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Friday, 22 November, 2024
होमदेशसूरत का यह मुस्लिम व्यक्ति कोविड मरीजों का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज़ से करता है

सूरत का यह मुस्लिम व्यक्ति कोविड मरीजों का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज़ से करता है

दायित्व निभाने वाले के रूप में अब्दुल मालबारी ने कुछ सबसे खराब आपदाएं देखी हैं -जिसमें 1998 गुजरात चक्रवात, 2001 भुज भूकंप, 2013 केदारनाथ बाढ़ और अब सूची में 2020 का कोविड भी जुड़ गया है.

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सूरत: अब्दुल रहमान मालबारी, जो 62 वर्षों से लावारिस शवों को संभालते आ रहे हैं ने कोरोनोवायरस महामारी के दौरान और भी अधिक उल्लेखनीय काम किया है.

1998 में गुजरात चक्रवात से लेकर 2006 की सूरत में आई बाढ़, 2001 का भुज भूकंप और 2005 और 2013 में मुंबई और केदारनाथ में बाढ़ अब्दुल हमेशा मौके पर रहे हैं. वह कई पीड़ितों की मदद कर चुके हैं.

चाहे लाशों को दफन करना हो या विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार उनका दाह संस्कार करना हो अब्दुल ने इन सभी संस्कारों को उन लोगों के लिए निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है जिनके लिए कोई और आगे नहीं आता है.

अभी हाल ही में, जब से कोविड-19 ने देश पर हमला किया हैं उन्होंने और भी अधिक जिम्मेदारियों को निभाया है और वायरस के कारण मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के साथ सूरत प्रशासन को मदद करने वाले उपक्रमों में से एक बन गया है. सूरत नगर निगम ने अपने संगठन, एकता ट्रस्ट को कोविड पीड़ितों के शवों का दाह संस्कार और दफनाने का काम सौंपा है.

मार्च के बाद से अब्दुल ने कोविड रोगियों के 1,200 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया है, जिनमें से लगभग 800 हिंदू थे. यद्यपि वह हर संभव सावधानी बरत रहा है, फिर भी उसने मार्च के अंत में उनको कोरोना हो गया था, लेकिन ठीक होते ही काम पर लौट आया.

दिप्रिंट के नेशनल फोटो एडिटर प्रवीण जैन आपको उनकी कहानी चित्रों के माध्यम से बताते हैं.

अब्दुल मलबारी अक्सर आधी रात से पहले तक इंतजार करते हैं, जब तक कि कोई ऐसा व्यक्ति न हो जिसका अंतिम संस्कार या दफनाया जाना बाकी हो । प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
अब्दुल एक कोविड पीड़ित के अंतिम संस्कार करने के लिए तैयारी करते हुए । प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
जब अब्दुल श्मशान के लिए निकलते हैं, तो वह अंतिम संस्कार के दौरान पहनने के लिए पीपीई किट अपने साथ रखते हैं । प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
सूरत में श्मशान के दौरान , अब्दुल किसी भी अंतिम संस्कार से पहले पीपीई सूट पहनते हैं। खुद मार्च में कोविड पॉजिटिव पाए गए थे । प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
अब्दुल मालबारी के पास लावारिस शवों को सम्मान और गरिमा के साथ निस्तारित करने के लिए उनके साथ काम करने वाले लगभग 40 लोग हैं । प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
श्मशान में, अब्दुल सुनिश्चित करते हैं कि कोविड पीड़ित का शरीर एक पीले कपड़े से ढका हो, जिस पर भगवान राम छपे हों। प्रवीण जैन / दिप्रिंट
हिंदू श्मशान के लिए आवश्यक सभी पैराफर्नेलिया का उपयोग किया जाता है, जिसमें नारियल और कपूर शामिल हैं। प्रवीण जैन / दिप्रिंट
अब्दुल सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक संस्कार और अनुष्ठान कर्तव्यपूर्ण तरीके से किया जाए और मृतक को हर अंतिम सम्मान दिया जाए। प्रवीण जैन / दिप्रिंट
अब्दुल रहमान मालबारी हिंदू अंतिम संस्कार के अनुसार मृतक को गंगाजल देते हुए | प्रवीण जैन/ दिप्रिंट
जब से भारत में महामारी आई है, अब्दुल मालबारी ने वायरस के सैकड़ों पीड़ितों का अंतिम संस्कार और दफन किया है, उन्हें सूरत में ‘लावारिस लाशों का दोस्त’ (लावारिस शवों का दोस्त) के रूप में जाना जाता है। प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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