नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) पद पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की नियुक्ति के एक सप्ताह बाद अब भाजपा चाहती है कि वे नए सलाहकारों की तैनाती करें, जिनकी पृष्ठभूमि राजनीतिक हो न कि नौकरशाही वाली.
भाजपा यह भी चाहती है कि सिन्हा केंद्र शासित प्रदेश में लंबित विकास परियोजनाओं को जल्द से जल्द शुरू कराएं और राजनीतिक गतिविधियों की बहाली के लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करें, जो पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से ठप पड़ी हैं. भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी यह भी चाहती है कि राजनीतिक गतिविधियों की जल्द बहाली के लिए वह नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेताओं सहित सभी से बात करें.
जम्मू-कश्मीर में भाजपा के संगठन महासचिव अशोक कौल ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब तक राजभवन का दरवाजा आम जनता के लिए नहीं खुलता राजनीतिक प्रक्रिया बहाल करना संभव नहीं है. सामान्य स्थिति की बहाली एक जटिल मुद्दा है और इसे नौकरशाही के तरीके से नहीं हल किया जा सकता.’
उन्होने कहा, ‘सरकार में लोगों का भरोसा बहाल होना चाहिए, लोगों का भरोसा जरूरी है. उसके लिए सिन्हा को राजनीतिक सलाहकार नियुक्त करने चाहिए, जो लोगों से मिल सकें. उनकी समस्याओं को सुन सकें और उनका समाधान कर सकें. सिविल सेवक लोगों से नहीं मिलते हैं. इसलिए वे लोगों की समस्याओं को नहीं समझ सकते.’
वर्तमान में उपराज्यपाल के चार सलाहकार हैं- केवल कुमार शर्मा, फारूक खान, राजीव भटनागर और बशीर अहमद खान. ये सभी सिविल सेवक हैं और जीसी मुर्मू के कार्यकाल के दौरान नियुक्त किए गए थे.
एलजी के ये सलाहकार सशक्त नियुक्तियां हैं और वे विकास कार्यों का अनुपालन कराने के लिए कई विभागों के प्रभारी के तौर पर कार्य करते हैं. लेकिन भाजपा अब चाहती है कि सिन्हा इन चार सलाहकारों की जगह राजनीतिक अनुभव वाले उन लोगों को नियुक्त करें, जो दूरदराज के इलाकों की यात्रा करके लोगों से बातचीत कर सकें और उनके मुद्दों को सीधे तौर पर बेहतर ढंग से समझ सकें.
भाजपा सूत्रों ने कहा कि मुर्मू के खिलाफ शिकायतों में से एक यही थी कि उनका कामकाज थोड़ा-बहुत नौकरशाही के तौर-तरीकों वाला था, और वे शायद ही कभी लोगों से मिलकर उनके मुद्दों के बारे में जानने की कोशिश करते थे.
जम्मू-कश्मीर भाजपा के सूत्रों ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं ने सिन्हा से मिलने का समय मांगा है ताकि वे उन्हें इन सभी मुद्दों के बारे में अवगत करा सकें.
एनसी और पीडीपी समेत सभी से संवाद
जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पहला कदम राजनीतिक दलों के साथ बातचीत शुरू करना है, ताकि अपेक्षित नतीजे निकल सकें.
उन्होंने आगे कहा कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के एक साल बाद परिसीमन की प्रक्रिया तेज की जानी चाहिए और केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव कराने के बारे में सोचने से पहले सभी लोगों तक पहुंचकर उनकी चिंताओं को सुनना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 रद्द होने के बाद हर कोई कश्मीर की नई वास्तविकता को समझता है, यहां तक कि (पूर्व मुख्यमंत्री) उमर अब्दुल्ला ने भी विशेष दर्जा बहाल करने की मांग नहीं की है. वे राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं, जिसका प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने सदन (लोकसभा) में अपने भाषण के दौरान वादा किया था. लेकिन इससे पहले नए उपराज्यपाल को राजनीतिक प्रक्रिया फिर शुरू करने के लिए नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी नेताओं सहित सभी से बातचीत करनी चाहिए. इसमें कोई बुराई नहीं है, आखिरकार वे सभी अब घाटी में सक्रिय हैं.’
लोगों का भरोसा जीतने को विकास कार्य तेज करें
कौल ने दिप्रिंट को बताया कि सिन्हा से अनुरोध किया जाएगा कि वे विकास परियोजनाओं में तेजी लाएं और उन्हें समय पर पूरा कराएं ताकि लोगों का लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बढ़े.
उक्त नेता ने कहा, ‘चुनाव के पहले विकास कार्यों को दर्शाने के लिए कई कामों जैसे जम्मू रिंग रोड परियोजना, गोंडोला प्रोजेक्ट, जिलों का पुनर्गठन आदि को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए.’
उन्होंने बताया, ‘जम्मू रिंग रोड परियोजना, जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने (2018 में) किया था, अभी केवल 27 प्रतिशत पूरी हुई है और 2021 की समयसीमा से पिछड़ सकती है. जम्मू रोपवे परियोजना की समयसीमा भी कई बार निकल चुकी है, जबकि यह जम्मू क्षेत्र के लिए प्रतिष्ठित परियोजनाओं में से एक है जिसे तत्काल शुरू किए जाने की जरूरत है. 1995 में इसकी रूपरेखा बनाई गई थी. परियोजना का काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन 5 अगस्त (पिछले साल) के बाद इसे रोक दिया गया था. उसे फिर शुरू करने की जरूरत है.’
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कौल ने यह भी कहा कि भाजपा चाहती है कि सिन्हा ‘बैक टू विलेज’ कार्यक्रम जारी रखें.
मुर्मू के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया यह कार्यक्रम काफी सफल रहा है, जिसमें करीब 5,000 सरकारी अधिकारियों के गांव वालों की चिंताओं को समझने और उनका समाधान निकालने के लिए दो दिन उनके साथ ही रहने की व्यवस्था की गई है.
भाजपा कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमले से चिंता
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक साल बाद आतंकियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले तेज कर दिए हैं.
आतंकियों को सोमवार को पुलवामा में भाजपा के पंचायत सदस्य भूपिंदर सिंह के घर पर एक ग्रेनेड फेंका था.
बडगाम जिले में भाजपा कार्यकर्ता अब्दुल हमीद नजर को रविवार को आतंकवादियों ने गोली मार दी थी. उनकी सोमवार को एक अस्पताल में मौत हो गई. नजर पिछले एक महीने में आतंकवादियों के हमले का निशाना बने चौथे भाजपा कार्यकर्ता या पदाधिकारी थे.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि इन हमलों के कारण पिछले 2-3 दिनों में कई भाजपा पदाधिकारियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है.
जम्मू-कश्मीर में भाजपा के महासचिव सुनील शर्मा ने कहा, ‘यह चिंता का एक बड़ा मुद्दा है, जिसे हल किए जाने की आवश्यकता है. केंद्र ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती का वादा किया है, लेकिन यह कोई स्थायी समाधान नहीं है. 24,000 पंचों को कैसे सुरक्षा घेरे में या सुरक्षित स्थान पर भेजा जा सकता है? इसे बदलने में जनता और सभी पक्षों को शामिल करना होगा. यही एकमात्र तरीका है. हम इस मुद्दे पर उपराज्यपाल के साथ चर्चा करेंगे.’
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