नई दिल्ली: अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह के बाद यह शहर अब दशहरे पर भगवान राम को समर्पित समारोह बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी में जुटा है.
मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार होने वाली इस साल की रामलीला दरअसल सितारों से सजा एक भव्य आयोजन होगा.
कार्यक्रम की आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि भोजपुरी फिल्म स्टार और गोरखपुर के सांसद रवि किशन, दिल्ली से भाजपा सांसद और गायक-अभिनेता मनोज तिवारी, अभिनेता विंदू दारा सिंह, दिग्गज अभिनेता रजा मुराद और अवतार गिल और प्रसिद्ध हास्य कलाकार असरानी रामायण के विभिन्न पात्रों की भूमिका में दिखेंगे.
हालांकि, राम और सीता के किरदार स्थानीय कलाकार निभाने वाले हैं.
रवि किशन राम के छोटे भाई भरत की भूमिका निभाएंगे जबकि तिवारी अंगद (राम के दूत) की भूमिका में रहेंगे. विंदू दारा सिंह हनुमान बनेंगे, जो किरदार वह अपने पिता की ही तरह पहले टीवी पर निभा चुके हैं. उनके पिता दारा सिंह ने दूरदर्शन पर प्रसारित रामानंद सागर की ‘रामायण’ में यह भूमिका निभाई थी.
चंद्रकांता से ख्याति हासिल करने वाले शाहबाज खान रावण बनेंगे जबकि रजा मुराद अहिरावण की भूमिका में दिखेंगे और असरानी नारद मुनि का किरदार निभाएंगे.
ये सभी कलाकार पिछले कई वर्षों से दिल्ली में रामलीला आयोजनों में भाग लेते रहे हैं. 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय करने वाले असरानी ने हाल के वर्षों में दिल्ली में कई रामलीला में नारद मुनि की भूमिका निभाई है. इसी तरह गिल ने रावण और परशुराम के किरदार निभाए हैं और विंदू भी मंच पर पहले कई बार हनुमान का किरदार निभा चुके हैं.
अयोध्या में यह आयोजन 17-25 अक्टूबर के बीच होगा, नवरात्रि के नौ दिन चलने के साथ विजयदशमी या दशहरा पर इसका समापन होता है, जिसे रावण के साथ राम के युद्ध और उनकी जीत के तौर पर मनाया जाता है.
रवि किशन ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि अब जबकि अयोध्या में मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है, उन्हें लगा कि उनके जन्म स्थान पर रामलीला का हिस्सा बनना एक बहुत ही अच्छा अनुभव होगा.
सौ से ज्यादा फिल्मों में अभिनय कर चुके रवि किशन ने कहा, ‘हमने सोचा कि अयोध्या में रामलीला का भव्य आयोजन होना चाहिए. मैं पिछले कई वर्षों से रामलीला में हिस्सा ले रहा हूं और बहुत कम लोग जानते होंगे कि मैं बचपन में स्थानीय रामलीला में सीता माता की भूमिका निभाता था. इस बार, मैं भरत की भूमिका निभा रहा हूं.’
किशन ने गुरुवार को अयोध्या का दौरा किया.
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‘अयोध्या की रामलीला का गौरव बहाल करना जरूरी’
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में रामलीला आयोजन फिर से शुरू कराया है. पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल के दौरान 2004 में शुरू हुआ यह कार्यक्रम उनके बेटे अखिलेश यादव के शासनकाल में बंद हो गया था.
अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक वाई.पी. सिंह ने कहा, ‘सरकार का अयोध्या को भगवान राम की नगरी के रूप में विकसित करने पर जोर रहा है और पर्यटन मंत्रालय इसे राम सर्किट के रूप में विकसित कर रहा है. यहां एक राम संग्रहालय होगा, राम की प्रतिमा लगेगी और प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन के दौरान यह भी घोषणा भी की थी कि अयोध्या को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा. इसलिए अयोध्या में रामलीला को लोकप्रिय बनाना बहुत स्वाभाविक है.’
यूपी सरकार के संस्कृति विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘अयोध्या की रामलीला ने पिछले कुछ वर्षों से अपना गौरव खो दिया है, इसे बहाल करने की आवश्यकता है.’
चूंकि कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत धार्मिक आयोजनों में 100 से अधिक लोगों के जुटने की अनुमति नहीं है, रामलीला आयोजन समिति कार्यक्रम की योजना इस तरह बना रही है कि आवश्यक सुरक्षा उपायों के साथ एक समय पर केवल 100 लोग ही कार्यक्रम स्थल पर एकत्र हो सकें.
कार्यक्रम के आयोजकों में से एक ने कहा, ‘चूंकि कोविड का समय है, हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करने की होगी कि उस जगह पर दर्शकों की भीड़ न जुटे जहां कलाकार अभिनय कर रहे हों. लेकिन इसे विभिन्न स्थानों पर एलईडी स्क्रीन और टीवी के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा ताकि लोग घर पर बैठकर भी रामलीला देख सकें. यदि सरकार दिशानिर्देश बदलती है, तो अधिक लोगों को पहुंचने की अनुमति दी जाएगी.’
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अयोध्या के लिए 2,000 करोड़ का ग्लोबल पब्लिसिटी कैंपेन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को अयोध्या में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को विश्व स्तर पर राम मंदिर निर्माण के प्रचार के लिए विस्तृत योजना बनाने का निर्देश दिया.
एक वीडियो कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी बताया कि अयोध्या में पर्यटन के नए अवसर खुलेंगे और टेंपल सिटी में हर बुनियादी ढांचा परियोजना समयबद्ध तरीके से पूरी होनी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या अगले 11 साल में 2.2 करोड़ से बढ़कर 6.8 करोड़ प्रति वर्ष हो जाएगी और राज्य सरकार टेंपल सिटी के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपये मुहैया करेगी.
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