नई दिल्ली: कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) द्वारा स्कूल गेट से 50 मीटर के दायरे में खाने की चीज़ों की बिक्री पर रोक से 2 करोड़ छोटे व्यापारी प्रभावित होंगे. इससे 15 लाख़ करोड़ रुपए के व्यापार पर असर पड़ेगा.
कैट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भेजकर इन नए नियमों को वापस लेने की मांग की है. 4 सितंबर को जारी किए गए एक नोटिफ़िकेशन में खाद्य सुरक्षा और मानक (स्कूल में बच्चों के लिए सुरक्षित भोजन और संतुलित आहार) नियम को लागू किया.
इसमें यह कहा गया कि ‘ऐसे खाद्य उत्पाद जिससे किसी भी तरह से चर्बी बढ़ने की संभावना हो या चीनी या सोडियम से युक्त कोई भी सामान किसी भी स्कूल के गेट से किसी भी दिशा में 50 मीटर के दायरे में या स्कूल परिसर में या स्कूली बच्चों के लिए बेचे जाने की अनुमति नहीं होगी.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘भारत में ज़्यादातर जगहों पर प्लान्ड मोहल्ले या सोसाइटी नहीं हैं. ऐसे में घनी आबादी के बीच कई स्कूल होते हैं. नए नियमों की वजह से कई दुकानें इसकी चपेट में आ जाएंगी और उनका धंधा चौपट हो जाएगा.’
कैट को भय है कि देशभर में लगभग 2 करोड़ छोटे दुकानदार इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे. मीडिया को जारी किए गए बयान में कैट ने कहा, ‘इसके कारण इन व्यापारियों के व्यवसाय का 75% से अधिक बिजनेस ख़त्म हो जाएगा और हर साल लगभग 15 लाख करोड़ रुपए का व्यापार समाप्त हो जाएगा.’
बयान में आगे कहा गया कि छोटे व्यापारी जो पहले से ही कोरोना महामारी से बुरी तरह से परेशान हैं उन्हें फूड अथॉरिटी के नए क़ानून से अब आर्थिक महामारी का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भरतिया ने कहा, ‘ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भपर भारत के आह्वान का उल्लंघन करता है. ये सरकारी अधिकारियों की गैर-संवेदनशीलता को भी दिखाता है जो देश के घरेलू व्यापार को अस्थिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.’
कैट ने कहा की एफएसएसएआई का यह नियम इस बात को स्पष्ट करता है की यह एक निरंकुश और तानाशाह के रूप में है किसी भी नियम या विनियम लाने से पहले कभी भी हितधारकों से परामर्श नहीं करता है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने जानकारी दी कि देश में लगभग 2 करोड़ छोटी दुकानों/विक्रेताओं में ज्यादातर पड़ोस की दुकान हैं.
उन्होंने कहा, ‘इनमें जनरल स्टोर्स, पान की दुकानें, किराना दुकानें और अन्य छोटी और छोटी दुकानें हैं जो सभी प्रकार की एफएमसीजी वस्तुओं की आवश्यकता को पूरा करते हैं. इनमें ख़ास तौर पर खाद्य और पेय पदार्थ, किराना, व्यक्तिगत और घरेलू देखभाल की चीजें शामिल होती हैं. ग्राहक की आवश्यकता को पूरा करने के लिए ये दुकानें बेहद महत्वपूर्ण हैं. लेकिन नए नियमों के अनुसार किसी को भी किसी भी उत्पाद को बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
कैट ने ये भी कहा कि इन पड़ोस की दुकानों ने लॉकडाउन के समय लोगों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सबसे ज़्यादा भूमिका निभाई है. इन दुकानों को खाद्य और पेय उत्पादों को रखने की अनुमति नहीं देने और अन्य वस्तुओं की बिक्री को ख़त्म करने और ग्राहक आधार को खोने के लिए मजबूर करेंगे. व्यापार तहस-नहस हो जाएगा.
कैट ने सरकार से मांग की है कि वह इन गैर-व्यावहारिक नियमों को वापस ले. कैट ने कहा, ‘मौजूदा परिस्थितियों के कारण सरकार रोजगार देने में सक्षम नहीं है, जबकि एफएसएसएआई लोगों से उनके मौजूदा व्यवसायों छीनने में लगा है.’