नई दिल्ली: देश के 60 से ज्यादा हवाईअड्डों और दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा संभाल रहे अर्धसैनिक बल सीआईएसएफ ने सरकार को यह जवाब देने के लिये और वक्त मांगा है कि क्या ट्रांसजेंडर को बल के ‘काम्बैट आफिसर’ के तौर पर भर्ती किया जा सकता है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.
अपनी तरह के इस पहले कदम में गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे पर पांच अर्धसैनिक या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफएस) से हाल में ‘टिप्पणी’ मांगी थी जिससे केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को सूचित किया जा सके कि जल्द ही प्रकाशित होने वाली इस साल की सीएपीएफएस सहायक कमांडेंट की परीक्षा की अधिसूचना में ‘ट्रांसजेंडर’ श्रेणी का शामिल करना है या नहीं.
सहायक कमांडेट पांच सीएपीएफएस- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (सीआईएसएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी)- में अधिकारियों का शुरुआती पद होता है.
बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और सीआरपीएफ ने अपनी टिप्पणी मंत्रालय को भेजते हुए कहा कि वे ट्रांसजेंडर को अधिकारी के तौर पर स्वीकार करने के लिये तैयार हैं क्योंकि वे ‘लैंगिग तटस्थता’ के सिद्धांत का पालन करते हैं.
अधिकारियों ने कहा कि इन बलों ने अपने प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों से कहा है कि वे ट्रांसजेंडर के लिये हाल में बने कानून की अपनी प्रति और कार्मिक विभाग के संबंधित दिशानिर्देश हासिल करें जिससे नये कानून को बेहतर तरीके से समझा जा सके.
सीआईएसएफ ने कहा कि उसे गृह मंत्रालय को अपना जवाब सौंपने के लिये और समय की जरूरत है क्योंकि वह संगठन के अंदर ‘विस्तार से मुद्दे पर चर्चा’ चाहता है, खासतौर पर अपने क्षेत्रीय कमांडरों के साथ. इस बल में 1.62 लाख सुरक्षाकर्मी हैं और 350 से ज्यादा सशस्त्र सुरक्षा इकाइयां.
इस पूरी गतिविधि के बारे में जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सीआईएसएफ इस प्रस्ताव को लेकर ‘अपना दिमाग लगाना’ चाहता है. बल के मुख्य कामों में हवाईअड्डों, दिल्ली मेट्रो स्टेशनों, सरकारी या निजी प्रतिष्ठानों, परमाणु प्रतिष्ठानों आदि तैनाती स्थलों पर जनता के साथ संवाद के साथ ही उनकी जांच, तलाशी और कई बार जामा तलाशी भी शामिल है.
सीआईएसएफ आतंकवाद निरोधी और हमलों को नाकाम करने के उद्देश्य से इन प्रतिष्ठानों पर तैनात रहती है और वहां लोगों या सामान के प्रवेश और निकास के समय उसके सशस्त्र सुरक्षाकर्मी मुस्तैद रहते हैं.
एक अधिकारी ने कहा, ‘चर्चा के लिये ज्यादा समय लेने का हालांकि यह मतलब नहीं कि सीआईएसएफ इस कदम के विरोध में है. बल सभी को बिना लैंगिग भेदभाव के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिये प्रतिबद्ध है.’
उन्होंने कहा कि समय मंत्रालय को समग्र जवाब उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मांगा गया है.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर उन्हें इस कदम के खिलाफ सीआईएसएफ की आपत्ति ठोस और वाजिब लगेगी तो यूपीएससी की परीक्षाओं में यह व्यवस्था की जा सकती है कि ट्रांसजेंडर सीआईएसएफ को छोड़कर अन्य सीएपीएफएस में अधिकारी पद के लिये आवेदन कर सकते हैं.
सीमा की सुरक्षा में तैनात रहने वाले बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी ने गृह मंत्रालय को सूचित किया है कि वे ट्रांसजेंडर अधिकारी को शामिल करने के लिये तैयार है, सीआरपीएफ ने कहा कि वह उनके शामिल होने को ‘‘अनुकूल’’ बनाएगा.
सीआरपीएफ ने कहा, ‘हम इस विषय पर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की भावना का पूरा सम्मान करते हैं. सीआरपीएफ में पहले ही काम को लेकर लैंगिक तटस्थता का माहौल है.’
उन्होंने कहा, ‘गृह मंत्रालय के इस विषय पर आसन्न नीतिगत दिशानिर्देशों के मद्देनजर हमें इसे जरूरत के मुताबिक आगे सुसंगत बनाएंगे.’