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Thursday, 28 November, 2024
होमदेश3 फसलों की नई प्रजातियों को राष्ट्रीय मान्यता मिली, एमपी के जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि ने की है विकसित

3 फसलों की नई प्रजातियों को राष्ट्रीय मान्यता मिली, एमपी के जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि ने की है विकसित

विश्वविद्यालय जबलपुर के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. पीके मिश्रा ने बताया, ‘हमारे विश्वविद्यालय को चना, अलसी और विसिया फसलों की नई प्रजातियां विकसित करने में बड़ी सफलता हाथ लगी है.'

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जबलपुर (मध्य प्रदेश): सरकारी जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर को चना, अलसी और विसिया फसलों की नई प्रजातियां विकसित करने में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है.

इसकी जानकारी देते हुए जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. पी के मिश्रा ने रविवार को बताया, ‘हमारे विश्वविद्यालय को चना, अलसी और विसिया फसलों की नई प्रजातियां विकसित करने में बड़ी सफलता हाथ लगी है.

उन्होंने कहा, ‘इतना ही नहीं केन्द्रीय उप समिति (कृषि फसलों के फसल मानक, किस्मों की अधिसूचना एवं विमोचन) कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा विभिन्न फसलों की तीन प्रजातियों को राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचना एवं विमोचन के लिए अनुमोदित भी कर दिया है.’

मिश्रा ने बताया कि नई प्रजाति का चना (जे जी 24) मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अनुशंसित की गई है. इस प्रजाति का पौधा कम फैलाव लिए हुए, ऊंचाई 60 सेंटीमीटर से अधिक, घेंटियां पौधे में ऊपर की ओर पाई जाती हैं, यांत्रिक कटाई में दानों का टूटना कम पाया गया है, पकने की अवधि 110 से 115 दिन एवं औसत उपज 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि नई प्रजाति की अलसी (जवाहर अलसी 165) जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा के लिए अनुशंसित की गई है. इस प्रजाति में तेल की उपज 454 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जो कि पूर्व में विकसित किस्मों की तुलना में लगभग 15 से 19 प्रतिशत अधिक है. यह फसल 160 से 170 दिन में पककर तैयार हो जाती है एवं उपज क्षमता 21 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

मिश्रा ने बताया कि नई प्रजाति की विसिया (जवाहर विसिया-1) चारा वर्गीय फसल है जो कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के लिए अनुशंसित है. यह दलहनी चारे की रबी मौसम में उगाई जाने वाली प्रजाति है. इसके हरे चारे की उपज क्षमता 240 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टयर है तथा सूखे चारे की मात्रा 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं प्रोटीन की मात्रा 14 से 15 प्रतिशत रहती हैं. यह फसल 90 से 95 दिन में पककर तैयार हो जाती है.

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन एवं संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. पी के मिश्रा के मार्गदर्शन में डॉ. अनीता बब्बर ने चना, डॉ. ए के मेहता ने विसिया एवं डॉ. वी एन राव व डॉ. पी सी मिश्रा ने अलसी की किस्म विकसित की है.

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