नई दिल्ली: मई और जून के महीने में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा(एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई झड़पें हुईं हैं. दिप्रिंट को पता चला है कि जितनी झड़पें सार्वजनिक हुईं हैं उससे कहीं ज्यादा दोनों सेनाओं के बीच झड़पें हुई हैं.
इन झड़पों से दोनों तरफ के लोग घायल हुए हैं.
ताजा जानकारी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की सामने आई है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात रहती है, इसने पुलिस वीरता पदक के लिए अपने 21 कर्मियों की सिफारिश की है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कई स्थानों पर सैनिकों के बीच गश्त बिंदुओं और नालों और नालों के साथ कई जगहों पर शारीरिक झड़पें हुईं.
सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई झड़पें रात भर चलीं और दोनों तरफ के लोगों को काफी चोटें आईं.
इन झड़पों पर सेना और आईटीबीपी चुप रहे. जिन झड़पों की रिपोर्ट की गई है उनमें 5 मई को पंगोंग त्सो, 9 मई को सिक्किम और 15 जून को गाल्वन घाटी शामिल हैं.
एक सूत्र ने बताया, ‘कई झड़पें हुईं जिनमें सेना और आईटीबीपी के जवान शामिल थे. कई बार चीनी संख्या में अधिक थे और कई बार हम अधिक संख्या में थे. ‘
लीक हुए वीडियो और तस्वीरों का हवाला देते हुए, दिप्रिंट ने 31 मई को बताया था कि दोनों पक्षों के बीच कई बार झड़पें हुई थीं.
आईटीबीपी ने 21 जवानों के वीरता पुरस्कार की सिफारिश की
आईटीबीपी ने कहा है कि उसने अपने 21 पुरुषों को मई-जून, 2020 में ‘फेस ऑफ और स्किमश’ के संबंध में वीरता पदक के लिए सिफारिश की है.
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आईटीबीपी के कम से कम 294 कर्मियों को महानिदेशक के द्वारा उनके सराहनीय कदम के लिए प्रतीक चिन्ह से सम्मानिक किया गया है. ये सभी चीन से संबंधित घटनाओं के लिए थे.
आईटीबीपी ने एक बयान में कहा कि उसके सैनिकों ने न केवल प्रभावी ढंग से अपनी रक्षा करने के लिए ढाल का इस्तेमाल किया बल्कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को आगे बढ़ने पर ‘जमकर जवाब दिया’ और स्थिति को नियंत्रण में लिया.
इसमें कहा गया है,’ प्रोफेशनल स्किल में माहिर आईटीबीपी के जवान सैंनिकों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर लड़ाई लड़ी और भारतीय सेना के घायल जवानों को भी सहायता की.
5 मई को पैंगोंग त्सो में हुई झड़प में सेना के कई जवान घायल हो गए थे, सूत्रों ने कहा कि कई अन्य स्थानों पर भी ऐसी घटनाएं हुईं.
बयान में कहा गया है कि जब आईटीबीपी के जवानों ने पूरी रात लड़ाई लड़ी, तब भी उनमें से कम से कम जवान हताहत हुए और पीएलके के पत्थरबाजों को भी खूब सबक सिखाया.
बल ने कहा, ‘ उन स्थानों पर, जहां गतिरोध वाली रातों में लगभग 17 से 20 घंटे तक झड़प हुई और बराबर से जवाब दिया.’
यह भी कहा, ‘हिमालय पर तैनाती और बल की हाई एल्टीट्यूट पर दिए गए प्रशिक्षण और युद्धाभ्यास के अनुभव के कारण, आईटीबीपी के जवानों ने पीएलए सैनिकों को नियंत्रित रखा और लगभग सभी मोर्चों पर आईटीबीपी जवानों ने सभी संवेदनशील मोर्चों पर कड़ी टक्कर दी और खुद को भी सुरक्षित रखा.
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