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Friday, 22 November, 2024
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कृषि विधेयकों के विरोध में NDA से अलग हुई सहयोगी शिरोमणि अकाली दल

इससे पहले राजग के दो अन्य प्रमुख सहयोगी दल शिवसेना और तेलगु देशम पार्टी भी अन्य मुद्दों पर गठबंधन से अलग हो चुके हैं.

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चंडीगढ़ : शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कृषि विधेयकों के विरोध में शनिवार रात को भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग होने की घोषणा की. पार्टी की कोर समिति की बैठक के बाद उन्होंने यह घोषणा की.

इससे पहले राजग के दो अन्य प्रमुख सहयोगी दल शिवसेना और तेलगु देशम पार्टी भी अन्य मुद्दों पर गठबंधन से अलग हो चुके हैं.

सुखबीर ने कहा, ‘शिरोमणि अकाली दल की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई कोर समिति की आज रात हुई आपात बैठक में भाजपा नीत राजग से अलग होने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया.’

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की भावनाओं का आदर करने के बारे में भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दल शिअद की बात नहीं सुनी.

इससे पहले, 17 सितंबर को सुखबीर सिंह बादल की पत्नी और शिअद की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर ने कृषि विधेयकों के विरोध में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

शिअद की ओर से जारी बयान में सुखबीर बादल ने कहा कि राजग से अलग होने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि केंद्र ने किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी सुनिश्चित करने से इनकार कर दिया है. वह पंजाबी, खासकर सिखों से जुड़े मुद्दों पर लगातार असंवेदनशीलता दिखा रही है, जिसका एक उदाहरण है जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक भाषा श्रेणी से पंजाबी भाषा को बाहर करना.’


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हरसिमरत कौर ने राजग से अलग होने के बारे में कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार ने पंजाब की ओर से आंखें मूंद ली हैं.

उन्होंने कहा कि यह वह गठबंधन नहीं है जिसकी कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कल्पना की थी. उन्होंने कहा, ‘जो अपने सबसे पुराने सहयोगी दल की बातों को अनसुना करे और राष्ट्र के अन्नदाताओं की याचनाओं को नजरंदाज करे, वह गठबंधन पंजाब के हित में नहीं है.’

हरसिमरत ने ट्वीट किया, ‘तीन करोड़ पंजाबियों की पीड़ा और विरोध के बाद भी अगर केंद्र के सख्त रवैये में नरमी नहीं आती है तो यह वह राजग नहीं रह गई है जिसकी वाजपेयी जी और बादल साहब ने कल्पना की थी.’

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