मुंबई: एल्गार परिषद मामले में आरोपी कवि वरवर राव के परिवार ने रविवार को दावा किया कि उनकी सेहत बिगड़ रही है. उन्हें ‘मतिभ्रम है और वह बेसुध’ हैं. परिवार ने संबंधित अधिकारियों से उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की अपील की.
राव (81) फिलहाल महाराष्ट्र के नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं.
राव की पत्नी, बेटियों तथा परिवार के अन्य सदस्यों ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे उनकी ‘बिगड़ती सेहत’ को लेकर बेहद चिंतित हैं.
उन्होंने दावा किया कि राव की सेहत तब से बिगड़ती जा रही है जब उन्हें 28 मई 2020 को अचेत अवस्था में सरकारी जे जे अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
उन्होंने कहा कि तीन दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और तबियत में सुधार नहीं होने के बावजूद उन्हें वापस जेल भेज दिया गया.
राव की पत्नी ने कहा, ‘हम बहुत परेशान रहे क्योंकि पुलिस द्वारा मंजूर नियमित कॉल के दौरान (परिजन को) उनकी आवाज बेहद कमजोर थी, वह अजीब सी बातें कर रहे थे, अस्पष्ट थे और बोल नहीं पा रहे थे.’
उन्होंने दावा किया कि शनिवार को राव ने सेहत के संबंध में पूछे गए प्रश्नों का सही जवाब नहीं दिया और वह एक प्रकार के ‘मतिभ्रम और बेसुध अवस्था’ में चले गए. उन्होंने कहा कि राव अपने माता, पिता के अंतिम संस्कार की बातें करने लगे.
राव की पत्नी ने कहा कि राव के सह आरोपी ने उन्हें बताया है कि राव खुद से चल-फिर भी नहीं पा रहे है.
उन्होंने कहा, ‘हमें बताया गया कि उन्हें हमेशा मतिभ्रम रहता है कि वह रिहा होने वाले हैं और परिजन जेल के गेट पर उनका इंतजार कर रहे हैं.’
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उन्होंने कहा, ‘भ्रम, याददाश्त कम होना और बेतुकी बातें करना शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और सोडियम तथा पोटैशिम के स्तर के कम होने से होता है और इससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है.’
परिवार ने यह भी कहा कि तलोजा जेल में उनकी चिकित्सा स्थिति को संभाला नहीं जा सकता.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह बेहद आवश्यक है कि राव की जिंदगी बचाने के लिए उन्हें एक बेहतर अस्पताल में स्थानांतरित किया जाए.’
परिवार ने कहा कि वर्तमान में, वे राव के खिलाफ दर्ज मामले के सभी तथ्यों को एक तरफ रख रहे थे.
राव की पत्नी ने कहा, ‘हमारे लिए अभी उनका जीवन सबसे बड़ी चिंता का विषय है. हमारी वर्तमान मांग उनका जीवन बचाने की है. हम सरकार से उन्हें बेहतर अस्पताल में स्थानांतरित करने या हमें आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की अनुमति देने की मांग करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम सरकार को याद दिलाना चाहते हैं कि उसे किसी भी व्यक्ति को जीवन के अधिकार से वंचित करने का कोई अधिकार नहीं है, एक विचाराधीन कैदी का भी नहीं.’
गौरतलब है कि राव 22 महीने से जेल में हैं और उम्र के आधार पर राहत पाने, खराब स्वास्थ्य और कोविड-19 के खतरे जैसे मौकों पर उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है.