है.
एआईआरएफ ने पिछले हफ्ते केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में अनुरोध किया कि पैंट्री कारों को कोच से बदल दिया जाए, क्योंकि इससे यात्रियों को अधिक राजस्व प्राप्त होगा. मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि गोयल ने रेलवे बोर्ड से इस प्रस्ताव पर विचार करने को कहा है.
एआईआरएफ के सचिव शिव गोपाल ने दिप्रिंट को बताया, ‘रेलवे स्टेशनों पर स्थित बेस किचन के जरिये भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है…. वैसे भी रेलवे अपनी रसोई या पैंट्री सेवाओं के माध्यम से राजस्व उत्पन्न नहीं करता है.’
रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि एआईआरएफ के प्रस्ताव की व्यावहारिकता जांची जा सकती है क्योंकि रेलवे अपना घटता राजस्व बढ़ाने के उपाय खोजने में जुटा हुआ है.
अधिकारी ने कहा, ‘यही वजह है कि रेलवे की तरफ से लिनेन, तकिया, बेडशीट आदि उपलब्ध कराना बंद करने का फैसला किया गया था. मौजूदा स्थिति में लागत घटाना सबसे बड़ी जरूरत है, ऐसे में राजस्व लाभ देने की तुलना में बोझ बन रही सेवाओं पर फिर से विचार किया जा सकता है.’
अधिकारी ने इस पर सहमति जताई कि ट्रेनों में कैटरिंग सेवाएं ट्रेन-साइड वेंडिंग, स्टेशनों पर स्थित स्टैटिक कैटरिंग इकाइयों और ई-कैटरिंग सेवाओं आदि के जरिये आसानी से मुहैया कराई जा सकती हैं.
‘अधाधुंध आउटसोर्सिंग बंद करो’
एआईआरएफ ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि सेवाओं की ‘अधाधुंध आउटसोर्सिंग’ बंद की जानी चाहिए, और रेलवे के सभी सार्वजनिक उपक्रमों को रेल भवनों से काम करना चाहिए न कि अलग-अलग कार्यालयों से.
रेलवे बहुत ज्यादा घाटे की स्थिति में चल रहा है, और जून में इसके वित्तीय आयुक्त ने सभी जोन को लिखे पत्र में कुछ कदम उठाने का सुझाव दिया था, जिसमें नए पदों के सृजन पर रोक लगाने, सेवानिवृत्त और फिर काम पर लिए गए कर्मचारियों को हटाने, आउटसोर्स गतिविधियों को कॉर्पोरेट रिस्पांसबिलिटी फंड से चलाने, औपचारिक समारोहों को डिजिटल प्लेटफार्म पर आयोजित करने और गैर-आर्थिक ब्रांच लाइन बंद करने की संभावनाएं तलाशना शामिल था.
गोयल ने पिछले हफ्ते संसद को बताया था कि कोविड-19 महामारी के कारण यात्री सेवाएं प्रभावित होने से मार्च और अगस्त के बीच भारतीय रेलवे के यातायात राजस्व में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 42.3 प्रतिशत की गिरावट आई है.
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