इस सवाल का जवाब मिल गया है कि ‘आप आज पाकिस्तान में क्या प्रतिबंधित करना चाहेंगे?’ टिंडर. कुछ डेटिंग एप्स पर प्रतिबंध लगाकर प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार हमें भरोसा दिलाना चाहती है कि पाकिस्तान में चल रही अन्य सारी राजनीतिक और सामाजिक समस्याएं हल हो चुकी हैं, डेटिंग ही एकमात्र खतरा बचा रह गया था.
पाकिस्तान टेलीकॉम अथॉरिटी (पीटीए) ने पांच ऑनलाइन डेटिंग एप- टिंडर, टैग्ड, स्काउट, ग्रिंडर और से-हाय पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसा लगता है कि रेग्युलेटरी अथॉरिटी में किसी व्यक्ति को टिंडर पर लगातार मिले लेफ्ट स्वाइप ने गुस्से में आगबबूला कर दिया था. पाकिस्तान में जब महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार और हिंसा की धमकी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, पीटीए की तरफ से इस तरह का कदम उठाने पर खुशी जताई जा सकती है. लेकिन यह भूलना नहीं चाहिए कि असली दोषी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन डेटिंग पर शिकंजा कसना प्राथमिकता बनी हुई है.
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पाबंदी के पीछे किसका ‘दिमाग’
इन डेटिंग एप पर प्रतिबंध के कारण वही बताए गए हैं जैसे उन सभी अन्य एप के लिए थे जिन्हें पूर्व में इस नियामक की तरफ से प्रतिबंधित किया गया, चाहे वह गेमिंग एप हों या इंटरटेनमेंट से जुड़े. यही कि वे अनैतिक, अशोभनीय और अश्लील हैं. एक ही बात सबसे फिट बैठती है, यही नियमन को लेकर पीटीए का नजरिया है. टिंडर इस प्रतिबंध पर पीटीए के साथ ‘सार्थक बातचीत’ करने में रुचि रखता है.
पीटीए की प्रतिबंध संबंधी नीति नैतिकता के एक आर्बिट्रेरी कोड पर आधारित है. जुलाई में उसने इस्लाम विरोधी सामग्री के प्रसार और युवाओं को पथभ्रष्ट करने के आधार पर पबजी पर पाबंदी लगा दी थी. इस पर जब ऑनलाइन विरोध तेज हुआ तो प्रतिबंध हटा लिया गया. कुछ ऐसा ही हुआ है बिगो लाइव के साथ. ‘अनैतिक, अशोभनीय और अश्लील सामग्री’ की स्ट्रीमिंग करने वाली एप पहले प्रतिबंधित की जाती हैं और बाद में इसे हटा दिया जाता है. टिकटॉक और यूट्यूब को भी ‘पाकिस्तान में अश्लील, अभद्र और अनैतिक सामग्री परोसने’ के कारण कई बार ब्लॉक करने की चेतावनी दी जा चुकी है.
पाकिस्तानियों को अपने खाली समय में किन एप का उपयोग करना चाहिए, यह अपनी तरफ से तय कर देने के बाद अब इमरान खान सरकार वयस्कों के साथ ऐसे सख्त अभिभावक की तरह पेश आ रही है जिसकी बातें अनसुनी कर दी गई हों. यह अपने ‘अशिष्ट’ बच्चों पर हावी होने के डिजिटल संस्करण जैसा है. विडंबना यह है कि पीटीए जैसी नियामक संस्था में युवाओं पर असर डालने वाले निर्णय लेने की प्रक्रिया में शायद ही किसी युवा की भागीदारी होती है. इन एप्स पर प्रतिबंध लगाने का विचार एक ऐसी सरकार के लिए प्रतिकूल असर डालने वाला ही है, जिसका लक्ष्य डिजिटल पाकिस्तान बनाना है.
सरकार के नैतिक थर्मामीटर के लिहाज से टेलीविजन पर दिखाए जा रहे ऐसे धारावाहिक पूरी तरह ‘नैतिक, शिष्ट और सदाचारी’ हैं, जिसमें चचेरे भाई-बहनों के बीच बचपन से प्रेम संबंध और फिर शादी होते दिखाई जाती है, कोई लड़की अपने जीजा को लेकर अपनी ही बहन से ईर्ष्या करती नजर आती है, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का रूमानीकरण किया जाता है और यहां तक कि एक मरीज और मनोचिकित्सक के बीच रिश्ते दिखाए जाते हैं. यह ऐसा मैचमेकिंग कंटेंट है जिसे अधिकारी फलने-फूलने देना चाहते हैं.
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पाकिस्तान में ऑनलाइन डेटिंग
पाकिस्तान में नैतिकता के ठेकेदारों को जो खतरा सता रहा था वह है ऑनलाइन डेटिंग का प्रचलन चरम पर पहुंच जाना. बाजार की सारी गोपनीय जानकारी देने वाले सेंसर टॉवर के मुताबिक पाकिस्तान में अकेले 2019 में टिंडर 440,000 से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया. से-हाय, ग्रिंडर और टैग्ड के 300,000 से अधिक डाउनलोड थे, जबकि स्काउट को 12 महीने के दौरान 100,000 बार डाउनलोड किया गया.
एक ऐसे समाज जहां डेटिंग को आज भी वर्जित माना जाता है, युवा महिलाओं और पुरुषों को अभिव्यक्ति की खुली आजादी देने वाले किसी भी मंच को खतरा ही माना जाएगा. आज भी, महिलाओं को ‘सम्मान’ के नाम पर मार दिया जाता है, यदि वे अपनी पसंद से शादी करने की हिम्मत करती हैं. प्रेम संबंधों को लेकर लोगों की अभिव्यक्ति को सामान्य जीवन का हिस्सा बनाने और इस पर नई पहल करने के बजाये सरकार प्रतिबंध लगाने में ज्यादा भरोसा करती है. पाखंड की भी कोई सीमा नहीं है, आपसी सहमति से बने संबंध हराम हैं, लेकिन महिलाओं को शादी के लिए मजबूर किए जाने और नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर अपहरणकर्ताओं से उनका विवाह करा दिए जाने में कुछ गलत नहीं है.
ये ऑनलाइन एप पुराने जमाने की रिश्ता (मैट्रिमोनियल) वेबसाइटों से कैसे अलग हैं? इन एप्स का चलन बढ़ने से मैच-मेकिंग में लगी चाचियों-मौसियों की दुकानें बंद हो गईं. इसलिए, रिश्ता कराने वाली ये महिलाएं तो इस तरह की पाबंदियों से सहमति नहीं जताएंगी, नैतिकता के ठेकेदारों के लिए भी इसके अलावा कोई खतरा नहीं है कि लोग अपनी मनमर्जी से फैसले करने लगें.
हम डेटिंग एप्स की व्यवहार्यता या उसके उद्देश्यों को लेकर हमेशा सवाल उठा सकते हैं लेकिन इस पर कोई भी फैसला लोगों का अपना होना चाहिए, सरकार का थोपा हुआ नहीं. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में टिंडर ही सच्चा प्यार तलाशने का जरिया था. फिर भी, एक रुढ़िवादी समाज में अपनी पसंद का विकल्प देने वाली एक ऑनलाइन सेवा कुछ नहीं होने से तो बेहतर ही थी.
अब यदि पीटीए को लगता है कि उसके इन डेटिंग एप्स को प्रतिबंधित करने से पाकिस्तानियों के डेटिंग करने पर पूरी तरह रोक लग जाएगी तो यह उसके भ्रम से ज्यादा कुछ नहीं हो सकता. अन्य सोशल मीडिया एप लिंक्डइन, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि, जो निश्चित तौर पर डेटिंग एप नहीं हैं, पर ‘हेलो वांट टू फ्रेंडशिप’ और ‘नाइस डीपी डियर, लेट्स गेट मैरिड डियर’ जैसे संदेश भेजने वाले पुरुषों की कोई कमी नहीं है. यहां तो हर सोशल मीडिया एप ही एक ‘डेटिंग एप’ है. सोशल मीडिया एप्स को भूल जाइए, लोग तो लूडो स्टार पर भी हुक-अप करना चाहते हैं. पाबंदियां लगाने के लिए पीटीए को शुभकामनाएं.
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(लेखिका पाकिस्तान में एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उसका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. विचार उनके निजी हैं.)
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