नई दिल्ली: दिल्ली में रेल पटरियों को किनारे 48,000 झुग्गियों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मचे बवाल के बीच मोदी सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि इन्हें हटाने पर फैसला नहीं लिया गया है. इस पर रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय से सलाह-मशविरा के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.
केन्द्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि दिल्ली में 140 किमी लंबी रेल लाइन के साथ स्थित झुग्गियों को सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिये जाने तक नहीं हटाया जायेगा.
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस बारे में रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय के परामर्श से फैसला किया जायेगा.
न्यायालय दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी इन झुग्गियों को हटाने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था कराने के लिये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन के आवेदन पर सुनवाई कर रहा था.
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने मेहता के इस आश्वासन को दर्ज किया कि इन झुग्गी बस्तियों के खिलाफ चार सप्ताह तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी.
केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र को दिल्ली में रेल की पटरियों के पास से 48,000 झुग्गियों को हटाने पर अभी फैसला करना है.
तुषार मेहता ने कहा कि किसी को भी नहीं हटाया जाएगा, क्योंकि फैसला रेलवे, दिल्ली सरकार और शहरी विकास मंत्रालय के सलाह मशिवरे से होगा.
Solicitor General Tushar Mehta told Supreme Court that no jhuggi will be removed right now, and railways is discussing this issue with the Delhi government & Ministry of Urban Development, & will come up with some solution.
The Court adjourned the matter for 4 weeks. pic.twitter.com/glJ8fUF222
— ANI (@ANI) September 14, 2020
शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को एक फैसले में दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी 48,000 झुग्गियों को तीन महीने के अंदर हटाने का निर्देश दिया था. न्यायालय ने कहा था कि इस आदेश पर अमल में किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हो.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)