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Friday, 15 November, 2024
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अनुसूचित जाति आयोग ने 5 सदस्यीय पैनल में तीन नाम श्रीवास्तव होने पर आदेश रद्द किया

पैनल में एक ही जाति के लोगों के हावी होने की शिकायतें मिलने के बाद मोदी सरकार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को सलाह दी थी कि वह अपना आदेश रद्द कर दे.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने मोदी सरकार की सलाह के बाद अपने 5 अगस्त के उस आदेश को वापस ले लिया है कि जिसके तहत गठित पांच सदस्यीय पैनल में तीन लोग एक ही जाति के हो गए थे.

अनुसूचित जातियों (एससी) के आर्थिक और सामाजिक विकास पर एक सलाहकार समिति गठित करने संबंधी यह आदेश पैनल के तीन सदस्यों के श्रीवास्तव होने के बाद आलोचनाओं के घेरे में आ गया था, इसे ‘श्रीवास्तव प्राइवेट लिमिटेड’ तक करार दे दिया गया था.

पैनल के सदस्यों में सदस्य सचिव प्रभांशु श्रीवास्तव (आयोग में एक निदेशक भी हैं), सदस्य हर्ष श्रीवास्तव और पलाश श्रीवास्तव के साथ अलावा सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शारदा प्रसाद, जो समिति के अध्यक्ष थे, और डॉ. सत्य श्री शामिल थे.

आयोग की तरफ से 20 अगस्त को जारी आदेश में कहा गया है, ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सलाह के मुताबिक, कार्यालय द्वारा अनुसूचित जाति के आर्थिक और सामाजिक विकास के उद्देश्य से सलाहकार समिति के गठन संबंधी 5 अगस्त 2020 के आदेश को वापस ले लिया गया है. हालांकि, इस मामले को नए आयोग के समक्ष विचार के लिए रखा जाएगा; जब और जिस भी रूप में उसका गठन होगा.


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नरेंद्र मोदी सरकार ने एनसीएससी को भेजे परामर्श में यह आदेश रद्द करने को कहा था क्योंकि उसे समिति में एक ही जाति के वर्चस्व को लेकर कई शिकायतें मिली थीं. आधिकारिक तौर पर, आदेश में कहा गया है कि समिति को रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसका गठन उस वक्त हुआ जब आयोग का सत्र नहीं चल रहा था.

दिप्रिंट ने 19 अगस्त को खबर दी थी कि मंत्रालय ने 14 अगस्त को एनसीएससी को अपना आदेश रद्द करने को कहा था.

तीन श्रीवास्तव की नियुक्ति का विरोध करने वालों में वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) भी शामिल था जो दलित आइकन डॉ. बी.आर. अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर द्वारा स्थापित एक राजनीतिक दल है.

वीबीए के प्रवक्ता राजेंद्र पतोड़े ने कहा, ‘हम ताजा घटनाक्रम से खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि अब इसका पुनर्गठन होने पर दलित विद्वानों या दलितों के कल्याण के लिए काम करने वालों को समिति का हिस्सा बनाया जाएगा. हमें उम्मीद है कि सरकार उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, जिन्होंने ऐसी समिति का गठन किया जिसमें एक ही जाति के लोग हावी थे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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