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Thursday, 2 May, 2024
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ओपन बुक परीक्षा के खिलाफ डीयू के वीसी को खुला पत्र, मिरांडा हाउस समेत कई कॉलेजों ने खोला मोर्चा

ओपन लेटर में ये भी कहा गया है कि यूनिवर्सिटी ने छात्रों का सिलेबस पूरा नहीं करवाया. छात्रों का कहना है, 'बैग़र सिलेबस पूरा करवाए परीक्षा करवाने किसी मजाक से कम नहीं है.'

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नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में होने वाली ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा का विरोध लगातार जारी है. इस विरोध का ताज़ा हिस्सा बनने वालों में भारत के नंबर 1 कॉलेज मिरांडा हाउस समेत डीयू के कई अन्य कॉलेज शामिल हैं. ऐसे करीब आधा दर्जन कॉलेजों के छात्रों ने डीयू के वीसी योगेश त्यागी को इसके खिलाफ खुले पत्र लिखे हैं.

जिन कॉलेजों के छात्रों ने वीसी त्यागी को खुला पत्र लिखा है, उनमें मिरांडा हाउस के अलावा लेडी श्रीराम कॉलेज फ़ॉर वुमेन, ज़ाकिर हुसैन कॉलेज, स्टूडेंट ऑफ़ लॉ फ़ैकल्टी डीयू, इंद्रप्रस्थ कॉलेज फ़ॉर वुमेन, किरोड़ीमल कॉलेज और शिवाजी कॉलेज शामिल हैं.

ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा के विरोध में मिरांडा हाउस ने लिखा है, ‘परीक्षा एक कोर्स के प्रति छात्र की समझ का आंकलन करने से जुड़ा एक टेस्ट होना चाहिए. ये किसी के आर्थिक और सांस्कृतिक ताकत का टेस्ट नहीं होना चाहिए.’ अन्य कॉलेजों ने भी ऐसी ही तरह की बातें कहते हुए ओपन बुक परीक्षा का विरोध किया है.

दरअसल, डीयू में 26 मई को हुए एक सर्वे की मानें तो 85 प्रतिशत छात्र ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा के विरोध में है. दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन द्वारा कराए गए इस सर्वे में 52,000 छात्रों ने भाग लिया था. इसमें छात्रों के पास खराब इंटरनेट कनेक्शन एक बड़ी वजह बनकर उभरी.

ओपन लेटर में ये भी कहा गया है कि यूनिवर्सिटी ने छात्रों का सिलेबस पूरा नहीं करवाया. छात्रों का कहना है, ‘बैग़र सिलेबस पूरा करवाए परीक्षा करवाने किसी मजाक से कम नहीं है. कुछ कॉलेजों में ऑनलाइन क्लासें चलवाईं गईं. लेकिन इनके अटेंडेंस को देखें तो सारी सच्चाई सामने आ जाती है.’

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छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी के मुताबिक 4जी नेटवर्क परीक्षा देने के लिहाज़ से सबसे बेहतर रहेगा. लेकिन देश के कई हिस्सों में इंटरनेट की हालत बेहद ख़राब है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में 4जी नेटवर्क चल ही नहीं रहा. ये बात भी लगातार उठती रही है कि 24 मार्च को हुई लॉकडाउन की घोषणा से पहले बच्चे होली मनाने घर निकल गए थे.

छात्रों ने कहा है, ‘जैसा कि हम सब कम समय के लिए घर गए थे, हम किताबें और नोट्स साथ नहीं ले जा सके और लॉकडाउन की वजह से फंसे रह गए. ऐसे में हमारे पास ‘ओपन’ करने के लिए किताब नहीं है और हम ओपन बुक परीक्षा नहीं दे सकते.’

ये भी कहा गया है कि घर गए छात्रों के पास निजी कमरा नहीं होता और परीक्षा जैसी स्थिति में अगर वो अकेले नहीं रहेंगे तो उनका ध्यान नहीं लगेगा. ये तर्क भी दिया गया है कि महिला छात्रों को घर के काम में भी हाथ बंटाना पड़ता है. ऐसे में वो कब पढ़ेंगे और कब परीक्षा देंगी.

छात्रों ने लॉकडाउन के मेंटल हेल्थ पर असर की बात भी उठाई है. उनका कहना है, ‘कई लोग ऐसे लोगों के साथ फंसे जो उनके साथ हिंसा करते हैं. उनकी मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो परीक्षा दे सकें.’ दिव्यांग छात्रों का मुद्दा उठाते हुए कहा गया है कि जो देखने में असक्षम हैं. उन्हें बाकी छात्रों के साथ इस परीक्षा में शामिल करना अन्यायपूर्ण होगा.

बीएसी और बीकॉम के छात्रों के प्रैकिटल में होने वाली दिक्कत की भी बात उठाई गई है. इन्हीं तर्कों के साथ ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा का विरोध लंबे समय से जारी है. इस विषय पर डूटा ने 17 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था और उनसे हस्ताक्षेप की मांग की थी.

डूटा ने चेंज.ओआरजी पर यूनिवर्सिटी में प्रस्तावित ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा के ख़िलाफ़ एक पिटीशन डाली थी. इसको 15,000 से अधिक लोगों का समर्थन मिला है. डूटा के मुताबिक इसका समर्थन करने वाले 15,701 लोगों में डीयू के शिक्षक, छात्र और छात्रों के परिजन शामिल हैं. इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को भेजे ख़त में दी गई थी.

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 30 मई को अंडर ग्रैजुएट छात्रों की इस ओपन बुक ऑनलाइन परीक्षा से जुड़ा एक नोटिफिकेशन जारी किया. इसके 16वें प्वाइंट में लिखा है कि जो इसमें शामिल नहीं हो पाएंगे उन्हें स्थिति सामान्य होने और यूनिवर्सिटी लौटने पर परीक्षा दोने का मौका मिलेगा. ऐसे छात्र संभावित तौर पर सितंबर में परीक्षा का फॉर्म भर सकते हैं.

हालांकि, नोटिफिकेशन के विरोध में छात्रों और डूटा का कहना है कि इससे समृद्ध बच्चों को तो दो बार मौक़ा मिलेगा लेकिन जो कमज़ोर हैं उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ेगा. दरअसल, नोटिफिकेशन के चौथे प्वाइंट में इसमें शामिल होने वाले छात्रों को ग्रेड सुधारने के लिए फिर से मौका दिए जाने की बात भी कही गई है.

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