नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पुलिस द्वारा विभिन्न राज्यों में पत्रकारों के खिलाफ ‘बचकाने’ आरोप लगा कर किए जा रहे एफआईआऱ को गंभीरता से लिया है. दिल्ली पुलिस द्वारा हाल ही में अनुभवी और वरिष्ठ पत्रकार वुनोद दुआ पर किए गए एफआईआर की भी निंदा की है.
सोमवार को जारी अपने बयान में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा है कि पत्रकारों के खिलाफ विभिन्न राज्यों की पुलिस द्वारा बचकाने आरोप लगाकर उसे एफआईआर में बदल रही है.
हालिया मामला वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ पर किया गया दिल्ली पुलिस का एफआईआर है जिसे भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता नवीन कुमार की शिकायत पर किया गया है.
दुआ पर यह एफआईआर उनकी बोलने की आज़ादी (फ्री स्पीच) और निष्पक्ष टिप्पणी के अधिकार पर करारा हमला है.
यही नहीं बयान में यह भी कहा गया है कि एफ़आईआर खुद एक उत्पीड़न का साधन है और यह ऐसी प्रक्रिया को शुरू करता है जो ख़ुद एक सज़ा है.’
गिल्ड ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह इस तरह की शुरू की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है और पुलिस से यह कहना चाहता है कि संवैधानिक रूप से दी गई आज़ादी की गारंटी का सम्मान करें न कि ऐसा व्यवहार करें जिससे की उसकी स्वतंत्रता पर ही सवाल उठे.
The Editors Guild of India has issued a statement pic.twitter.com/9OyGk2x3cL
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) June 8, 2020
बता दें कि पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस ने दुआ के खिलाफ फरवरी में हुआ दिल्ली दंगों में उनके यूट्यूब चैनल पर मिस रिपोर्टिंग का आरोप लगाया है. इसमें दुआ ने प्रधानमंत्री को ‘दांत रहित ‘कहा था और यह भी कहा था कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में हुए दंगे को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया.
अपनी शिकायत नें नवीन कुमार ने विनोद दुआ पर आईपीसी की धारा 290 (लोगों के बीच अशांति पैदा करना), 505 (समाज में अशांति पैदा करने वाला बयान देना) और 505 (2) (अपमानजनक टिप्पणी वाले प्रकाशित सामग्रियों को बेचना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.