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Wednesday, 20 November, 2024
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छत्तीसगढ़ : दरभा घाटी में 405 दुर्दांत ईनामी नक्सली और उनके ठिकाने को पुलिस ने चिन्हित किया

पुलिस के अधिकारियों का मानना है ये माओवादी दंतेवाड़ा जिले की दरभा घाटी के तीन क्षेत्रों में सक्रिय हैं. यहां नक्सलवादियों की कटेकल्याण एरिया कमेटी, मलांगिर एरिया कमेटी और कांगेर एरिया कमेटी के बैनर तले काफी सक्रिय हैं.

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रायपुर : छत्तीसगढ़ पुलिस ने 405 ऐसे ईनामी और दुर्दांत नक्सलियों की सूची तैयार की है, जिनके खात्मे या गिरफ्तारी से उनके अनुसार प्रदेश में माओवाद की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि इन माओवादियों के ऊपर एक से 25 लाख रुपए तक का ईनाम है.

कुछ दिनों पहले 2020 के अंत तक 500 माओवादियों के सरेंडर के टारगेट के बाद प्रदेश के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों के बीच दरभा घाटी और उससे लगने वाले जंगल और पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय 405 मोस्ट वांटेड माओवादियों की सूची तैयार कर ली गई है. अधिकारियों के अनुसार ये वो खतरनाक माओवादी हैं, जिनकी गतिविधियों को न्यूट्रलाइज कर दिया जाए तो प्रदेश में नक्सलवाद काफी हद तक खत्म हो जाएगा.


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पुलिस के अधिकारियों का मानना है ये माओवादी दंतेवाड़ा जिले की दरभा घाटी के तीन क्षेत्रों में सक्रिय हैं. यहां नक्सलवादियों की कटेकल्याण एरिया कमेटी, मलांगिर एरिया कमेटी और कांगेर एरिया कमेटी के बैनर तले काफी सक्रिय हैं. ये तीनो कमेटियां दरभा घाटी डिवीज़न कमेटी के अंतर्गत काम कर रही हैं जिसका प्रभारी पवनडा रेड्डी और सचिव देवा उर्फ बारसा साईनाथ है. रेड्डी 25 लाख और देवा 10 लाख रुपए का ईनामी नक्सली है.

दिप्रिंट से बात करते हुए माओवादी विरोधी आपरेशन का नेतृत्व कर रहे बस्तर रेंज के डीआईजी सुंदरराज पी ने बताया कि, ‘दंतेवाड़ा जिले के 90 प्रतिशत से अधिक ईनामी नक्सलियों की पहचान कर ली गई है. सरकार द्वारा घर वापसी की मुहिम और सरेंडर पालिसी के तहत इन्हें भी आत्मसमर्पण करने की आजादी दी जाएगी. लेकिन यदि ये ऐसा नहीं
करते तो सुरक्षाबलों को इनके खिलाफ कार्यवाई करना पड़ेगा. दंतेवाड़ा के बाद अब बस्तर के 6 अन्य जिलों में भी ईनामी नक्सलियों की पहचान की जा रही है. उनका भी प्रोफाइल और डाटा तैयार किया जा रहा है. इससे सुरक्षाबलों को कार्यवाई करने के साथ साथ प्लानिंग और स्ट्रेटेजी निर्धारण में भी काफी मदद मिल रही है. एक फुलप्रूफ माओवाद विरोधी आपरेशन तैयार किया जा सकेगा.

सुंदरराज पी के अनुसार,’छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अब अपने चरम से वापसी के ओर है. अभी हम छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का प्री क्लाइमैक्स देख रहे हैं. एक बार प्रभावित पूरे क्षेत्र के नक्सलियों का डाटा बेस तैयार हो जाने के बाद माओवादी गतिविधियां अपने अंतिम दौर की ओर चल पड़ेंगी.’


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दिप्रिंट से बात करते हुए दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव ने बताया, ‘ये 405 सूचीबद्ध प्रोफाइल दंतेवाड़ा जिले के ईनामी नक्सलियों की हैं. ये सभी नक्सली शस्त्रधारी हैं और सुरक्षाबलों पर कई हमले करने के लिए भी जिम्मेदार हैं. यदि हम इनको पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं तो दंतेवाड़ा जिले में नक्सलवाद का अंत हो जाएगा. नक्सलियों के इस डाटा बेस के बाद अब राज्य की पुलिस और यहां तैनात अन्य सुरक्षाबलों को भी अपने कार्यवाई का दायरा और उसकी दिशा तय करने में सहूलियत होगी. इससे हमें माओवादी विरोधी ऑपरेशन्स की सफलता का मूल्यांकन करने और आगे की रणनीति बनाने में भी काफी मदद मिलेगी जो अभी तक संभव नही था.’ पल्लव के अनुसार अगले एक साल में सुरक्षाबलों ने यदि इनमें से 25 प्रतिशत को भी गिरफ्तार या मार गिराया तो यह बड़ी सफलता मानी जाएगी.

कितने के हैं ये ईनामी

अभिषेक पल्लव ने बताया कि इन 405 नक्सलियों में 25 लाख रुपए का एक, 10 लाख के दो, 8 लाख के 6, 5 लाख के 31, 3 लाख के 9, 2 लाख के 25 और एक लाख रुपए के 331 ईनामी हैं. इनमें करीब 325 नक्सली 18 से 35 वर्ष के हैं, 50 के करीब 35 से 57 वर्ष के हैं. सूची में 50 वर्ष से ऊपर मात्र 4 नक्सली हैं जिसमें 25 लाख का इनामी पवनडा रेड्डी उर्फ श्याम शामिल शामिल है. सूची के अनुसार तकरीबन 250 नक्सली 30 वर्ष से कम उम्र के हैं.

माओवादियों के ठिकाने और ट्रेनिंग स्थल भी चिन्हित

पल्लव का कहना है की पुलिस ने दरभा घाटी के नक्सलियों के छिपने और ठहरने के 13 ठिकाने, 5 प्रशिक्षण स्थल, 15 एम्बुश पॉइंट्स और आवाजाही के 4 विशेष रूट्स भी चिन्हित किए हैं. ठहरने के ठिकाने मुख्यतः मारजूम, चिकपाल, गोगुण्डा, नहाड़ी, मलांगेर, हिड़मा, काकाड़ी, बेड़मा और उनसे लगने वाले घने जंगलों, टेकरी और पहाड़ियां हैं. दरभा घाटी के नक्सलियों के ट्रेनिंग स्थलों में मुख्यतः मारजूम, गादम, आदवाल, पोरो हिड़मा गांवों की पहाड़ियों और घने जंगल हैं. वर्तमान में नक्सलियों की प्लाटून नम्बर 26 की ट्रेनिंग ओडिशा बॉर्डर में स्थित तुलसी डोंगरी पहाड़ी में चल रही है. इनके अलावा सुरक्षाबलों ने उन लोगों की भी सूची तैयार किया है जो नक्सलियों की लगातार मदद कर रहे हैं.

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