नई दिल्ली: केंद्र सरकार नहीं जानती की लॉकडाउन के दौरान कितने मजदूरों की मौत हुई है. भारत सरकार ने मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में लिखित में ये जनकारी दी है. सरकार ने माना है कि उसके पास प्रवासी कामगरों की मौत से जुड़ा कोई डेटा नहीं. भारत सरकार ने ये जवाब तकरीबन आधा दर्जन सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में दिया है.
अनस्टार्ड सवाल नंबर 188 में लोकसभा में भारत सरकार के श्रम एवम् रोज़गार मंत्रालय के सामने रखे गए पांच सवालों में दूसरे नंबर के सवाल में पूछा गया था, ‘क्या लॉकडाउन के दौरान हज़ारों मज़दूरों की मौत हुई है. अगर ऐसा है तो इसकी विस्तृत जानकारी दी जाए.’
एक लाइन के जवाब में मंत्रालय ने कहा, ‘ऐसा कोई डेटा मौजूद नहीं है.’
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राशन बांटने को लेकर राज्यवार आंकड़े नहीं हैं केंद्र सरकार के पास
एक अन्य सवाल में पूछा गया कि क्या कोविड महामारी के दौरान सरकार ने सभी राशन कॉर्ड होल्डर्स को फ़्री राशन बांटा, अगर ऐसा हुआ है तो उसकी राज्यवार जानकारी दी जाए.
सरकार ने कहा, ‘उसके पास इसकी भी राज्यवार जानकारी मौजूद नहीं है.’
हालांकि, जवाब में ये भी कहा गया है कि 80 करोड़ लोगों को पांच किलो अतिरिक्त गेहूं या चावल दिया जा रहा है और 1 किलो दाल दी जा रही.
एक और सवाल में पूछा गया कि क्या कोविड 19 महामारी के दौरान भारत प्रवासी कामगरों की समस्या को समझने में असफ़ल रहा.
इस सवाल के जवाब में मंत्रालय ने प्रवासी कामगारों का ज़िक्र नहीं किया. एक अन्य सवाल में पूछा गया कि क्या सरकार को फ़्री राशन के वितरण में भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलीं और अगर मिलीं तो ऐसे मामलों में क्या कार्रवाई की गई. इसके जवाब में सरकार ने कहा, ‘जब कोई शिकायत आती है तो मौजूदा नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाती है.’
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा पूछे गए एक सावल के जवाब में संसद को लिखित में जानकारी दी गई कि महामारी में अपने राज्यों को लौटने वाले कुल प्रवासी कामगरों की संख्या 1,04,66,152 है.
बता दें कि मानसून सत्र की शुरुआत 14 सितंबर को हो गई है. कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए इस सत्र में सदन में कई बदलाव किए गए हैं. लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई इस बार अलग-अलग समय पर आयोजित की जा रही हैं. मानसून सत्र कोविड से बचाव के सारे सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर आयोजित किया जा रहा है.यह सत्र 18 दिनों तक चलेगा.
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