नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के एक बार फिर बृहस्पतिवार को खंडन के बाद कि कोविड-19 का कोई सामुदायिक प्रसारण या कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से एक दस्तावेज हटाया है जिसमें दावा किया गया था कि भारत में अप्रैल में सीमित तौर पर कम्युनिटी फैलाव शुरू हो गया था.
दिप्रिंट ने दस्तावेज़ के बारे में इस सप्ताह के शुरुआत में बताया था. दस्तावेज़ को वेबसाइट पर 4 जुलाई को अपलोड किया गया था. मंत्रालय ने 5 जुलाई को ट्विटर पर दस्तावेज़ का लिंक भी पोस्ट किया था लेकिन अब यह काम का नहीं.
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— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) July 5, 2020
गुरुवार की रात, ‘जनरल मेडिकल एंड स्पेशलाइज्ड मेंटल हेल्थ केयर सेटिंग्स के लिए मार्गदर्शन’ पर एक नया दस्तावेज़ अपलोड किया गया था और समुदाय के ट्रांसमिशन के बारे में उल्लेख करने वाले पैराग्राफ को हटा दिया गया है.
पैराग्राफ जिस चैप्टर से हटाया गया है, उसका शीर्षक ‘दि कोविड-19 महामारी और मानसिक स्वास्थ्य- एक परिचय’ है, पढ़ें: ‘इसके प्रकाशन के समय, अप्रैल 2020 की शुरुआत में, भारत अभी भी सीमित समुदाय के प्रसार के स्तर पर है और कैसे इस महामारी को सामने लाया जाए इसको लेकर कोई आइडिया नहीं है. मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं का एक बड़ा हिस्सा अब तक दुनिया के अन्य देशों में जो हुआ है, उसके प्रति प्रतिक्रियावादी है, जो आगे आने वाले समय में लॉकडाउन की प्रतिक्रियाओं से डर और जमा हो सकता है.’
इस पैराग्राफ को हटाने के अलावा, मनोचिकित्सा विभाग, निम्हांस द्वारा तैयार किए गए नए दस्तावेज़ में कुछ भी नहीं बदला गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एक गलती की गई थी और अब ठीक कर दी गई है. इसमें कुछ और नहीं है.’
कम्यूनिटी ट्रांसमिशन बनाम लोकल प्रकोप
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की परिभाषा के अनुसार कहा जाता है कि देश /क्षेत्रों में सामुदायिक प्रसारण या कम्युनिटी ट्रांसमिशन उस स्थिति को कहा जाता है, जिनमें लोकल लेवल पर प्रकोप होता है लेकिन यह सीमित नहीं है.
– बड़ी संख्या में मामले ट्रांसमिशन चेन से जुड़े नहीं हैं.
– सेंटिनल लैब सर्विलांस से बड़ी संख्या में मामले
– देश के कई क्षेत्रों में एकाधिक असंबंधित क्लस्टर
गुरुवार को कोविड-19 पर एक सरकारी ब्रीफिंग के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय में ऑफिसर-इन-स्पेशल-ड्यूटी (ओएसडी) राजेश भूषण ने दावा किया कि भारत कम्युनिटी ट्रांसमिशन में नहीं है लेकिन कुछ क्षेत्रों में ‘स्थानीय प्रकोप’ देखा गया है.
कोविड के संदर्भ में स्थानीयकृत या लोकल प्रकोपों को खराब तरीके से परिभाषित किया गया है. भूषण ने भी एक परिभाषा को दरकिनार कर दिया और कहा ‘यहां तक कि डब्ल्यूएचओ इसे परिभाषित नहीं करता है.’
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उन्होंने इस तथ्य का दावा किया कि देश में 80 प्रतिशत कोविड मामले 49 जिलों में केंद्रित हैं. यह दर्शाता है कि अभी तक कोई कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आठ राज्य (महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात) कोविड के संक्रमण में लगभग 90 प्रतिशत योगदान करते हैं.
भूषण ने कहा कि इसके अलावा, छह राज्यों (महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) की कुल मौतों में 86 प्रतिशत की मृत्यु हुई है और 32 जिलों में 80 प्रतिशत लोगों की मौत हुई है.
‘हॉटस्पॉट्स में हो सकता है सामुदायिक प्रसार’
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने कि शर्त पर कहा कि सामुदायिक प्रसारण या कम्युनिटी ट्रांसमिशन कम से कम सीमित क्षेत्रों जैसे हॉटस्पॉट्स में हो रहा है.
अधिकारियों के अनुसार, कुछ ने रिकॉर्ड में आंतरिक सरकार की बैठकों में बताया उनके दृढ़ विश्वास ने कि ट्रांसमिशन के चरण और आरटी-पीसीआर परीक्षणों की उच्च लागत को देखते हुए भारत को यह चुनना शुरू करना चाहिए कि किसको परीक्षण करना है. लेकिन सरकार में कई लोग उस तर्क से सहमत नहीं थे.
‘शायद यह कहना सही नहीं है कि कहीं भी सामुदायिक प्रसारण या कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है. हां, कोई देशव्यापी कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं है, जिसे हम निश्चित रूप से कह सकते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, लेकिन यह लगभग तय है कि कम से कम ज्यादा बोझ वाले जिलों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है.’
‘मैं कहूंगा कि यह दिल्ली के कुछ हिस्सों में भी हो रहा है. लेकिन इस बात की चिंता है कि इसकी घोषणा करने से वहां पहले से भी ज्यादा दहशत पैदा होगी.’
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