नई दिल्ली: मुंबई स्थित मैरिको इनोवेशन फाउंडेशन (एमआईएफ) ने तीन भारतीय टीमों को 85 लाख रुपये का ग्रांट दिया है. जिन्होंने एमआईएफ द्वारा शुरू की गई एक चुनौती के हिस्से के रूप में कम लागत वाले इनोवेटिव वेंटिलेटर विकसित किए हैं.
स्वदेशी रूप से विकसित उपकरणों की तलाश में जिनका उपयोग दूरस्थ स्थानों पर किया जा सकता है और कोविड महामारी के दौर में कम लागत पर उपलब्ध हो इसके लिए फाउंडेशन ने वेंटिलेटर और अन्य प्रतिक्रियात्मक समाधानों को विकसित करने के लिए # Innovate2BeatCOVID ग्रैंड चैलेंज लॉन्च किया था.
तीन चयनित टीमों- श्रीयश इलेक्ट्रो मेडिकल्स, केपीआईटी टेक्नोलॉजीज और नोक्का रोबोटिक्स को ग्रांट के रूप में 85 लाख रुपये की पेशकश की गई है.
फाउंडेशन एक बयान में कहा, ‘ये वेंटीलेटर अब रोगियों और अस्पतालों को मदद करने के लिए तैयार हैं, दोनों अल्पकालिक वेंटिलेशन (पारगमन और घर की देखभाल के दौरान) से रोगी वार्डों में, जहां आवधिक वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है और अंत में आईसीयू में समाधान के लिए तैयार हैं.
हर्ष मारिवाला, एमआईएफ संस्थापक और मैरिको लिमिटेड के अध्यक्ष ने एक बयान में कहा, ‘इस चुनौती के माध्यम से हम अनूठे समाधानों को सामने लाते हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय समकक्षों की लागत के एक अंश पर वर्तमान वेंटिलेटर आवश्यकताओं के पूरे स्पेक्ट्रम को पूरा करते हैं. ये भारत में वैश्विक विशेषताओं के साथ वर्गीय विशेषताओं और प्रौद्योगिकी के साथ निर्मित हैं.
मारिवाला ने कहा, ‘डिवाइस डिसरप्टिव, सुलभ और सस्ता है – जो समय की जरूरत है.’
विजेता
तीन विजेताओं में पुणे स्थित श्रीयश इलेक्ट्रो मेडिकल्स शामिल है. जिन्होंने स्वदेशी वेंटिलेटर, एडल्ट और पेएडिएक्ट्रिक वेंटिलेटर डिजाइन किए हैं. जिनमें आयातित वेंटिलेटर के बराबर विशेषताएं हैं. वेंटिलेटर की कीमत मौजूदा बाजार की कीमतों का लगभग 20 प्रतिशत है.
यह दुनिया भर में वयस्क और बाल चिकित्सा आईसीयू दोनों के लिए उपयुक्त है और इनवेसिव और नॉन-इनवेसिव दोनों मोड में इस्तेमाल किया जा सकता है. डिवाइस को एक स्वचालित वेंटिलेशन मोड पर सेट किया जा सकता है, यह सुनिश्चित करता है कि एक रोगी के सुरक्षित वेंटिलेशन जारी रखें.
कंपनी ने आईसीयू सेटिंग्स में उपयोग के लिए पहले ही क्लीनिकल सत्यापन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. उन्होंने केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के साथ इस वेंटिलेटर का एक अनुमोदित पंजीकरण भी पूरा कर लिया है. वर्तमान में सुरक्षा और आवश्यक प्रदर्शन के लिए इसका परीक्षण चल रहा है.
एक अन्य समाधान, पुणे स्थित केपीआईटी टेक्नोलॉजीज द्वारा डिज़ाइन किया गया व्योमन है. यह पोर्टेबल है, इसका वजन लगभग 13 किलोग्राम है और इसकी कॉम्पैक्ट डिज़ाइन इसे दूरस्थ चिकित्सा सुविधाओं, घरों और एम्बुलेंस में उपयोग के लिए अनुकूल बनाती है. यह पारंपरिक क्रिटिकल केयर वेंटिलेटर की तुलना में कम खर्च करता है.
मैरिको के एक बयान के अनुसार, केपीआईटी ने एक एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से अंशांकन प्रमाणन हासिल किया है और सीडीएससीओ के साथ अपने वेंटिलेटर का एक अनुमोदित पंजीकरण है. सुरक्षा के लिए अभी इसका परीक्षण चल रहा है.
तीसरा समाधान महाराष्ट्र में नोका रोबोटिक्स से एक आईसीयू वेंटिलेटर, नोकरार्क V310 है. जिसका उपयोग जरुरी आवश्कताओं के लिए किया जा सकता है. यह दूरस्थ और ग्रामीण सेटिंग्स के लिए अनुकूलित है. टरबाइन-आधारित वेंटिलेटर संचालित करने के लिए किसी भी संपीड़ित चिकित्सा हवा की आवश्यकता को समाप्त करता है, एक बुनियादी ढांचा जो भारत में कई स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स में उपलब्ध नहीं हो सकता है.
वेंटिलेटर भी एक इन-बिल्ट बैटरी के साथ आता है, जिससे डिवाइस पावर कट-ऑफ की स्थिति में लंबे समय तक चल सकता है.
फाउंडेशन के अनुसार इस डिवाइस की कीमत अपने समकक्षों के लगभग 30 प्रतिशत है. यह अपने क्लीनिकल सत्यापन को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है और गंभीर फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित रोगियों पर परीक्षण के बाद गहनता से आईसीयू में उपयोग करने की सिफारिश की जाती है. वेंटिलेटर का परीक्षण सुरक्षा और आवश्यक प्रदर्शन के लिए किया गया है.
एमआईएफ अब चयनित इनोवेटर को व्यापार के अवसरों पर पहुंच, व्यवसाय संचालन पर मार्गदर्शन और मार्गदर्शन प्रदान करके उनके प्रयासों को बढ़ावा देने में मदद करेगा.
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