नई दिल्ली: दवा निर्माताओं के देशभर में चीन से आयातित उत्पादों की मंजूरी नहीं होने के कारण दवा उत्पादों के निर्माण में ‘तीव्र व्यवधान’ का सामना करना पड़ रहा है, इसको लेकर भारत की शीर्ष फार्मा निर्यात निकाय ने नरेंद्र मोदी सरकार को एक ‘एसओएस’ संदेश भेजकर चेताया है, दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स (डीओपी) सचिव को भेजे पत्र में फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) ने कहा है कि प्रमुख शुरुआती सामग्री (KSM) सहित फार्मा उत्पादों वाली बीच की चीजें और सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (API) बंदरगाहों और हवाई अड्डों, विशेष रूप से महाराष्ट्र और दिल्ली में फंसे हैं, पत्र दिप्रिंट ने प्राप्त किया है.
निकाय ने कहा कि यहां तक कि कोविड-19 संबंधित चिकित्सा उपकरण और उपचार रुक गया है.
एक डीओपी अधिकारी ने पहचान न बताने की शर्त पर कहा, ये सामान चीन से आयात किए जाते हैं. हालांकि, लद्दाख में जारी सीमा गतिरोध के कारण, बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर अधिकारियों ने रैंडम जांच के बजाय सभी खेपों का निरीक्षण किया है जिससे देरी हो रही है, अधिकारी ने आगे कहा कि सरकार द्वारा संचालित हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड (HLL) की खेप भी सीमा शुल्क की वजह से रुकी हुई है. अधिकारी ने कहा, ‘एचएलएल ने मास्क और सुरक्षात्मक चश्मों के आयात के आदेश दिए थे.’
27 जून को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘हमारी कई सदस्य कंपनियों से हमें संकट भरे फोन आए कि पिछले तीन दिनों में दवा उत्पादों के निर्माण में तीव्र व्यवधान आया है.’ इसमें विदेश मंत्रालय और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण सहित अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों को भी मार्क किया गया है.’
फार्मएग्जिल (Pharmexcil) 2004 में विदेश व्यापार नीति के प्रावधानों, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया है और भारत से दवा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए काम करता है.
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महत्वपूर्ण कोविड-संबंधी ऑर्डर भी रोके गए
फार्मएग्जिल के निदेशक उदय भास्कर द्वारा लिखे गए पत्र के अनुसार निकाय ने कहा है कि कोविड का इलाज सुनिश्चित करने के लिए उपचार करने वाले उपकरण और चिकित्सा उपकरण जरूरी हैं जो सीमा शुल्क की वजह से रोके जा रहे हैं.
पत्र में कहता है, बहुत अहम केएसएम (KSM), बीच के और एपीआई (API) के सामग्री को मंजूरी नहीं दी जा रही है, वजह कि इस उद्योग की समझ नहीं है. यहां तक कि चिकित्सा उपकरणों और महत्वपूर्ण उपचार उपकरणों जैसे कि इन्फ्रेयर्ड थर्मामीटर और पल्स ऑक्सीमीटर के मामले में, जो विशेष रूप से कोविड के इलाज के लिए हैं, दिल्ली पोर्ट पर भी रोके जा रहे.’
आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले डायग्नोस्टिक्स जैसे ग्लूकोमीटर और स्ट्रिप्स भी फंसे हैं
पत्र ‘गंभीर स्थिति बताने’ के लिए कहता है, ‘हम आपसे अर्जेंट मैसेज (एसओएस) पर हस्तक्षेप करने की तत्काल अपील करते हैं और कृपया विनम्र सुझाव है कि सीमा शुल्क से मंजूरी की अनुमति दें.’
इसमें कहा गया है, ‘इन सभी सामग्रियों को जो प्रकृति में वास्तविक तौर पर जरूरी हैं, उन्हें क्लीयर किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए भेजा जाना चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में विनिर्माण में कोई व्यवधान न पहुंचे.’
‘आत्मनिर्भरता में समय लगेगा’
फार्मएग्जिल ने तेज मंजूरी न मिलने पर उद्योग के लिए मुश्किल परिणामों की चेतावनी दी है.
पत्र कहता है, ‘… ऊपर व्यक्तियों द्वारा निर्मित व्यवधानों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उद्योग के लिए जबर्दस्त कठिनाइयों का निर्माण किया गया है और हम सच में डरते हैं कि यदि मंजूरी के मामले में सर्वोच्च प्राथमिकता में तेजी नहीं लाई जाती है, तो आपके अच्छे कार्यालयों के माध्यम से उद्योग की मदद के लिए अतीत में जो भी बड़े काम किए गए हैं वे वर्तमान में 90-100% उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला को कमजोर कर सकते हैं.’
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पिछले दिनों सरकारी विभागों द्वारा किए गए ‘अच्छे काम’ के बारे में बात करते हुए, पत्र ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि ‘आत्मनिर्भरता’ सिद्धांत अपने एक ‘चरणबद्ध और विचारशील तरीके’ से बनने में समय लेगा.
यह कोविड संकट के बीच मोदी सरकार के आत्मनिर्भरता के आह्वान का एक संदर्भ था.
पत्र कहता है, ‘वैश्विक कोविड -19 महामारी के वर्तमान संकटपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समय में, फार्मास्युटिकल उद्योग की चुनौती बढ़ गई है’, एक साल पहले मई 2020 में 27 प्रतिशत निर्यात वृद्धि के साथ यह 2 बिलियन डॉलर से अधिक थी.
इसमें आगे कहा गया है, ‘भारत को ‘फार्मेसी टू द वर्ल्ड’ के रूप में स्वीकार किया गया है और साथ ही साथ 100 से अधिक देशों में महत्वपूर्ण कोविड से संबंधित दवाओं की आपूर्ति करने वाला उदार देश है.’
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