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Friday, 22 November, 2024
होमदेशमोदी सरकार द्वारा फंडिंग में कटौती की वजह से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की लड़ाई में कमी आई है : मंत्री

मोदी सरकार द्वारा फंडिंग में कटौती की वजह से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की लड़ाई में कमी आई है : मंत्री

छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू कहते हैं कि छत्तीसगढ़ भारत का सबसे अधिक नक्सलवाद से प्रभावित राज्य है. लेकिन मोदी सरकार ने 2014 से पुलिस आधुनिकीकरण बजट को 65 प्रतिशत तक घटा दिया है.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि 2014 में मोदी सरकार ने राज्य को केंद्र से नक्सलवाद विरोधी लड़ाई में शस्त्र खरीद और अन्य सुविधाओं के विकास के लिए जारी होने वाली पुलिस आधुनिकीकरण राशि 65 फीसदी तक कम कर दिया है. बजट में कमी और देर से फंड जारी करने के चलते राज्य को आधुनिक शस्त्रों की डिलिवरी भी लंबे समय से पेंडिंग है.

साहू ने आगे कहा, ‘उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में माओवाद की समस्या हमारी अपेक्षा नगण्य हैं लेकिन बजट की राशि सबसे अधिक उन्हें दी गई. मोदी सरकार छात्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है.’

साहू का कहना है कि छत्तीसगढ़ देश में माओवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है लेकिन मोदी सरकार ने नक्सलवाद से लड़ने के लिए पुलिस आधुनिकीकरण बजट में पिछले 6 सालों में लगातार कटौती की है. साहू का कहना है कि इससे प्रदेश सरकार द्वारा माओवादियों के खिलाफ लड़ाई विशेषकर आधुनिक शस्त्रों की खरीदी, दूरसंचार और फॉरेंसिक उपकरणों की खरीदी, सुरक्षाबलों की भर्ती, वाहन खरीदी, पुलिस विभाग के नए भवनों और सुरक्षाबलों के लिए निवास निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

भपेश बघेल सरकार में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने दिप्रिंट को बताया, ‘केंद्र पोषित पुलिस आधुनिकीकरण बजट का एक बड़ा हिस्सा नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए निर्धारित होता है. 2013-14 में प्रदेश का पुलिस आधुनिकीकरण बजट 56 करोड़ रुपए था जो 2020-21 में 20 करोड़ रह गया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी हमने 20 करोड़ का प्रस्ताव दिया था लेकिन राज्य को मिले मात्र 9.7 करोड़ रुपए. वहीं बिहार को 27.6 करोड़, ओडिशा को 15.6 करोड़, उत्तर प्रदेश को 63.19 और महाराष्ट्र को 47 करोड़ रुपए दिए गए.’

दिसंबर 2018 तक छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार थी. इसके बाद भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में आई थी.

पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत, नक्सल प्रभावित राज्यों को मुख्य रूप से लेफ्ट विंग एक्सट्रेमिसम से निपटने के लिए केंद्रीय आवंटन प्राप्त होता है.

दिप्रिंट टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय पहुंचा लेकिन इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

केंद्र को पत्र- आवंटन बढ़ाएं

ताम्रध्वज साहू ने हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखकर मांग की है कि पुलिस बल आधुनिकीकरण के तहत बजट राशि में वृद्धि की जाए. साहू ने 22 जुलाई को लिखे पत्र में कहा है, ‘विगत कुछ वर्षों से पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना के तहत प्राप्त होने वाली राशि में निरंतर कमी हो रही है. नक्सलियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही एवं राज्य पुलिस के संसाधनों में वृद्धि और आधुनिक बनाए जाने के लिए केंद्र समर्थित इस योजना के तहत राशि में वृद्धि किया जाए.’

साहू ने केंद्र सरकार को बताया कि राज्य के 14 जिले नक्सल समस्या से प्रभावित हैं, जिनमें से 8 जिले अत्यंत प्रभावित है. राज्य सरकार द्वारा जनशक्ति, बुनयादी सुविधाओं एवं पुलिस बलों के प्रशिक्षण की समीक्षा कर समस्या के निवारण हेतु आवश्यक कदम उठाएं गए हैं.

बजट राशि में वृद्धि की मांग के साथ साहू ने पत्र में कहा है कि राज्य बनने के समय प्रदेश में पुलिस बल की संख्या 22 हजार 520 थी, जो आज 75 हजार 678 हो गई है. इस दौरान राज्य में 11 नए राजस्व जिले बनाए गए, पुलिस थानों की संख्या 293 से बढ़कर 467 और चौकियों 57 से 115 हो गई हैं. एसटीएफ इकाईयों के अलावा 22 छत्तीसगढ़ सशस्त्र वाहिनियां भी स्थापित की गई हैं.

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री का कहना है कि केंद्र से उनकी चिट्ठी का अभी तक कोई जवाब नही आया है.


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फंड जारी किया

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार फंड की कमी के कारण राज्य पुलिस का डीआरडीओ को शस्त्र खरीद के लिए दिए जाने वाले नए ऑर्डर में लगातार देरी हो रही है. दूसरी तरफ पुलिस को पहले से ऑर्डर किए गए शस्त्रों की डिलीवरी 2-3 सालों से पेंडिंग है. पुलिस के आला अफसरों का कहना है कि नक्सल विरोधी अभियान के लिए आर्डर की गयी गई करीब 250 तिरुचिरापल्ली असाल्ट राइफल (टीआरओ) और इंसास (INSAS) राइफल में करीब 2-3 साल की देरी हो चुकी है. नाम जाहिर न करने को शर्त पर पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया की यह आर्डर 2017 में दिया गया था लेकिन उसकी डिलीवरी आज तक नही हो पाई है.

इसके अलावा 2018 में गृह विभाग द्वारा छोटी दूरी की मारक क्षमता वाली जॉइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (JVPC) की भी एक बड़ी खेप ऑर्डर की गई है. लेकिन केंद्र द्वारा बजट जारी न करने की वजह से इसकी डिलिवरी भी करीब एक साल से पेंडिंग है. ये तीनों राइफलें रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ)  द्वारा सभी राज्यों के पुलिस विभाग को मुहैया कराई जाती हैं. हमने जब छत्तीसगढ़ सरकार के आरोप पर केंद्र का मत जानना चाहा तो केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा किसी प्रकार का रिस्पांस नहीं मिल पाया.

संपर्क करने पर राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), योजना और प्रबंधन, आरके विज ने बताया, ‘केंद्र पोषित पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत मिलने वाले फंड में पिछले कुछ सालों से एक तो काफी कमी आ गयी है वहीं दूसरी ओर जो राशि मिली है वह भी काफी देरी से आती है. हालांकि शस्त्र खरीद के लिए पुलिस मॉडर्नाइजेशन फंड राज्य सरकार के प्रपोजल के बाद सीधे डीआरडीओ को दे दिया जाता है. लेकिन इसमें भी अब काफी देरी हो रही है.’

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