रायपुर:भूपेश बघेल सरकार राज्य की 16 सीमावर्ती आरटीओ चौकियों को खोलने का आदेश दिया है, जिसका विपक्ष में रहते हुए हमेशा विरोध करती रही थी. सत्ता में वापसी के करीब 18 महीनों बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 जुलाई को राज्य की सीमाओं पर 16 परिवहन जांच चौकियों को फिर से चालू करने का आदेश दिया और जिला परिवहन अधिकारियों को जल्द व्यस्थित करने का निर्देश दे दिया है. चौकियों को खोले जाने को लेकर सरकार अब तर्क दे रही है कि उसके इस निर्णय से राज्य को राजस्व मिलेगा और अवैध परिवहन के साथ ओवरलोडिंग पर भी ब्रेक लगेगा.
हालांकि विपक्ष में रहते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा की रमन सिंह सरकार के खिलाफ इन्ही चौकियों को बंद करने के लिए मुहिम चलाई थी. मामले को लेकर विधानसभा में भी हंगामा काटा था.
कांग्रेस पार्टी के इस विरोध के बाद और ट्रक चालकों को लगातार परेशान करने की शिकायतों के बाद भाजपा सरकार को इन चौकियों को 4 जुलाई 2017 को बंद करना पड़ा था. चौकियों को बंद किए जाने को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह ने बघेल सरकार के निर्णय के खिलाफ बोलते हुए यह माना कि ये परिवहन चौकियां सड़कों पर अनायास जाम लगने, अवैध वसूली और लूट खसोट का कारण बन गयी थीं इसलिए इन्हें बंद करना पड़ा था.
इसीबीच परिवहन चौकियों को बंद करने के लिए केंद्र सरकार ने एक महीने पहले ही मध्यप्रदेश और बिहार सरकार को पत्र लिखा है.
भाजपा का आरोप है कि भूपेश बघेल सरकार, बॉर्डर चौकियों को खोलने, पूर्ण शराबबंदी, रेत खनन का स्थानीय निकाय को अधिकार, किसानों को बोनस जैसे अनेक मुद्दों पर अब अपने ही वादों के विपरीत जा रही है.
भारतीय जनता पार्टी द्वारा किए जा रहे विरोध पर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, जब उन्होंने 13 साल तक परिवहन चौकियों को चालू रखा तब ये अवैध वसूली और लूट का अड्डा नहीं बनी थी क्या.
मोहम्मद अकबर आगे कहते हैं, ‘रमन सिंह भाजपा शासित दूसरे राज्य जहां चौकियां चल रही हैं उन्हें क्यों नहीं सलाह देते.’
अकबर ने यह भी कहा कि, ‘वर्तमान में दूसरे राज्यों से गाड़ियों का परिवहन बिना रोक टोक चल रहा है. आरटीओ चौकियों को दोबारा खोलने का मुद्दा प्रदेश की सुरक्षा और राजस्व की आय से भी जुड़ा है. इससे जहां एक ओर राज्य सरकार के लिए 200 करोड़ राजस्व अनुमानित है वहीं दूसरी ओर अवैध परिवहन और ओवरलोडिंग पर वेबब्रिज के माध्यम से रोक लगेगा.’
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सरकार का बचाव
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक मोहन मरकाम विपक्ष के आरोपों पर दिप्रिंट से कहतें हैं, ‘जहां तक परिवहन चौकियों को खोलने की बात है सरकार ने इसमें राज्य का हित देखा है तभी यह कदम उठाया है.’
उन्होंने कहा, ‘विपक्ष में रहते हुए हमारा चौकियों का विरोध भाजपा के सरकार में व्याप्त अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के खिलाफ था. लेकिन भूपेश बघेल सरकार ने बहुत सोच समझकर निर्णय लिया है. हम काम भी करेंगे और इन चौकियों को भ्रष्टाचार का अड्डा भी नहीं बनने देंगे. सरकार के इस कदम से राज्य को आवश्यक राजस्व भी मिलेगा और अवैध परिवहन पर नियंत्रण लगेगा. इसके नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों पहलू है, लेकिन सरकार को थोड़ा समय दीजिए. ‘
केंद्र ने राज्यों को चौकियां बंद करने को लिखा पत्र
छ्त्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय केंद्र सरकार की चिंताओं से विपरीत हैं. करीब एक महीने पहले ही लगातार शिकायतें मिलने के बाद 16 जून को केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश और बिहार सरकार को एक चिट्ठी लिखकर साफ किया था की जीएसटी लागू होने के बाद चौकियों का औचित्य खत्म हो गया था लेकिन इन राज्यों में चौकियों के माध्यम से अधिकारी अभी भी कुछ ट्रक चालकों को परेशान कर रहें हैं.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को इस पत्र में लिखा है कि इन चौकियों को तुरंत बंद कराया जाए. केंद्र के पत्र में साफ लिखा गया है कि ये चौकियां एक संगठित अपराध का अड्डा बन गई हैं, यहां ट्रक चालकों को परेशान किया जा रहा है और बेवजह उनका चालान किया जाता है.
हालांकि दिप्रिंट द्वारा जब राज्य के अधिकारियों से केंद्र के पत्र और राज्य सरकार के फैंसले के संबंध में संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस मामले में या तो बोलने से मना कर दिया या फिर बात ही नही की. राज्य के मुख्य सचिव आरपी मंडल ने कहा, ‘इस मामले में मैं कुछ नही बोल सकता, संबंधित विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं.’
वहीं परिवहन सचिव कमलप्रीत सिंह से जब बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने मैसेज में जवाब दिया की वे बात नही कर सकते. हमने जब उनसे दोबारा बात करना चाहा तो उन्होंने कोई रिस्पांस नही दिया.
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‘चौकियां अवैध कमाई का जरिया’
विपक्ष के नेता और भाजपा के विधायक बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि परिवहन जांच चौकियों का अब कोई औचित्य नही है, यह ट्रांसपोर्टर्स से अवैध वसूली और गाड़ी चालकों को बेवजह परेशान करने का जरिया ही बनेगा.
अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया,’ तीन साल पहले जब हमारी सरकार थी उस वक्त कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं ने आंदोलन किया, विधानसभा में भी मामले को उठाया जिसके बाद इन्हें बंद भी कर दिया गया. और अब वही लोग चौकियों को फिर से चालू कर रहे हैं. इससे इनकी मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगता है.
उन्होंने आगे कहा, ‘जीएसटी रेजीम में किसी भी सरकार द्वारा चौकी बनाना अप्रासंगिक है. छ्त्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय से चौकी रॉज की वापसी होगी जिसका अर्थ है करोड़ों की हेराफेरी और अधिकारियों द्वारा अवैध वसूली का धंधा.’
वह आगे कहते हैं, ‘इतना ही नही इसके तहत एक ऐसा सरकारी अमला तैयार होगा जिसमें अधिकारियों की नियुक्तियों और ट्रांसफर का करोड़ों का खेल होगा. जब जीएसटी के लिए पूरे देश में कोई परिवहन चौकी या नाका नही बना तो छ्त्तीसगढ़ सरकार द्वारा चौकियों के दोबारा खोलने का क्या औचित्य है.’
अग्रवाल का कहना है कि आईटी के इस दौर में चौकियों की आवश्यकता और भी नगण्य हो गई है.
शराबबंदी पर भी पलटी बघेल सरकार
ऐसा नहीं है की भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छ्त्तीसगढ़ सरकार का अपने वादों से मुकरने का यह पहला मामला है. इससे पहले सरकार ने 2018 विधामसभा चुनाव में वादा किया था कि सत्ता में आएंगे तो राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू होगी लेकिन इसके विपरीत सरकार ने स्वयं ही शराब की बिक्री शुरू कर दी. ऊपर से कोरोनकाल काल में शराब पर कोरोना टैक्स के नाम से अधिभार लगाकर इस वित्तीय वर्ष में 200 करोड़ अतिरिक्त आय का लक्ष्य भी रखा.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय कहते हैं,’कांग्रेस ने जनता से लोक लुभावन वादे करके सत्ता हासिल कर लिया लेकिन अब उन्हें पूरा करने से पीछे हट रही है. शराबबंदी के मुद्दे पर तो सीधा यू-टर्न ले लिया है. कहीं न कहीं उनकी मंशा साफ नही है. अपने लोगों को व्यक्तिगत फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.”
इस पर कांग्रेस पार्टी के मरकाम ने दिप्रिंट से विशेष बातचीत में कहा , ‘इन पांच सालों के लिए सरकार ने जो भी वादे किये हैं वह पूरा करेगी. पूर्ण शराबबंदी के संबंध में सरकार ने एक कदम आगे बढ़ा दिया है और समितियां बनाकर इसे लागू करने के लिए अध्ययन कर रही है. दूसरे राज्यो में लागू शराबबंदी के कानून को भी समझने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार अपने सभी वादों को अमल में जरूर लाएगी. अभी सिर्फ 18 महीने ही हुए हैं. अबतक सभी कदम सराहनीय हैं.’
भूले किसानों को
बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कांग्रेस ने अपने 2018 के चुनावी मैनिफेस्टो में वादा किया था कि भाजपा सरकार सरकार द्वारा 2015-16 और 2016-17 में किसानों को बोनस का भुगतान नही किए जाने पर सत्ता में आए तो उनकी सरकार करेगी लेकिन अब उन्होंने यह भूला दिया है.
भाजपा विधायक कहते हैं, ‘कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि वे सत्ता में आए तो किसानों को वे दो साल का बोनस देंगे लेकिन पिछले 18 महीनों के कार्यकाल में सार्वजनिक रूप इसका जिक्र भी नही किया. मुख्यमंत्री सिर्फ इसी उधेड़बुन में लगे हैं की उनकी सरकार चलती रहे. सरकार द्वारा किसानों को बोनस देने के वादा खिलाफी पर अपनी नीयत साफ करना चाहिए.’
बता दें कि तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा किये गए वादे के अनुसार किसानों का 2015-16, 2016-17 में धान खरीदी का 4000 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बोनस अभी भी बकाया है.
अवैध रेत खनन और बेरोजगारी
लगातार कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार को घेर रही विपक्ष में बैठी भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार ने रेत खनन के काम का केंद्रीयकरण कर दिया है. जिसकी वजह से रेत के दाम में कई गुना वृद्धि हो गई है.
अग्रवाल का कहते हैं कि, ‘हमारी सरकार में रेत खनन की रॉयल्टी पंचायत और स्थानीय निकायों को जाती थी क्योंकि इसका संचालन भी वे ही करते थे, लेकिन अब सरकार इसे खुद कर रही है. खनन का पूरा काम अपने लोगों के हवाले कर दिया है. एक परमिट में 10 से ज्यादा ट्रक रेत निकाली जा रही है और सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है. जितने शराब ठेकेदार थे अब रेत खनन का काम कर रहे है. तीन साल पहले तक 2500-3000 हजार रुपए रेत का दाम अब 10,000 हजार रुपए प्रति ट्रक तक पहुंच गया है.’
विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी द्वारा किए कुछ वादों में बेरोजगारी भत्ता भी एक अहम मुद्दा था. सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई निर्णय नही लिया है. अब विपक्ष का कहना है कि सरकार बेरोजगारी भत्ता देने के लिए किसका इंतजार कर रही है. रमन सिंह ने इस मुद्दे पर अपने द्वारा जारी एक वीडियो ट्वीट में सरकार में कहा है कि राज्य सरकार उसके द्वारा पूर्व में किये गए वादों को पूरा करने पर एक श्वेतपत्र जारी करे.
सिंह की दलील है कि उनकी सरकार के दौरान कांग्रेस के नेता विकास के हर मुद्दे का रेडीमेड ब्लूप्रिंट होने की बात करते थे लेकिन सत्ता में आने के बाद वे ब्लूप्रिंट कहीं दिखाई नही दे रहे हैं. वहीं अग्रवाल ने कहा,’सरकार के 18 महीने से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन इस मुद्दे पर उसने अब बोलना छोड़ दिया है. आखिर बेरोजगारों को उनके हक से वंचित करने का क्या कारण है.’