नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने के तीन दिन बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विभागों का बटवारा नहीं कर पाए हैं. इसका कारण है- उनके विश्वासपात्रों, पूर्व वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और दिल्ली में पार्टी आलाकमान के समर्थित बीजेपी के नए धड़े के बीच अच्छे विभागों को लेकर रस्साकशी.
बृहस्पतिवार को भोपाल के राजभवन में 28 नए मंत्रियों ने शपथ ली जिनमें 20 कैबिनेट रैंक और 8 राज्य मंत्री दर्जे के थे. इसके साथ ही मंत्री परिषद के सदस्यों की कुल संख्या 33 हो गई है.
लेकिन अभी तक 28 में से किसी को भी कोई विभाग नहीं मिला है.
नवनियुक्त मंत्रियों में 12 सिंधिया समर्थक हैं. दो को पहले ही शामिल किया जा चुका है. बीजेपी सूत्रों ने बताया कि विभागों के बटवारे की खींचतान के केंद्र में यही 12 हैं.
एक बीजेपी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ’12 सिंधिया समर्थक अच्छे विभाग चाह रहे हैं जिनमें से कुछ वो विभाग भी हैं जो उनके पास पिछली कांग्रेस सरकार में थे’. उन्होंने आगे कहा, ‘वो लोग राजस्व, ट्रांसपोर्ट, स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा, खाद्य व आपूर्ति, श्रम और महिला व बाल विकास मंत्रालय चाह रहे हैं. वो गृह मंत्रालय भी मांग रहे हैं जो फिलहाल नरोत्तम मिश्रा के पास है. इसकी वजह से विभागों के बटवारे में देरी हो रही है’.
एक दूसरे वरिष्ठ बीजेपी नेता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अब फैसला किया है कि दिल्ली में पार्टी आलाकमान ही इस मामले को सुलझाएगा. उस वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘लिस्ट को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यमंत्री केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘विभागों के किसी भी आवंटन से पहले वो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (जो एमपी से हैं) और सिंधिया से मुलाकात करेंगे’.
चौहान ने कैबिनेट विस्तार से एक दिन पहले शुक्रवार को सिंधिया से बातचीत की थी लेकिन विभागों को लेकर उनके बीच सहमति नहीं बन सकी.
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त्रिकोणीय कश्मकश
अच्छे विभागों के लिए शोर-शराबा सिर्फ सिंधिया गुट तक ही सीमित नहीं है. मुख्यमंत्री के समर्थन वाले बीजेपी के पुराने धड़े और पार्टी के नए नेताओं के बीच जिनके ऊपर आलाकमान का वरदहस्त है, के बीच भी सत्ता के लिए खींचतान चल रही है.
शिवराज के पुराने धड़े से भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव, विजय शाह, प्रेम सिंह पटेल और विश्वास सारंग बड़े विभाग अपने पास बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री पर दबाव बना रहे हैं. पार्टी के युवा कैबिनेट मंत्री- राम खिलावन पटेल, मोहन यादव, ओम प्रकाश सकलेचा, भरत सिंह कुशवाहा, राम किशोर और जगदीश देवड़ा भी अच्छे विभागों में हिस्सेदारी चाह रहे हैं.
एक दूसरे बीजेपी सूत्र ने कहा, ‘मुख्यमंत्री वित्त, राजस्व, खनिज, ऊर्जा और पीडब्ल्यूडी (सार्वजनिक निर्माण विभाग) अपने समर्थकों को देना चाहते हैं’. उन्होंने ये भी कहा, ‘गृह और स्वास्थ्य अब नरोत्तम मिश्रा के पास हैं. चौहान की पिछली कैबिनेट में भूपेंद्र सिंह गृह मंत्री थे. अगर मिश्रा का मंत्रालय बदला जाता है तो उसका गलत संदेश जाएगा लेकिन सिंधिया का खेमा मिश्रा से स्वास्थ्य लेना चाहता है. तुलसी सिलावट (सिंधिया समर्थक जो पहले शामिल हो चुके हैं) कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे’.
जन संपर्क राज्य का एक और अहम विभाग है जो आमतौर पर मुख्यमंत्री के पास रहता है और चौहान को एक वित्त मंत्री की भी तलाश है क्योंकि मुख्यमंत्री के पिछले कार्यकाल में जिसके पास ये विभाग था- जयंत मलैया- वो 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए.
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बीजेपी उपाध्यक्ष प्रभात झा ने दिप्रिंट से कहा कि बीजेपी के पास सिंधिया समर्थकों को शामिल करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘बुनियादी बात ये है कि पार्टी आलाकमान ने प्रदेश इकाई को बता दिया है कि सिंधिया और उनके समर्थकों की बदौलत ही हमारी सत्ता में वापसी हुई है. इस बात का अक्षरशः सम्मान किया जाना चाहिए. ये वो संतुलन है जिसे पार्टी को बनाए रखना होगा’.
लेकिन सिंधिया गुट इस बात से इनकार करता है कि वो अच्छे विभागों के लिए अड़ा हुआ है. तुलसी सिलावट ने दिप्रिंट से कहा, ‘विभागों के बटवारे को लेकर ऐसी कोई नाराज़गी नहीं है. अभी हमारी पहली प्राथमिकता उप-चुनाव जीतना है. पूरा संगठन इसी लक्ष्य के लिए काम कर रहा है’. उन्होंने आगे कहा, ‘सिंधिया जी जो भी फैसला करेंगे, उसे हर कोई स्वीकार करेगा’.
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