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Friday, 22 November, 2024
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बंगाल BJP प्रमुख दिलीप घोष ने कहा- इस्लामिक कट्टरपंथी, नक्सली खतरा बढ़ रहा है, अमित शाह से की हस्तक्षेप की मांग

भाजपा के राज्य प्रमुख दिलीप घोष ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार की नीतियां राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डाल रही हैं.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष दिलीप घोष ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से छह कथित अल-कायदा ऑपरेटर्स की हालिया गिरफ्तारी के मद्देनजर राज्य में ‘कानून-व्यवस्था बहाल करने’ के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

घोष, जो मेदिनीपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद हैं, 22 सितंबर को शाह को संबोधित एक पत्र में उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पश्चिम बंगाल के लोगों को राज्य की प्रगति के लिए आवश्यक सुरक्षित वातावरण देने में न तो सक्षम है और न ही तैयार है.

उन्होंने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने ‘पश्चिम बंगाल को आतंकवाद के लिए उपजाऊ मैदान में बदल दिया है.’

दिप्रिंट के द्वारा एक्सेस किए गए पत्र में घोष ने आरोप लगाया है, ‘टीएमसी शासन में पश्चिम बंगाल ने अवैध बम और हथियार बनाने के उद्योग को खिलते देखा है, क्योंकि सत्ता पक्ष अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए हिंसा पर निर्भर है.’ इसने एक बार फिर आतंकवादी गतिविधियों को सक्षम किया है क्योंकि उनके द्वारा आवश्यक चींजे राज्य में पहले से ही आसानी से उपलब्ध है. कई मदरसे, जिन्हें सिखने का केंद्र माना जाता है उन्हें आतंकी संगठनों द्वारा कट्टरता के कारखानों में बदल दिया गया है. इस प्रकार, टीएमसी ने अपने राजनैतिक फायदे के लिए हमारे देश की सुरक्षा को बहुत जोखिम में डाल दिया है.’

घोष ने शाह से ‘कानून व्यवस्था, स्वतंत्र और निष्पक्ष लोकतंत्र, सुरक्षा और पश्चिम बंगाल में शांति स्थापित करने’ के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

पत्र में लिखा गया है, ‘मैं आपसे और केंद्र सरकार से आग्रह करना चाहूंगा कि नागरिकों को निर्विवाद रूप से मतदान करने के लिए अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं और इस प्रकार पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सके.’

अगले साल की शुरुआत में होने वाले अहम विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले घोष का पत्र आया है. कई राज्य चुनावों में हार के बाद, भाजपा ने पश्चिम बंगाल को प्राथमिकता दी है, जिससे आगामी चुनावों पर ध्यान देने के लिए ठोस प्रयास किए जा सकें, जिसमें ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार निशाने पर है.

भाजपा बंगाल में लगातार बढ़त बना रही है, जहां उसने 2019 में राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें जीतीं, 2014 के चुनावों में केवल दो सीटों पर जीत मिली थी. भाजपा ने 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर शुरुआत करने का फैसला किया है.


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‘कानून और व्यवस्था बहाल करो’

घोष ने अपने पत्र में ‘पश्चिम बंगाल में आतंकवादी और माओवादी गतिविधि से राज्य और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों वाले’ शीर्षक में दावा किया है कि पश्चिम बंगाल सरकार राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है.

पत्र में कहा गया है, ‘मैं सबसे पहले अपने देश को सुरक्षित रखने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में आपके द्वारा किए गए कार्यों के लिए अपनी ईमानदारी से प्रशंसा करना चाहूंगा.’

दुर्भाग्य से, सुरक्षा का यह वातावरण, जो हमारी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है. पश्चिम बंगाल राज्य में गंभीर खतरे में है. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि ये खतरे साधारण नहीं हैं और पूरे देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की क्षमता रखते हैं.’

घोष ने हाल ही में राज्य में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा की गई गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाया है. 19 सितंबर 2020 को, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले से 6 अल-कायदा गुर्गों को गिरफ्तार किया.

उन्होंने आरोप लगाया है कि अफसोस की बात है कि पश्चिम बंगाल में इस तरह के आतंकवादियों की उपस्थिति पहली घटना नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में, राज्य में लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों की गतिविधि में तेजी से वृद्धि हुई है.

घोष ने दावा किया कि टीएमसी देश की सुरक्षा को राजनीतिक फायदे के लिए बड़े जोखिम में डाल रही है.

उन्होंने कहा, इस समय राज्य में इन आतंकवादियों की मौजूदगी पर टिप्पणी करना पर्याप्त नहीं है. हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम उन कारकों पर ध्यान दें, जिन्होंने पश्चिम बंगाल को आतंकवाद के लिए उपजाऊ प्रजनन भूमि में बदल दिया है.’ जवाब उन नीतियों में निहित है जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पिछले नौ वर्षों में किया है.

टीएमसी की नीति ‘अति-तुष्टीकरण’ और नक्सली खतरा

घोष ने कहा कि ‘टीएमसी द्वारा अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए तुष्टिकरण की नीति ने कट्टरपंथी, इस्लामिक आतंकी संगठनों को उनकी नापाक गतिविधियों को अंजाम देने में सक्षम बनाया है.’

उन्होंने यह भी दावा किया कि जंगलमहल क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों का पुनरुत्थान हुआ है यह राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए एक और ‘खतरा’ है. पत्र में कहा गया है, ‘माओवादियों के पुनरुत्थान के समय ने टीएमसी की भूमिका को सुर्खियों में लाया है.’

घोष ने यह भी कहा कि माओवादी नेता छत्रधर महतो को न केवल टीएमसी सरकार ने रिहा किया बल्कि उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी का पदाधिकारी भी बनाया गया है.

टीएमसी द्वारा बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या और पिछले चुनावों में भड़की हिंसा स्पष्ट रूप से दिखाती है कि टीएमसी के द्वारा विघटनकारी ताकतों का उपयोग करने की संभावना है. जिससे पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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