नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नए सिरे से कार्ययोजना तैयार करने में जुट गई है. वीएचपी राम मंदिर के मॉडल को लेकर संतों में उपजे विवाद को खत्म करने और कोविड 19 के बीच कैसे अयोध्या आकर लोग मंदिर निर्माण में सहयोग कर सके इसकी रूपरेखा बनाने में जुट गई है.
इसी बीच वीएचपी 26 जून को एक बैठक भी करने जा रही है. इसमें संगठन के पूर्वी क्षेत्र के बड़े पदाधिकारी भी शामिल होंगे. अयोध्या के कारसेवकपुरम में होने वाली इस बैठक में राम मंदिर निर्माण से जुड़े विषयों के साथ संगठन के कई मुद्दों पर भी चर्चा होगी.
विश्व हिंदू परिषद के लखनऊ क्षेत्र के संगठन मंत्री अम्बरीष ने दिप्रिंट से कहा, ’26 जून को पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़े अवध, काशी, कानपुर और गोरखपुर प्रांत के संगठन मंत्री, अध्यक्ष सहित बजरंग दल के संयोजकों के अलावा कुछ प्रमुख अधिकारियों की बैठक कारसेवकपुरम में होनी है.
उन्होंने कहा, ‘बैठक में वीएचपी के केंद्रीय महामंत्री विनायक राव और राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव और वीएचपी के उपाध्यक्ष चंपत राय भी शामिल होंगे.’
यह भी पढ़े: चीन में बने सामानों के विरोध में आए 20 देशों में रहने वाले भारतीय, SJM जगा रहा है स्वदेशी अलख
चंपत राय के इस बैठक में शामिल होने से यह उम्मीदें और बढ़ जाती हैं कि राम मंदिर निर्माण को लेकर इस बैठक में बड़ी चर्चा होने वाली है. हालांकि इस पर अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान देने से बच रहा है.
वीएचपी के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने आगे कहा, ‘हाल ही में राम मंदिर की ऊंचाई और मॉडल को लेकर कुछ संतों द्वारा असहमति व्यक्त की थी. इसके बाद से ही वीएचपी के लोग सभी संतों से मिलकर इस पर एकरूपता पर चर्चा कर रहे हैं.
पदाधिकारी ने आगे कहा कि विश्व हिंदू परिषद के लोग संतों को समझा भी रहे हैं कि जो प्रस्तावित मॉडल है उसी के अनुरूप राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा. इस प्रस्तावित बैठक में राम मंदिर निर्माण को लेकर अभी तक कितने संतों से चर्चा हुई और अब कहीं कोई विवाद जैसी स्थिति तो नहीं है इस पर बातचीत की जाएगी.’
मंदिर की दिव्यता और भव्यता को लेकर उठा सवाल
अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की दिव्यता और भव्यता को लेकर संतों के बीच खींचतान सामने आई थी. नाराज संतों का कहना था है कि राम मंदिर का प्रस्तावित मॉडल भगवान राम की गरिमा के अनुकूल नहीं है. संतों ने मांग की थी कि इसे दुनिया का सबसे भव्य मंदिर होना चाहिए और उन्हें भी विश्वास में लेकर राम मंदिर का निर्माण कार्य किया जाना चाहिए.
संतों के एक गुट के नाराजगी के सवाल पर ट्रस्ट के महासचिव और वीएचपी के उपाध्यक्ष चंपत राय ने दिप्रिंट से कहा था कि ‘ऐसा कुछ नहीं है. सब कुछ ठीक ठाक है.’
संतों की इस मांग के बाद वीएचपी का एक धड़ा संतों को प्रस्तावित मॉडल पर ही मंदिर बनाने के लिए राजी करने में जुट गया था.
कारसेवक कैसे पहुंचे
सूत्र के अनुसार, इस बैठक में राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से हो, वहीं वीएचपी का योगदान इसमें कैसे हो इस पर भी चर्चा की जानी है. ‘
यह भी पढ़े: रामजन्मभूमि परिसर में शुरू हुआ निर्माण कार्य, खुदाई के दौरान मंदिर के अवशेष और शिवलिंग मिलने का दावा
सूत्र ने यह भी बताया, ‘राम मंदिर निर्माण में कैसे लोग अयोध्या में कार सेवा के लिए आएं और यहां अपना योगदान दें ऐसे अहम मुद्दों पर भी बातचीत कर कार्य प्रणाली बनाए जाने की संभावना है.’
बैठक में एक तरह से मंदिर निर्माण और इसकी कार्य प्रणाली को लेकर अलग अलग प्रांतों से वीएचपी के भी लोगों को बुला कर चर्चा की जाएगी.
सूत्र ने दिप्रिंट को यह भी बताया, ‘कोरोनावायरस को लेकर कैसे सामाजिक दूरी बनाते हुए काम को किया जा सकता है और कैसे यह काम को आगे अंजाम तक पहुंचाया जाए इसे लेकर भी चर्चा होनी है. जैसे ही राम मंदिर निर्माण शुरू होगा वैसे ही वीएचपी हिंदू परिवारों में जाकर अभियान शुरू करेंगे. फिलहाल कोविड-19 को लेकर किसी भी कार्यक्रम को तय करने में होने में परेशानी हो रही है.’
राम मंदिर भूमि पूजन के लिए पीएम मोदी का इंतजार
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर ली है. कोरोना के चलते पीएमओ की तरफ पीएम नरेंद्र मोदी का अयोध्या जाने का कोई दिन या समय तय नहीं किया गया है. राम मंदिर का भूमि पूजन जल्द कैसे हो सके इसे लेकर विचार मंथन का दौर चल रहा है.
यह भी पढ़े: कोविड-19 का डर और लॉकडाउन ने छुड़ाए आइसक्रीम उद्योग के पसीने, 50% घटी बिक्री
गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद ने अप्रैल में भूमि पूजन और मंदिर निर्माण शुरू करने की एक योजना तैयार की थी. इसमें देश और प्रदेश के हर गांव से कैसे इस काम में भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी योजना बनाई गई थी लेकिन कोरोनावायरस के प्रकोप के चलते यह नहीं हो सका था.
बता दें कि देशवासियों को राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण से लेकर उससे जुड़ी हर बात वेबसाइट पर डाले जाने की बात राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने पहले भी की थी.