scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशविकास दुबे का एनकाउंटर योगी सरकार की 'ठोक दो' नीति का ही उदाहरण, पहले हुए कई एनकाउंटर भी संदेह के घेरे में

विकास दुबे का एनकाउंटर योगी सरकार की ‘ठोक दो’ नीति का ही उदाहरण, पहले हुए कई एनकाउंटर भी संदेह के घेरे में

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन पर काम करने के तौर-तरीकों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. कानपुर की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि सारे संदेहास्पद एनकाउंटर्स की जांच होनी चाहिए.

Text Size:

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर से न सिर्फ राज्य की पुलिस के एनकाउंटर के तौर तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं बल्कि इसने योगी सरकार की ‘ठोक दो’ नीति को फिर से सवालों के घेरे में ला दिया है.

दरअसल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीएम पद ग्राहण करने के बाद एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर अपराधी अपराध करेंगे तो ठोक दिए जाएंगे जिसके बाद राज्य में एक के बाद एक एनकाउंटर हुए जिनमें कई संदेहास्पद रहे हैं.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार सुबह हुए दुबे के इनकाउंटर पर कहा, ‘दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज़ खुलने से सरकार पलटने से बचाई गयी है.’ एक टीवी चैनल से बातचीत में अखिलेश यादव ने इसे योगी सरकार की ठोको नीति का उदाहरण भी बताया.

वहीं मायावती और प्रियंका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग की है.

ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट व कानपुर की पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने दिप्रिंट से कहा, ‘सारे संदेहास्पद एनकाउंटर्स की जांच होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘अभी तक इस सरकार में एनकाउंटर्स के टारगेट गरीब लोग हुआ करते थे. इनमें दलित, मुस्लिम काफी थे. विकास दुबे जैसों पर ध्यान ही नहीं दिया.’

उन्होंने कहा, ‘कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव का रोल भी संदेहास्पद है. सोची समझी नीति है. कुछ खास लोगों को टार्गेट किया गया. इतनी बड़ी घटना हुई तो पुलिस को होश आया जब प्रेशर पड़ा है. मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता भी शामिल हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में इस एनकाउंटर के खिलाफ याचिका भी दायर की गई है.’


यह भी पढ़ें: कानपुर पुलिस हत्याकांड का मुख्य आरोपी विकास एनकाउंटर में ढेर, हथियार छीनकर की थी भागने की कोशिश


नाटकीय ढंग से एनकाउंटर पर सवाल

यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों के जवाब देने के बजाए कहा कि गाड़ी पलटने के दौरान विकास ने पुलिस की बंदूक छीनकर हमला करने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई की जिसमें विकास घायल हो गया और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.

प्रशांत के मुताबिक पुलिसकर्मियों ने उसे आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन विकास दुबे ने जान से मारने के लिए पुलिस टीम पर फायरिंग की जिसके बाद सेल्फ डिफेंस में यूपी एसटीएफ ने उसे मारा.

यूपी के पूर्व डीजीपी आनंद लाल बैनर्जी ने दिप्रिंट से कहा, ‘रुटीन एनकाउंटर जैसे कश्मीर, छत्तीसगढ़ में या पहले जब यूपी में डकैतों के बड़े गैंग रहते थे, उन हालातों में एनकाउंटर करना पड़ जाता है लेकिन जहां पर अपराधी को जेल तक पहुंचाना आसान हो वहां एनकाउंटर्स ठीक नहीं है.’

उन्होंने कहा कि इसको इस तरह से समझें कि एनकाउंटर्स कभी समाधान नहीं होते. हमें पुलिसिंग सिस्टम में बदलाव लाना पड़ेगा. लॉ एंड ऑर्डर केवल एनकाउंटर्स से नहीं सुधरता है. उस नेक्सस को तोड़ना भी जरूरी है जिनमें विकास दुबे जैसे लोग गैंगस्टर बनते हैं.


यह भी पढ़ें: एनकाउंटर- कब, क्या, कैसे हुआ, एससी में देर रात याचिका दाखिल कर क्या मांग की थी विकास दुबे ने


एनकाउंटर से पहले मीडिया को दूर किया गया

विकास दुबे का एनकाउंटर कानपुर जिले से लगभग 2 किमी. पहले हुआ. इस दौरान कवरेज करने जा रही मीडिया को वाहन चेकिंग के बहाने रोका गया. न्यूज एजेंसी एएनआई ने इसका वीडियो भी ट्वीट किया है. लगभग 15 मिनट तक जाम लगा रहा. इस 15 मिनट में विकास का एनकाउंटर कर दिया गया. पुलिस द्वारा बताया गया कि विकास पुलिस की बंदूक छीनकर भागने की कोशिश कर रहा था इस दौरान उसका एनकाउंटर हो गया.

बता दें कि पुलिस को छह दिन तक छकाने के बाद गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में विकास दुबे की नाटकीय ढंग से गिरफ्तारी हुई थी.

यूपी पुलिस की ओर से दिसंबर 2019 में एक ट्वीट करके बताया गया था कि बीते लगभग दो साल में 5178 मुठभेड़ें हुई हैं जिनमें 103 अपराधी मारे गए और 1859 घायल हुए. इसके अलावा 1745 अपराधियों ने सरेंडर कर दिया या खुद ही अपनी बेल कैंसिल करवा ली. इन आंकड़ों को योगी सरकार ने अपनी तीन साल की उपलब्धियों में भी गिनाया था और कहा था कि अपराधियों के मन में अब खौफ पैदा हो गया है.

पुराने एनकाउंटरों की याद दिलाती ये घटना

8 अक्टूबर 2019 को झांसी में पुष्पेंद्र यादव नाम के 28 वर्षीय युवक का एनकाउंटर हुआ था. उसे खनन माफिया बताते हुए कहा गया कि उसका ट्रक अवैध खनन के मामले में सीज कर दिया गया जिसके बाद उसने पुलिस पर हमला किया और गोली पुलिस के शरीर के पास से होते हुए निकली. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली पुष्पेंद्र को लग गई और वह मारा गाया.

इस मामले पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए इसे हत्या बताया था.

27 नवंबर 2018 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक कथित मुठभेड़ में मुजफ्फरनगर जिले के 20 वर्षीय युवक इरशाद अहमद की गोली मार कर हत्या कर दी थी. उसके पिता ने कहा है कि उसके बेटे का कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है. इसके बाद एनएचआरसी की ओर से योगी सरकार को नोटिस दिया गया जिसमें स्थानीय खबरों का जिक्र करते हुए इसे फर्जी मुठभेड़ और सुनियोजित हत्या बताया गया.


यह भी पढ़ें: दिल्ली में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए 82 बांग्लादेशी नागरिकों को जमानत मिली


13 अक्टूबर 2018 को यूपी के संभल में एक गन्ने के खेत में छुपे इनामी बदमाश को करीब एक दर्जन पुलिसकर्मियों ने घेर लिया. लेकिन जब एनकाउंटर की नौबत आई तो कई कोशिशों के बाद भी पुलिस की बंदूक से गोली नहीं चली तो एक पुलिसवाले ने मुंह से ही ठांय-ठांय कर बदमाशों को डराने की कोशिश की जिसका वीडियो भी काफी वायरल हुआ. इसके बाद दो बदमाशों को गोली लगी और तीन पुलिसवाले घायल हुए.

17 जनवरी 2018 को मथुरा में बदमशों से मुठभेड़ के दौरान पुल‍िस की गोली से एक 8 साल के बच्चे की मौत का मामला सामने आया था. पर‍िजनों का आरोप था कि पुल‍िस की गोली से उनके बच्चे की मौत हुई है. घटना के बाद पुल‍िसकर्मी भी मौके से फरार हो गया था. गंभीर हालत में बच्चे को हॉस्प‍िटल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोष‍ित कर द‍िया.

सुप्रीम कोर्ट की ओर से 14 जनवरी 2019 को योगी सरकार को फेक एनकाउंटर से जुड़ी याचिका पर नोटिस भेजा गया था. 25 फरवरी को सीएम योगी ने विधानसभा में भी इसका जवाब देते हुए कहा था कि यूपी में एक भी एनकाउंटर फर्जी नहीं हुआ है.

share & View comments