ठाणे: आंकड़े बताते हैं कि कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में ठाणे के सामने एक दीवार खड़ी हो गई है- अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स से लैस बेड्स की.
दिप्रिंट के हाथ लगे सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 4 जुलाई तक शहर में कोविड-19 के 11,214 मामले आ चुके थे और 2 जुलाई से हर रोज़ 451 नए मामले सामने आ रहे थे. लेकिन मुम्बई से सटे हुए ठाणे शहर में, केवल 293 आईसीयू बेड्स और 568 ग़ैर-आईसीयू बेड्स हैं.
शहर में ऑक्सीजन सुविधाओं से लैस बेड्स भी केवल 1,036 हैं. इनमें से 486 भरे हुए हैं और सभी 17 कोविड अस्पतालों में 150 ऑक्सीजन बेड्स काम नहीं कर रहे हैं.
अभी तक 397 मरीज़ जान से हाथ धो चुके हैं.
आंकड़ों के मुताबिक़ ठाणे में फिलहाल लक्षण वाले 1,100 से अधिक मरीज़ हैं, जिन्हें किसी भी समय ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ सकती है.
लेकिन, ठाणे नगर निगम के उप-आयुक्त संदीप माल्वी ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है, क्योंकि अधिकांश मरीज़ों को कोविड केयर सेंटर्स पर केवल आईसोलेशन की दरकार है, लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी माना कि और अधिक इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत है.’
माल्वी ने दिप्रिंट को बताया, ‘फिलहाल हमारे पास लोगों को आईसोलेट करने के लिए सुविधाएं हैं, जहां उनकी सही से देखभाल की जाती है. अगर उन्हें ऑक्सीजन चाहिए होती है, तो हम उन्हें कोविड-19 को समर्पित अस्पतालों में भिजवा देते हैं. अभी तक ये ठीक से चल रहा है. लेकिन हम समझते हैं कि संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ हमें और बेड्स की ज़रूरत है और हम इनफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर काम कर रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस समस्या से निपटने के लिए ठाणे में हमारे पास 1,024 बेड्स का एक नया अस्पताल है.’
ऑक्सीजन सुविधा वाले बेड्स, मरीज़ की सहायत में बहुत अहम रोल अदा करते हैं और उस स्थिति से बचाते हैं जिसमें उन्हें वेंटिलेटर्स की ज़रूरत पड़ सकती है.
दिल्ली में अपोलो अस्पताल के इंटर्नल मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ एस चटर्जी ने दिप्रिंट ने कहा, ‘ऑक्सीजन बेड्स की कमी चिंता की बात है. तक़रीबन 20 प्रतिशत मरीज़ों को (कुल संक्रमितों की तादाद देखते हुए, जो एक बड़ी संख्या है), ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है, क्योंकि वायरस लंग्स पर हमला करता है जिसके लिए आपको तैयार रहना होता है.’
ठाणे, भारत की वित्तीय राजधानी का एक सेटेलाइट टाउन है और मुम्बई मेट्रोपोलिटन रीजन का हिस्सा है. ये कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित शहरों में से एक है. मुम्बई के सारे 8 सेटेलाइट शहरों में, कोविड-19 के सबसे अधिक मामले यहीं पर दर्ज हैं.
एक जून तक शहर में कोविड-19 के 3,271 मामले दर्ज थे, लेकिन 4 जुलाई तक ये संख्या तीन गुना से ज़्यादा बढ़कर, 11,214 तक पहुंच गई.
ऑक्सीजन बेड्स सबसे अहम
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अस्पतालों में भर्ती वेंटिलेटर पर रखे जाने वाले मरीज़ों का प्रतिशत 1-2 पर स्थिर रहा है, जबकि 3-4 प्रतिशत को इंटेंसिव केयर चाहिए होती है. लेकिन ऑक्सीजन की ज़रूरत अधिकांश को होती है.
ऑक्सीजन बेड के लिए इन तीन में से एक चीज़ चाहिए- पाइप से ऑक्सीजन सप्लाई, एक ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर या ऑक्सीजन सिलिंडर.
किसी मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत है या उसे कोविड केयर सेंटर में सिर्फ आईसोलेशन चाहिए, इसे तय करने का सबसे उपयुक्त मानदंड है, मरीज़ के ख़ून में ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल्स.
ऑक्सीजन सैचुरेशन ख़ून की ऑक्सीजन कैरी करने की क्षमता को दर्शाता है. अगर ये लंबे समय के लिए एक तय लेवल से नीचे गिर जाए, तो ऑरगंस क्षतिग्रस्त होने का ख़तरा हो जाता है, जिसे कभी कभी वापस ठीक नहीं किया जा सकता.
डॉ चटर्जी ने ये भी कहा, ‘कोविड मरीज़ों के लिए ऑक्सीजन सबसे अहम है, चूंकि अस्पताल में भर्ती अधिकांश मरीज़ों को उसी की ज़रूरत होती है. मरीज़ों की हालत बिगड़ने पर ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है, लेकिन अगर ऑक्सीजन बेड्स उपलब्ध हों, तो उससे बचा जा सकता है.’
ठाणे के नए कोविड अस्पताल का कामकाज देख रहे डॉ योगेश शर्मा ने कहा कि शहर इस बोझ को लेने के लिए तायार है.
शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘पहले समस्या ज़रूर थी, लेकिन अब ठाणे में 1,024 बेड के अस्पताल के साथ, जिसमें 394 ऑक्सीजन बेड्स हैं, हम तैयार हैं. मामलों की संख्या बढ़ रही है और ये यक़ीनन एक चुनौती है. ठाणे के इस नए अस्पताल के शुरू हो जाने के साथ, हम तैयार हैं.’
आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी
सरकारी आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि आईसीयू बेड्स की कमी है. ठाणे में 293 आईसीयू बेड्स हैं, जिनमें से 205 भरे हुए हैं और फिलहाल केवल 70 ही उपलब्ध हैं.
लेकिन, डॉ शर्मा ने कहा, ‘ठाणे के नए कोविड अस्पताल में, 76 अतिरिक्त आईसीयू बेड्स हैं, जो बढ़ते हुए मामलों का बोझ ले सकते हैं.’
उपलब्ध वेंटिलेटर्स की संख्या भी उतनी ही चिंताजनक है- कुल उपलब्ध 79 में से 53 भरे हुए हैं और सिर्फ 26 ख़ाली हैं.
हालांकि, 3 से 5 प्रतिशत मामलों में ही वेंटिलेशन की ज़रूरत होती है. लेकिन लगता है कि ठाणे में ऑक्सीजन बेड्स की कमी के चलते मरीज़ों की हालत बिगड़ गई है.
माल्वी ने कहा, ‘ये बात सही है कि बहुत मरीज़ों को वेंटिलेटर की ज़रूरत नहीं होती. लेकिन पिछले कुछ दिनों में हमारे पास कुछ ऐसे मामले आए हैं, जो बहुत जोखिम भरे थे. उन्हें सांस लेने में परेशानी थी और हम कोई मौक़ा छोड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन अभी हमें कोई कमी महसूस नहीं हो रही, क्योंकि हमारे पास अभी भी 26 से ज़्यादा वेंटिलेटर हैं, जो ख़ाली हैं.’
अधिकांश मरीज़ों की उम्र 40 से अधिक
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, ठाणे में 56.4 प्रतिशत मरीज़ 40 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और अधिकांश को दूसरी बीमारियां भी हैं. डेटा से ये भी पता चलता है कि शहर में 53 मरीज़ वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं.
डॉ संतोष कदम ने, जो ठाणे में कोविड टास्क फोर्स का हिस्सा हैं, ने दिप्रिंट से कहा, ‘जो मरीज़ 60 साल से ऊपर के हैं, और जिन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं, उन्हें यक़ीनन ज़्यादा देखभाल चाहिए होती है. वो ज़्यादा चुनौती वाले होते हैं, चूंकि उनके ख़तरे में आ जाने का चांस ज़्यादा रहता है.’
उन्होंने ये भी कहा, ‘लेकिन ठाणे में हम ऐसी कंडीशन वाले मरीज़ों को सुविधाएं देने में कामयाब रहे हैं. 40 वर्ष से ऊपर के मरीज़ों में ठीक होने की दर अच्छी है. इसके अलावा, ठाणे में अस्पताल चालू होने से, उन मरीज़ों को भर्ती करना आसान हो जाएगा, जिन्हें सबसे ज़्यादा केयर चाहिए.’
इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार लेकिन कोई स्टाफ नहीं
1,024 बेड्स के नए ठाणे कोविड अस्पताल का, 17 जून को उदघाटन किया गया और यहां अब 575 मरीज़ों का इलाज चल रहा है.
ग्लोबल इंपेक्ट हब में स्थित इस अस्पताल में, 394 ऑक्सीजन बेड्स हैं. 10 डायलेसिस बेड्स हैं, 10 इमरजेंसी बेड्स हैं, 76 आईसीयू बेड्स हैं, और हल्के लक्षण के कम ख़तरे वाले मरीज़ों के लिए 576 बेड्स हैं.
ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स के लिए, यहां आईसोलेशन की सुविधा भी है.
नाम न बताने की शर्त पर अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर ने दिप्रिंट से कहा, ‘इस रीजन में बढ़ते मामलों के साथ ये अस्पताल यक़ीनन उस बोझ को वहन कर लेगा. ये सुविधा चालू हो गई है, और 575 मरीज़ यहां पहले ही भर्ती हो चुके हैं.’
ये पूछे जाने पर कि क्या अस्पताल जल्द ही भर जाएगा, डॉक्टर ने कहा, ‘अगर हम मरीज़ों को भर्ती कर रहे हैं, तो बहुत से मरीज़ डिस्चार्ज भी हो रहे हैं. बहुत से मरीज़ों में हल्के लक्षण होते हैं, जिन्हें जल्दी छुट्टी मिल जाती है. अधिकांश को होम-क्वारंटीन की सलाह दी जाती है. सिर्फ हाई रिस्क पेशेंट्स, या जिनमें साफ लक्षण होते हैं, भर्ती किए जाते हैं और मौजूदा इनफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त है.’
इंफ्रास्ट्रक्चर तो तैयार है, लेकिन उसे चलाने के लिए अस्पताल में स्टाफ नाकाफी है. ठाणे नगर निगम स्टाफ की भर्ती की कोशिश कर रहा है, जिसके लिए भर्ती की दो मुहिम पहले ही चलाई जा चुकी हैं, लेकिन पर्याप्त संख्या में स्टाफ नहीं मिल पाया है.
निगम ने अब मदद के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और निजी डॉक्टरों की एसोसिएशन से गुहार लगाई है.
माल्वी ने कहा, ‘हम भर्ती कर रहे हैं और स्टाफ व डॉक्टरों को बराबरी के वेतन ऑफर पेश कर रहे हैं. प्रक्रिया जारी है.’
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