नई दिल्ली: गृह मंत्रालय द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों में परीक्षा कराने को दी गई हरी झंडी के बाद जानकारी सामने आई है कि ये परीक्षाएं सिंतबर में होंगी. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करके परीक्षा के संभावित समय की जानकारी दी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को एक आदेश में शिक्षा मंत्रालय को यूनिवर्सिटी और संस्थानों में परीक्षा करवाने की अनुमति दे दी है. आदेश के मुताबिक फाइनल ईयर की परीक्षा अनिवार्य बना दी गई है. यानि डिग्री पाने के लिए छात्रों को ये परीक्षा देनी होगी.
गृह मंत्रालय ने उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे को लिखी गई एक चिट्ठी में शिक्षा मंत्रालय को ये अनुमति दी है. इन परीक्षाओं को करवाने के लिए संस्थानों को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की गाइडलाइन का पालन करना होगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स (एसओपी) का भी पालन करना होगा.
प्रेस रिलीज़ में यूजीसी ने जानकारी दी है कि फ़ाइनल इयर की परीक्षाएं सिंतबर के अंत में कराई जाएंगी. इन्हें कराने के लिए ऑफ़लाइन (पेन-पेपर), ऑनलाइन (इंटरनेट) और मिले-जुले प्रारूप का सहारा लिया जाएगा. बैकलॉग वाले फ़ाइनल इयर के छात्रों को भी इन्हीं माध्यमों के जरिए परीक्षा देनी होगी, जिसके आधार पर उनका मूल्यांकन होगा.
University Grants Commission (UGC) issues revised guidelines regarding conduct of terminal semesters/final year examination by the Universities/institutions. Examinations to be completed by end of September 2020 in offline/online/blended (online+offline) mode. pic.twitter.com/Nc8BrLPgXI
— ANI (@ANI) July 7, 2020
यूजीसी ने कहा, ‘भारत में कोविड- 19 की स्थिति को देखते हुए और छात्रों के स्वास्थ्य एवम् सुरक्षा का ख़्याल रखते हुए बराबरी भरा अवसर मुहैया कराना ज़रूरी है. वहीं, अकादमिक विश्वसनीय, करियर से जुड़े अवसर और वैश्विक स्तर पर छात्रों के विकास को भी ध्यान में रखना इतना ही अहम है.’
अगर कोई छात्र यूनिवर्सिटी द्वारा कराई गई फ़ाइनल ईयर की परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है, तो वो उसे ऐसे कोर्स या पेपर के लिए स्पेशल परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी. ऐसी परीक्षाओं को यूनिवर्सिटी परिस्थिति और अपनी सहूलियत के हिसाब से करा सकती है. इस प्रस्ताव को सिर्फ़ 2019-20 के अकादमिक सत्र के लिए महज़ एक बार के लिए रखा गया है.
यूजीसी का कहना है कि शिक्षा के किसी भी सिस्टम में छात्रों का अकादमिक मू्ल्यांकन बहुत ज़रूरी होता है. वहीं, परीक्षा में प्रदर्शन से छात्रों को आत्मविश्वास और संतुष्टि मिलती है. इससे क्षमता, प्रदर्शन और भरोसा का भी पता चलता है जो कि वैश्विक स्वीकार्यता के लिए अहम है.
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इंटरमीडिएट सेमेस्टर/ईयर की परीक्षा को लेकर 29 अप्रैल को जो गाइडलाइन आई थी. उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. यूजीसी का कहना है कि ज़रूरत पड़ने पर 29 अप्रैल की गाइडलाइन में जिन जगहों का ज़िक्र है वहां की यूनिवर्सिटी और कॉलेज में दाख़िले और अकादमिक कैलेंडर से जुड़ी जानकारी अलग से जारी की जाएगी.
अप्रैल महीने में यूजीसी ने एक विशेषज्ञों की समिति का गठन किया था. इसका काम परीक्षा और अकादमिक सत्र से जुड़ी सिफ़ारिशें देना था. इसी की रिपोर्ट के आधार पर यूजीसी ने 29 अप्रैल को गाइडलाइन जारी की गई थी. कोविड-19 के मामलों की संख्या को बढ़ते देखर यूजीसी ने विशेषज्ञों की समिति से अनुरोध किया था कि वो गाइडलाइन पर फ़िर से विचार करे और यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में परीक्षा और दाख़िले से जुड़ी सिफ़ारिशें दे.
समिति से नए अकादमिक सत्र को शुरू करने से जुड़ी सिफ़ारिशें भी मांगी गई थीं. सोमवार को हुई मुलाकात में यूजीसी ने समिति की सिफ़ारिशें मान लीं. इन्हीं सिफारिशों वाली रिपोर्ट में परीक्षा से जुड़ी ताज़ा जानकारी और फ़ैसले सामने आए हैं.