नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी इस संस्था में बदलाव की मांग करते हुए इसकी प्रासंगिकता को बनाए रखने का आह्वान किया. पीएम मोदी ने कहा कि विश्व कल्याण के लिए संयुक्त राष्ट्र में संतुलन और सशक्तिकरण जरूरी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के 75वें वर्ष पर संबोधित करते हुए कहा कि जब इस संस्था का 1945 में गठन हुआ था उस समय का माहौल अलग था और अब की परिस्थितियां अलग हैं. उन्होंने यूएन की मौजूदा समय में प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाए.
मोदी ने कहा कि बीते सालों में संयुक्त राष्ट्र की कई उपलब्धियां रही हैं लेकिन इसके अलावा कई मामले ऐसे भी हैं जो गंभीर सवाल खड़े करते हैं.
उन्होंने कहा कि 1945 के बाद भी विश्व में कई युद्ध हुए और लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. मोदी ने सवाल उठाया कि क्या इस बीच संयुक्त राष्ट्र के प्रयास पर्याप्त थे.
मोदी ने कहा कि बीते कई महीनों से विश्व कोरोनावायरस से जूझ रहा है. इसमें संयुक्त राष्ट्र की भूमिका क्या है. उन्होंने इस संस्था के काम करने के तरीके में बदलाव लाने पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, ‘भारत के लोग इस संस्था पर भरोसा करते हैं. भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र में सुधारों के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि भारत के लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के नीति निर्धारण की प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा.
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रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म
मोदी ने कहा कि भारत में विश्व की 18 फीसदी से ज्यादा लोग रहते हैं. उन्होंने कहा कि जब हम मजबूत थे तो दुनिया को कभी सताया नहीं और जब हम मजबूर थे तब किसी पर बोझ भी नहीं बने.
उन्होंने कहा, ‘बीते वर्षों में भारत ने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के जरिए लोगों के लिए लगातार काम किया है.’
मोदी ने कहा कि हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं. ये भारत की सोच का हिस्सा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘भारत ने शांति स्थापित करने के लिए अपने सैनिकों को दुनियाभर में भेजा है. हमने सबसे ज्यादा अपने वीर सैनिकों को खोया है.’
उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित में सोचा है. उन्होंने कहा, ‘हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण तक का है. भारत की आवाज मानवता, मानवीय जाति के खिलाफ आतंकवादियों और तस्करों के खिलाफ उठेगी.’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पड़ोसी प्रथम की नीति से लेकर एक्ट ईस्ट की नीति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में इस दर्शन की झलक नज़र आती है. उन्होंने कहा, ‘भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वो किसी तीसरे के खिलाफ नहीं होती. विकास की साझेदारी मजबूत करने का लक्ष्य किसी को मजबूर करना नहीं है.’
मोदी ने वैश्विक समुदाय को आश्वासन देते हुए कहा, ‘भारत की वैक्सीन डिलीवरी सब के लिए होगी. हम फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल की तरफ बढ़ रहे हैं.’
उन्होंने बताया कि महामारी के समय में भी भारत ने 150 से ज्यादा देशों को दवाईयां भेजीं.