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Thursday, 21 November, 2024
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कानपुर गर्ल्स शेल्टर होम में 100 की है क्षमता, रहती थीं 171, कोरोना पॉजिटिव हुईं 57

इतनी बड़ी संख्या में कानपुर के गर्ल्स शेल्टर होम में 57 लड़कियों के कोरोना पॉजिटिव आने और 7 गर्भवति होने की बात सामने आने पर विपक्षी दल उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं.

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कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में राजकीय बालिका बालगृह में 57 नाबालिगों के कोरानो पॉजिटिव और 7 के प्रेग्नेंट होने की खबर मिलने से प्रशासन के हाथ-पांव फूले हैं. स्वरूप नगर स्थित इस बालिका गृह में एक और लापरवाही सामने आई है कि स्वरूप नगर स्थित बालिक गृह में 100 लड़कियों के रहने की जगह है लेकिन 171 लड़कियां रह रहीं थी.

खबर के मुताबिक एक बेड पर तीन-तीन लड़कियां सो रही थीं, संक्रमण फैलने का ये बहुत बड़ा कारण हो सकता है. हालांकि प्रशासन कोरोना पॉजिटिव लड़कियों के बीच प्रगनेंट हुई लड़कियों पर सफाई दे रहा है. प्रशासन का कहना है लड़कियां पहले से प्रेगनेंट है.

कानपुर के इस बालिका गृह में कानपुर मंडल के अलावा आगरा, अलीगढ़ और चित्रकूट मंडल में चल रहे पॉक्सो एक्ट के मामलों से जुड़ी लड़कियों को भी रखा जाता है. ये आमतौर पर वह लड़कियां होती हैं जिनको उनके घर वाले नहीं रखते. हाल ही में ऐसी दो बालिकाओं की इसी बालिका गृह में डिलिवरी भी हुई है. इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों के कोरोना पॉजिटिव आने और गर्भवति लड़कियों की बात सामने आने पर विपक्षी दल उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं.

दिप्रिंट से बातचीत में बालिका गृह की अधीक्षक मिथिलेश पाल ने इस बात को स्वीकारा है कि बालिका बालगृह में कैपेसिटी लगभग 100 लड़कियों की है लेकिन अभी 171 लड़कियां यहां रह रही थीं.

मिथिलेश पाल ने कहा, ‘जब लड़कियां इतनी बड़ी संख्या में हो तो सोशल डिस्टेंसिंग के नॉर्म लागू करना आसान नहीं होता.’

मिथिलेश के मुताबिक, ‘उन्होंने राजकीय बालगृह से संबंधित अधिकारियों के साथ पत्राचार के जरिए इसकी कैपेसिटी के बारे में अवगत कराया था लेकिन फिलहाल तो इसमें कोई कार्यवाई नहीं हुई है.’ मिथिलेश ने दिप्रिंट को बताया कि सभी प्रेग्नेंट लड़कियों की जानकारी पहले से थी , उनका इलाज भी लगातार चल रहा है.


यह भी पढ़ें: कानपुर के शेल्टर होम में 57 लड़कियों को कोरोनावायरस, 7 प्रेग्नेंट में से हैं 5 पॉजिटिव


कोरोना पॉजिटिव- ओवर क्राउडिंग

अचानक इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने को लेकर स्थानीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बालगृह में लड़कियां बहुत अधिक हैं जिसकी वजह से एक -एक बेड पर तीन-तीन लड़कियों को भी सोना पड़ता था.

वहीं जिला प्रोबेशन अधिकारी अजित कुमार का भी कहना है कि बालिका गृह में कैपेसिटी से ज्यादा लड़कियां रहती थीं. ऐसे में संक्रमण फैलने के चांस अधिक हो जाते हैं. उनके मुताबिक, ‘पिछले हफ्ते जब एक लड़की में कोरोना के लक्षण दिखे तो उसका टेस्ट कराया गया. टेस्ट पॉजिटिव आते ही कई और लड़कियों के टेस्ट कराए गए. पहले गुरुवार को 33 लड़कियों के पॉजिटिव आए फिर रविवार को ये संख्या बढ़कर 57 हो गई जिसके बाद सबको क्वारेंटाइन करके पूरा बालिका गृह ही सील कर दिया गया.’

अजित के मुताबिक, ‘कानपुर के इस बालिका ग्रह में कानपुर मंडल के अलावा आगरा, अलीगढ़ और चित्रकूट मंडल में चल रहे पॉक्सो एक्ट के मामलों से जुड़ी लड़कियों को भी रखा जा रहा है.’

उन्होंने आगे कहा,’ इनमें आमतौर पर वो लड़कियां हैं जिनहें उनके घरवाले, परिवार वाले पास नहीं रखते हैं.’

हाल ही में ऐसी दो बालिकाओं की इसी बालिका ग्रह की दो लड़कियों की डिलिवरी भी हुई है. ऐसे में यहां प्रेग्नेंट लड़कियां पहले से रहती रही हैं और ये बात प्रशासन की भी जानकारी में है.

बाल गृह में क्षमता से अधिक बालिकाएं रखने पर सवाल उठाते यूपी बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष व समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता जूही सिंह ने कहा, बाल संरक्षण आयोग और सम्बन्ध्ति मन्त्रालय की जिम्मेदारी है कि पॉक्सो कोर्ट और संरक्षण गृह हर जिले में होने चाहिये. साथ ही पॉक्सो केस की सुनवाई निर्धारित समय सीमा में होनी चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि इस व्यवस्था के लिए केंद्र ने पर्याप्त बजट का प्रावधान किया है जिसका इस्तेमाल होना चाहिए.

बालगृह के आसपास रहने वाले लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस बिल्डिंग में जगह की तुलना में अधिक लड़कियां रहती थीं. अगर पहला केस आने पर ही सबको क्वारंटाइन कर दिया जाता तो शायद ऐसी स्थिति नहीं आती.

डीएम ने जारी किया 7 प्रेग्नेंट की केस हिस्ट्री

कानपुर के जिलाधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी की ओर से सोमवार को सभी सात गर्भवती बालिकाओं की रिपोर्ट हिस्ट्री भी जारी की गई है जिसमें बताया गया है कि इन सभी के मामले में अलग अलग जिलों में पुलिस जांच चल रही है. इनमें दो एटा, दो कानपुर, एक आगरा, एक फिरोजाबाद और एक कन्नौज की है. सभी में पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमें दर्ज हैं और वहां की चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी के रिकमेंडेशन के बाद ही इन्हें बालगृह में रखा गया. सभी 7 पहले से प्रेग्नेंट थीं जिनमें पांच की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.

दिप्रिंट से बातचीत में डीएम ने सोशल मीडिया पर चल रहे उन सभी आरोपों को ‘अफवाह’ बताया है जिसमें बालगृह के अंदर प्रेग्नेंट की बात कही जा रही थी. वहीं ऐसी अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई की भी बात कही है. डीएम ने 7 प्रेग्नेंट में एक लड़की के एचआईवी पॉजिटिव होने की बात को भी निराधार बताया है जबकि स्थानीय मीडिया में इस बात का जिक्र था, वहीं रविवार रात को भी डीएम और एसएसपी द्वारा जारी बयानों में भी इसका खंडन नहीं किया गया था.

इस पूरे मामले की जांच के लिए डीएम ने एक कमेटी भी गठित की है. इस कमेटी में एक एसडीएम और एक पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) को रखा गया है.

पूर्व सीएम व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके कहा है -‘कानपुर के सरकारी बाल संरक्षण गृह से आई खबर से यूपी में आक्रोश फैल गया है. कुछ नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने का गंभीर खुलासा हुआ है. इनमें 57 कोरोना से व एक एड्स से भी ग्रसित पाई गयी है, इनका तत्काल इलाज हो. सरकार शारीरिक शोषण करनेवालों के ख़िलाफ़ तुरंत जांच बैठाए.’ वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने भी इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

NHRC ने भेजा नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार शाम इस पूरी घटना पर यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी किया है. दोनों से चार हफ्ते में जवाब मांगा गया है. आयोग की ओर से सभी लड़कियों के स्वास्थ्य की स्थिति, उनके चिकित्सकीय उपचार और लड़कियों को प्रदान की गई काउंसलिंग के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. आयोग द्वारा यूपी सरकार से भी अपेक्षा की गई है कि वह एक स्वतंत्र एजेंसी से इस मामले की जांच का आदेश देगी.

इस बीच यूपी सरकार की ओर से आदेश दिए गए हैं कि प्रदेश के सभी बाल गृहों में प्रवेश से पहले हर व्यक्ति की एंट्री गेट पर थर्मल स्कैनिंग कराई जाए. इसके लिए हर संस्था को इंफ्रारेड थर्मामीटर दिए जाएं. इसके अलावा एंट्री गेट पर ही सैनिटाइजर की व्यवस्था की जाए और सर्दी, जुकाम, बुखार से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को प्रवेश न दिया जाए.

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