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Friday, 22 November, 2024
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रेल सेवाओं के विलय को फास्ट ट्रैक करना चाहते हैं पीयूष गोयल, अधिकारियों को समझाने की कोशिश

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुद्धवार को विभिन्न रेल सेवाओं के अधिकारियों से मुलाक़ात की, जिसमें प्रस्तावित विलय से जुड़ी चिंताओं, और बाधाओं से निपटने पर चर्चा की गई.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को, रेलवे की विभिन्न सेवाओं की एसोसिएशंस के साथ मुलाकात की, जिसमें आठ सेवाओं के एक कॉमन इंडियन रेलवे मैनेजेरियल सर्विस (आईआरएमएस) में विलय के काम को, तेज़ करने के उपायों पर चर्चा की गई.

सूत्रों ने बताया कि गोयल ने इन सेवाओं के अधिकारियों से अलग अलग बैच में मुलाक़ात की, जिसमें विलय से जुड़ी उनकी चिंताओं, और नौकरशाही व विभागीय बाधाओं से निपटने पर चर्चा की गई, जो इस प्रक्रिया को धीमा कर रही हैं.

मंत्रालय इस साल नवम्बर तक विलय का काम पूरा करना चाहता है.

एक अधिकारी ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा, ‘अधिकारी इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, जिसके नतीजे में मंत्रालय में नौकरशाही के अंदरूनी विवाद, इस प्रक्रिया की राह में रोड़े बन रहे हैं.’

‘इसमें शामिल हर अधिकारी को, जिनमें अध्यक्ष भी शामिल है, उनकी अपनी सेवाओं के हितों के, नुमाइंदे के तौर पर देखा जा रहा है, इसलिए मंत्री चाहते थे कि इस प्रक्रिया को तेज़ करने के उपायों पर चर्चा की जाए.’

दिप्रिंट ने व्हाट्सएप के ज़रिए रेल मंत्रालय के प्रवक्ता, डीजे नारायण से एक टिप्पणी के लिए संपर्क करना चाहा, लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक, उनका कोई जवाब नहीं आया था.

कैबिनेट ने 24 दिसम्बर 2019 को, रेलवे की आठ मौजूदा सेवाओं का एकीकरण करके, आईआरएमएस की शक्ल देने को मंज़ूरी दे दी थी, ताकि ‘साइलो'(अपने अपने दायरे) में काम करने की संस्कृति ख़त्म हो, और एक नई और एकीकृत रेलवे की शुरूआत हो, जिसकी अपने भविष्य के लिए एक स्पष्ट परिकल्पना हो’.

जिन आठ सेवाओं का विलय होना है वो हैं- इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (आईआरटीएस), इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विस (आईआरएएस) और इंडियन रेलवे पर्सनेल सर्विस (आईआरपीएस)- ये सब ट्रांसपोर्टर की सिविल सर्विसेज़ कहलाती हैं. बाक़ी पांच टेक्निकल या इंजीनियरिंग सेवाएं हैं.

लेकिन इस फैसले को, ख़ासकर सिविल सर्विस ऑफिसर्स की ओर से, विरोध का सामना करना पड़ा, जिन्हें टेक्निकल सेवाओं के साथ विलय पर एतराज़ था, जिसके सदस्य यूपीएससी द्वारा आयोजित इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस (आईईएस) के इम्तिहान के ज़रिए भर्ती किए जाते हैं.

13 रेलवे ज़ोन्स और क़रीब 60 डिवीज़ंस के सिविल सर्विसेज़ ऑफिसर्स ने, जनवरी में विलय के खिलाफ 250 पन्नों से अधिक का एक मेमोरेंडम दाख़िल किया, जिसमें इस फैसले को ‘एकतरफा’ क़रार दिया गया, और कहा गया गया कि इससे ट्रेनों के परिचालन की सुरक्षा पर विपरीत असर पड़ेगा.

ये अभिवेदन रेलवे बोर्ड अध्यक्ष, रेल मंत्री, डीओपीटी सचिव, कैबिनेट सचिव, यहां तक कि प्रधानमंत्री तक को भेजे गए.


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एक समान प्रमोशन नियम का विरोध

सूत्रों के मुताबिक़ रेल मंत्रालय ने अधिकारियों को सूचित किया था, कि अगले साल से विलय की हुई आईआरएमएस के लिए ताज़ा भर्ती, यूपीएससी द्वारा कराए जाने वाले सिविल सर्विसेज़ इम्तिहान के ज़रिए होगी.

लेकिन, अधिकारियों ने कहा कि मंत्रालय सभी सेवाओं के लिए, एक समान प्रमोशन नियम पर भी विचार कर रहा है- एक ऐसा प्रस्ताव जिसे विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

फिलहाल, रेलवे की सिविल सर्विसेज़ के अधिकारी, इंजीनियरिंग सर्विस के अधिकारियों की अपेक्षा ज़्यादा तेज़ी से प्रमोशन पाते हैं. दूसरे अधिकारी ने कहा कि सरकार, प्रमोशंस के इस अंतर को समाप्त करके, एक समान प्रमोशन पॉलिसी अपनाने पर विचार कर रही है.

ये भी बताया जा रहा है कि अलग अलग सेवाओं के अधिकारियों के साथ बैठकों में, मंत्रालय ने ये भी कहा है कि रेलवे बोर्ड अध्यक्ष, सदस्यों, महाप्रबंधकों जैसे आम पदों के लिए ‘योग्यता के आधार पर’ चुनाव किया जाएगा. साथ ही मंत्रालय ने संगठन के ढांचे, वर्क कल्चर, और सीनियर लेवल पर काम के प्रोफाइल में बदलाव पर भी ज़ोर दिया.

दिप्रिंट को पता चला है कि सेवाओं के विलय के फैसले का बचाव करते हुए, रेलवे बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने एसोसिएशन के सदस्यों से कहा, कि ‘विशेषज्ञता बहुत प्रभावी नहीं होत’. बोर्ड और रिसर्च एंड डिज़ाइन स्टैण्डर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन में विशेषज्ञों के होने के बावजूद, टेक्नोलॉजी के मामले में भारतीय रेल, कोरियन या जापानी टेक्नोलॉजी के कहीं से भी क़रीब नहीं है.

इसके अलावा अधिकारियों ने ये भी कहा, कि आईआरएमएस जैसे एक ‘सुपरवाइज़री काडर’ को मज़बूत करने की ज़रूरत है.

रेलवे अधिकारियों को ये भी बताया गया, कि विलय के तौर-तरीक़ों पर काम करने के लिए, सरकार ने मैकिंसे एंड कंपनी को कंसल्टेंट के तौर पर पहले ही हायर कर लिया है.

अंत में, बैठकों में अधिकारियों को बताया गया, कि मौजूदा आठ सदस्यीय रेलवे बोर्ड को पुनर्गठित करके, सिर्फ चार वर्टिकल्स बनाए जाएंगे. बाद में इस मॉडल को ज़ोनल स्तर पर भी अपनाया जाएगा.


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अधिकारियों की चिंता

बताया जा रहा है कि सिविल सर्विसेज़ अधिकारियों ने, अपनी और इंजीनियरिंग सर्विस के अधिकारियों की उम्र में अंतर को लेकर भी, अपनी चिंताएं ज़ाहिर कीं थीं.

सूत्रों के अनुसार, एक अधिकारी ने मंत्रालय को बताया, ‘यूपीएससी की 2018-19 की 69वीं वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक़, ईएसई इम्तिहान में चुने जाने वाले सबसे अधिक 42.7 प्रतिशत उम्मीदवार, 21 से 24 आयु वर्ग के हैं, जबकि सिविल सर्विसेज़ के लिए सबसे ज़्यादा 32 प्रतिशत उम्मीदवार 24 से 26 आयु वर्ग के हैं’.

सूत्रों ने बताया कि गोयल ने सभी आठ सेवाओं के लिए, आयु के विस्तृत विश्लेषण के लिए कहा है.

मंत्री को बताया गया कि विलय के तौर-तरीक़ों को लेकर अनिश्तितता, संगठन के नए ढांचे को लेकर स्पष्टता के अभाव में, अधिकारियों के दिमाग़ में, ख़ासकर नई भर्तियों के बीच, शंकाएं और चिंताएं हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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