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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअर्थजगतबैंक से 1,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में ‘क्वालिटी लिमिटेड’ के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी

बैंक से 1,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में ‘क्वालिटी लिमिटेड’ के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी

सीबीआई ने बैंक ऑफ इंडिया नीत 10 बैंकों के संघ से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 1,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने और दूसरे मद में ऋण की राशि खर्च करने के आरोप में ‘क्वलिटी लिमिटेड’ और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बैंक ऑफ इंडिया नीत 10 बैंकों के संघ से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 1,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने और दूसरे मद में ऋण की राशि खर्च करने के आरोप में प्रमुख डेयरी उत्पाद कंपनी ‘क्वलिटी लिमिटेड’ और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.

मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के करीब 11 दिनों के बाद सीबीआई ने सोमवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और बुलंदशहर, राजस्थान के अजमेर और हरियाणा के पलवल सहित आठ शहरों में कंपनी और उसके निदेशकों के परिसरों में छापेमारी की कार्रवाई की.

अधिकारियों ने बताया कि आइसक्रीम से कारोबार शुरू कर विभिन्न डेयरी उत्पाद बनाने वाली कंपनी क्वालिटी लिमिडेट और उसके निदेशक संजय ढींगरा, सिद्धांत गुप्ता, अरुण श्रीवास्तव एवं अज्ञात लोगों के खिलाफ सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है.

एजेंसी ने बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर कार्रवाई की है.

सीबीआई के प्रवक्ता आर. के. गौड़ ने कहा, ‘शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सहायत संघ को करीब 1400.62 करोड़ रुपये का चूना लगाया. इस सहायता संघ में कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, धन लक्ष्मी बैंक और सिंडिकेट बैंक भी शामिल हैं.’


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गौड़ ने बताया कि बैंकों से राशि लेकर इसे दूसरे मद में खर्च कर, संबंधित पक्षों से फर्जी लेन-देन दिखाकर, फर्जी दस्तावेज/रसीद और गलत बहीखाते के जरिए कथित धोखाधड़ी की गई और फर्जी संपत्ति एवं देनदारी आदि दिखाई गई.

ऋण देने वाले 10 बैंकों का नेतृत्व कर रहे बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि कंपनी ने ऋण के लिए फर्जी वित्तीय दस्तावेज और कारोबार को बढ़ा-चढाकर कर दिखाया.

बैंक ने कर्ज चुकता करने में असफल होने की स्थिति में कंपनी का फॉरेसिक ऑडिट कराया.

बैंक ऑफ इंडिया में आरोप लगाया, ‘कंपनी की ओर से कुल 13,147.25 करोड़ रुपये की बिक्री की गई थी लेकिन ऋणदाता बैंकों के संघ के खातों से केवल 7,017.23 करोड़ रुपये से ही दिखाया गया.’

बैंक ने कहा कि कारोबार, बिक्री और खरीद की बड़ी राशि बिना वास्तविक रसीद को उसी फैक्टरी के परिसर से की गई और हाथोंहाथ लेनदेन की गई.’

बैंक ने कहा, ‘ कंपनी के आपूर्तिकर्ताओं से ग्राहकों की आपूर्ति सीधे तौर प्रभावित हुई है. चूंकि इन वस्तुओं को कर से छूट मिली थी इसलिए ये वैट या जीएसटी के दायरे में भी नहीं आती.’

शिकायत के मुताबिक, ‘ये आपूर्तिकर्ता और ग्राहक असंगठित प्रवृत्ति के हैं और इतने बड़े पैमाने पर कारोबार करने में वित्तीय रूप से कमजोर प्रतीत होते हैं.’

बैंक ने आरोप लगाया कि खरीद और बिक्री की बडी राशि का निपटारा कंपनी द्वारा वास्तविक भुगतान के द्वारा किया गया.

प्राथमिकी में दर्ज शिकायत के मुताबिक, ‘ मिली हुई राशि और बची हुई राशि में भारी अंतर है. कंपनी द्वारा 1,807.57 करोड़ रुपये पार्टी से मिलने की बात की गई जबकि 972.82 करोड़ रुपये की ही पुष्टि हुई. इससे संकेत मिलता है कि 834.75 करोड़ रुपये बढ़ा कर बताया गया था. ’

बैंक ने आरोप लगाया कि आरोपी निदेशकों ने सहायकों की मदद से बेइमानी की और एक दूसरे की सहमति और मदद से व्यक्ति लाभ के लिए कोष को दूसरे मद में मोड़ा.

 

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