scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिमोदी सरकार की बड़े राजनयिक फेरबदल की तैयारी, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ताइवान भेजे जाएंगे नए राजदूत

मोदी सरकार की बड़े राजनयिक फेरबदल की तैयारी, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ताइवान भेजे जाएंगे नए राजदूत

नई दिल्ली की तरफ से विक्रम दुरईस्वामी, रुद्रेंद्र टंडन और गौरांगलाल दास को क्रमश: ढाका, काबुल और ताइपे भेजा जाएगा.

Text Size:

नई दिल्ली: भारत ने एक बड़े राजनयिक फेरबदल के तहत अपने आस-पड़ोस और उससे इतर कुछ महत्वपूर्ण कूटनीतिक स्थानों में बदलाव का फैसला किया है, खासकर ऐसे समय में जब वह कोरोनावायरस महामारी के बाद रणनीतिक रूप से बदली विश्व व्यवस्था का सामना करने के लिए तैयार हो रहा है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक भारत की तरफ से जल्द ही अपने उत्कृष्ट राजनयिकों विक्रम दुरईस्वामी, रुद्रेंद्र टंडन और गौरांगलाल दास को क्रमश: बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ताइवान भेजा जाएगा.

1992 बैच के आईएफएस अधिकारी दुरईस्वामी फिलहाल अतिरिक्त सचिव के तौर पर तैनात है, वह बांग्लादेश और म्यांमार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और वैश्विक संगठनों की जिम्मेदारी संभालते हैं. इससे पहले वह भारत-प्रशांत मामले देख रहे थे.

दुरईस्वामी, जिन्हें विदेश मंत्री एस. जयशंकर का पसंदीदा माना जाता है, 2018 तक दक्षिण कोरिया में भारत के राजदूत रह चुके हैं. वह 2012 से 2014 तक विदेश मंत्रालय में अमेरिकी प्रभाग के संयुक्त सचिव पद पर भी रहे, उस दौरान ही अमेरिका में भारतीय राजदूत के तौर पर जयशंकर का कार्यकाल चल रहा था.

धाराप्रवाह मंदारिन, फ्रेंच और उर्दू बोल लेने वाले दुरईस्वामी ताशकंद में भी भारत के राजदूत रह चुके हैं.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ढाका में नई दिल्ली के नए राजनयिक के तौर पर दुरईस्वामी वहां भारत की सशक्त मौजूदगी बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएंगे, साथ ही चीन के बढ़ते प्रभुत्व का खतरा भी दूर करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, इन कुछ महत्वपूर्ण जगहों में ‘अचानक’ फेरबदल की योजना कोरोनावायरस महामारी, जिससे पूरी दुनिया का परिदृश्य व्यापक स्तर पर बदल जाने के आसार हैं, के बीच चीन के साथ भारत के बढ़ते तनाव के मद्देनजर बनाई गई है. भारत बांग्लादेश में पाकिस्तान की तरफ से लगाई जा रही सेंध को लेकर भी चिंतित है.

बांग्लादेश में भारत के नए उच्चायुक्त के तौर पर दुरईस्वामी रीवा गांगुली दास की जगह लेंगे, जो विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) के तौर पर लौटने वाली हैं. वह सितंबर में सेवानिवृत्त होने जा रहे विजय ठाकुर सिंह का स्थान लेंगी.

दास के सामने कोविड-बाद के विश्व परिदृश्य में आसियान के साथ भारत के रिश्तों को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी होगी.


यह भी पढ़ें: भारत के प्रति चीन की दुश्मनी का रिकॉर्ड उसके ‘वुल्फ वॉरियर्स डिप्लोमेसी’ को दर्शाता है: ताइवान राजदूत


भारत के लिए बांग्लादेश का रणनीतिक महत्व

नई दिल्ली के लिए अपने रणनीतिक महत्व के मद्देनजर बांग्लादेश भारतीय राजनयिकों के लिए अहम स्थान बनता जा रहा है. मौजूदा समय में, पिछले साल पारित नागरिकता संशोधन कानून को लेकर रिश्तों में आए उतार-चढ़ाव के बावजूद ढाका को पड़ोस के घनिष्ठ सहयोगियों में से एक माना जा सकता है, जो कि तेजी से बीजिंग के रणनीतिक शिकंजे में फंसता जा रहा है.

मौजूदा विदेश सचिव हर्ष वी. श्रृंगला भी अमेरिका में भारतीय राजदूत बनने से पहले ढाका में भारतीय दूत के रूप में कार्य कर चुके हैं. शेख हसीना सरकार में श्रृंगला के कार्यकाल को अब भी बेहद सम्मान के साथ देखा माना जाता है.

बांग्लादेश मौजूदा समय में एकमात्र ऐसा पड़ोसी है जिसके साथ भारत भूमि सीमा समझौता (2015 में) करने में सक्षम रहा है. यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री हसीना दोनों ने एक-दूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं.

कुछ समय पहले नेपाल के साथ भारत के संबंध ऐतिहासिक तौर पर काफी बिगड़ गए थे. मई में, नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के विवादित क्षेत्रों को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दर्शाते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया और बाद में संविधान में संशोधन भी कर दिया.

इस बीच, सूत्रों के मुताबिक भारत रुद्रेंद्र टंडन, जो इस समय 10 सदस्यीय दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संगठन (आसियान) में दूत हैं, को काबुल भेज रहा है. वह विनय कुमार की जगह लेंगे.

यह नियुक्त ऐसे समय में महत्वपूर्ण मानी जा रही है जब अमेरिका तालिबान के साथ तथाकथित शांति समझौते पर अमल के बाद अफगानिस्तान से बाहर जाने की योजना बना रहा है. टंडन को इस इलाके का खासा अनुभव है क्योंकि वह बतौर संयुक्त सचिव पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान का जिम्मा संभाल चुके हैं, जिसे पीएआई डिवीजन भी कहा जाता है.

1994 बैच के आईएफएस अधिकारी, टंडन संयुक्त राष्ट्र में राजनीतिक मसलों के प्रभारी भी रह चुके हैं.

भारत-ताइपे एसोसिएशन में नए महानिदेशक

इस बीच, एक महत्वपूर्ण कदम के तहत, नई दिल्ली की तरफ से भारत-ताइपे एसोसिएशन, जो ताइवान के लिए एक राजनयिक मोर्चे के तौर पर काम करता है, में भारत के नए महानिदेशक के रूप में गौरंगालाल दास को भेजे जाने की पुष्टि भी सूत्रों ने की है.

चूंकि भारत वन-चाइना नीति का पालन करता है, इसलिए वह उस देश में राजदूत तैनात नहीं कर सकता है.

मंदारिन में प्रशिक्षित दास ने अमेरिका में भारतीय राजदूत के रूप में श्रृंगला के कार्यकाल के दौरान ट्रंप प्रशासन को मोदी सरकार के करीब लाने में निभाई अपनी भूमिका के कारण खासी प्रतिष्ठा हासिल की थी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments