नई दिल्ली: नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के अधिकारियों ने कहा है कि सिक्किम तक रेल संपर्क की लंबे समय से विलंबित परियोजना के 2022 के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
रेल नेटवर्क का शिलान्यास 2009 में उस समय रखा गया था, जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं. लेकिन उसके बाद से उसके बाद से कुछ काम नहीं हुआ है.
सिक्किम अकेला पूर्वोत्तर राज्य है जो किसी रेल नेटवर्क से नहीं जुड़ा है. एनएच 10 एकमात्र सड़क है जो राज्य को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ती है.
ये नई रेल लाइन पश्चिम बंगाल के सेवोक से सिक्किम के रांगपो तक जाएगी, जो 45 किलोमीटर की दूरी पर है. ये रेल पटरी 13 पुलों और 14 सुरंगों से होकर गुज़रेगी, जिसके स्टेशंस रांगपो, रयांग, तीस्ताबाज़ार और मेली होंगे. रेल परियोजना की लागत 1,339 करोड़ रुपए होगी, जिसमें से 607 करोड़ रुपए, चालू वर्ष में पहले ही मंज़ूर हो चुके हैं.
भारत-चीन सीमा पर स्थित सिक्किम में रेल लाइन की ज़रूरत, 2017 में डोकलम विवाद, और लद्दाख़ में हाल ही के टकरावों के बाद से ज़ोर पकड़ने लगी थी. पूर्वी सिक्किम में नाथूला जो चीन की सीमा के साथ लगता है, राजधानी गैंगटॉक से केवल 56 किलोमीटर दूर है.
ब्रॉड गेज रेलवे लाइन के काम में पिछले कुछ महीनों में बाधाएं आई हैं, क्योंकि महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते, मज़दूरों और उपकरणों की आवाजाही में मुश्किलें पेश आ रहीं थीं.
अरुणाचल के विधायक चाहते हैं कि चीन सियांग नदी का हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करे
अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट पश्चिम के विधायक, निनॉन्ग एरिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, कि चीन को सियांग नदी का हाइड्रोलॉजिकल डेटा, फिर से साझा करने के लिए अनुरोध किया जाए.
सियांग तिब्बत में शुरू होती है और अरुणाचल प्रदेश व असम से होकर गुज़रती है. तिब्बत में इसे यारलुंग त्सांगपो और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है.
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अपने पत्र में, जो बृहस्पतिवार को भेजा गया, एरिंग ने कहा कि नदी के बारे में आने वाली जानकारी, दो साल पहले बंद हो गई थी.
एरिंग ने कहा कि सिलसिलेवार भूकंपों के बाद, यारलुंग त्सांगपो की एक प्रमुख सहायक नदी यीगॉन्ग त्सांगपो पर, एक क़ुदरती बांध बन गया था, जिसके बाद सियांग अरुणाचल प्रदेश और असम के लोगों के लिए एक ख़तरा बन गई है.
एरिंग ने ये भी कहा, ‘अरुणाचल, असम और भारत के दूसरे राज्यों ने, इस बार बहुत विनाशकारी सैलाब देखे हैं और इस मॉनसून सीज़न के दौरान अगर ये बांध टूट गया तो नीचे का बहाव कमज़ोर हो जाएगा.
नागालैण्ड में क्लास 4 की व्याकरण की किताब में है आत्महत्या, शारीरिक हिंसा का उल्लेख
कक्षा 4 की अंग्रेज़ी ग्रामर की एक पाठय पुस्तक में, जिसकी नागालैण्ड के कई स्कूलों ने सिफारिश की थी. कुछ परेशान करने वाले वाक्य पाए गए.
‘एन ईज़ी अप्रोच टु ग्रामर एंड कम्पोज़ीशन’ नामक इस किताब में कई ऐसे वाक्य हैं जैसे ‘महिला ने ख़ुद के पंखे से लटका लिया’, और ‘नीना ने मुझे चिढ़ाया और मैंने उसे थप्पड़ मार दिया.’
ये मामला एक निजी टीचर चुइलेइ वांगनाओ ने तब उठाया, जब उनके किसी छात्र ने इन वाक्यों को क्लास में ज़ोर से पढ़ा.
नागालैण्ड में स्कूली शिक्षा के सहायक निदेशक, नेलायप्पन ने कथित रूप से कहा, कि राज्य के शिक्षा विभाग को विशेषकर इस पाठ्यपुस्तक के इस्तेमाल की जानकारी नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि राज्य के निजी स्कूल, अलग अलग प्रकाशनों की पाठ्य पुस्तकें इस्तेमाल करते हैं, भले ही उनकी सामग्री एक जैसी हो.
उन्होंने कहा, “हमारे यहां कोई ऐसा नियम नहीं है, कि सभी स्कूल एक विशेष प्रकाशन का ही पालन करेंगे”.
मेघालय में कक्षा 5 तक खासी और गारो को अनिवार्य करने की ज़ोरदार मांग
मेघालय बीजेपी ने राज्य सरकारों से मांग की है, कि राज्य की दो प्रमुख भाषाओं- खासी और गारो को कक्षा 5 तक अनिवार्य कर दिया जाए. ये मामला पार्टी द्वारा नई शिक्षा नीति (एनईपी) पर चर्चा के लिए बुलाई गई एक बैठक में उठाया गया.
पार्टी ने सरकार से ये भी कहा है कि सभी स्कूलों को, नई शिक्षा नीति के दायरे में लाया जाए, चाहे वो सरकार द्वारा संचालित हों, निजी अथॉरिटीज़ द्वारा हों, या फिर उन्हें धार्मिक या सामाजिक संगठन चला रहे हों.
इस बीच, शिलॉन्ग से एक लोकसभा सांसद, विंसेंट एच पाला ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि खासी और गारो को, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में, दूसरी भाषा के विकल्पों की सूची में शामिल किया जाए.
पाला ने कहा है कि हालांकि मीज़ो और तांगखुल जैसी भाषाएं, जिन्हें बहुत कम लोग बोलते हैं, सीबीएसई की लिस्ट में शामिल हैं, लेकिन मेघालय की ये दो भाषाएं उसमें नहीं हैं.
मिज़ोरम गवर्नर ने लॉकडाउन के दौरान लिखीं 13 किताबें, कविताओं का एक संकलन भी शामिल
मिज़ोरम गवर्नर पीएस श्रीधरन पिल्लई ने, लॉकडाउन घोषित होने के बाद 4 महीनों में 13 किताबें लिखी हैं, जो अंग्रेज़ी और मलयालम दोनों में हैं. उनके साहित्य में कविता संग्रह भी शामिल हैं.
लॉकडाउन के दौरान अपनी दिनचर्या पर बात करते हुए, पिल्लई ने कहा, ‘मैं सुबह सवेरे 4 बजे उठ जाता था, और व्यायाम के बाद पढ़ाई लिखाई का काम शुरू कर देता था. दिन के समय, आधिकारिक काम निपटाने के बाद, मैं अपने रीडिंग रूम में बैठ जाता था. अब ये एक सामान्य काम बन गया है.’
पिल्लई ने तीन दशक पहले लिखना शुरू कर दिया था, और उनकी पहली किताब 1983 में छपी थी. गवर्नर बनने से पहले वो 105 किताबें छपवा चुके थे. अभी तक वो अलग अलग श्रेणियों में, क़रीब 121 किताबें लिख चुके हैं.
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