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Sunday, 24 November, 2024
होमदेशडेटा में समस्या के बाद लैंसेट ने एचसीक्यू को कोविड में मौत के अधिक ख़तरे से जोड़ने वाली विवादास्पद स्टडी वापस ली

डेटा में समस्या के बाद लैंसेट ने एचसीक्यू को कोविड में मौत के अधिक ख़तरे से जोड़ने वाली विवादास्पद स्टडी वापस ली

स्टडी के चार में से तीन लेखकों ने, लैंसेट के संपादकों और पाठकों से माफ़ी मांगी है, किसी भी शर्मिंदगी या असुविधा के लिए, जो उनके द्वारा छापे गए जांच परिणामों से हुई हो.

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नई दिल्ली: दुनिया की सबसे प्रसिद्ध मेडिकल पत्रिकाओं में से एक, लैंसेट ने बृहस्पतिवार को अपनी एक महत्वपूर्ण स्टडी को वापस ले लिया, जिसमें कहा गया था कि मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से कोविड-19 मरीज़ों में मौत का ख़तरा बढ़ जाता है और उनकी हार्ट बीट भी अनियमित हो जाती है.

इस स्टडी की वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) तक ने विशाल ‘सॉलिडेरिटी ट्रायल’ के तहत, कोविड-19 मरीज़ों में किए जा रहे. एचसीक्यू के क्लीनिकल ट्रायल्स रोक दिए थे. स्टडी पर इस बात को लेकर भी सवाल उठाए गए, कि इसमें डेटा के अध्ययन पर सामान्य से कम समय लगाया गया और डेटा गढ़ने का भी आरोप लगा.

लैंसेट के एक रिसर्चर द्वारा की गई एक और स्टडी भी, जिसमें दावा किया गया था कि दिल की बीमारियां, अस्पताल के अंदर कोविड-19 से मरने के चांस बढ़ा देती हैं. लैंसेट वाले ही कारणों से न्यू इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) की ओर से वापस ले ली गई है, जो एक दूसरी बहुत सम्मानित मेडिकल पत्रिका है.

विवादास्पद स्टडी को वापस लेते हुए लैंसेट ने कहा, ‘आज तीन लेखकों ने स्टडी को वापस ले लिया है हाइड्रॉक्सी- क्लोरोक्वीन या क्लोरोक्वीन, मैक्रोलाइड या उसके बिना केविड-19 का इलाज: एक बहुराष्ट्रीय रजिस्ट्री विश्लेषण.’

ये स्टडी चार शोधकर्ताओं ने की थी. तीन शोधकर्ता जिन्होंने इस स्टडी को वापस लिया वो थे लेखक मंदीप आर मेहरा, फ्रैंक रुशिट्ज़का और अमित एन पटेल शिकागो स्थित हेल्थकेयर डेटा का विश्लेषण करने वाली कम्पनी ‘सर्जिस्फियर’ के संस्थापक सपन देसाई, इसके चौथे लेखक हैं.

स्टडी वापस लेने के अपने नोट में तीनों ऑथर्स ने सभी पाठकों और पत्रिका के सम्पादकों से माफ़ी मांगी है. यदि उनकी रिपोर्ट से किसी को ‘कोई शर्मिंदगी’ हुई हो.

अलग से जारी एक बयान में लैंसेट ने कहा, कि स्टडी के ऑथर डेटा की स्वतंत्र जांच करके अपने विश्लेषण को मज़बूती देने में नाकाम रहे. उसने कहा, ‘परिणामस्वरूप, वो इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वो डेटा के मुख्य बुनियादी स्रोतों की सच्चाई की ज़मानत नहीं दे सकते.’

22 मई को छपी इस रिपोर्ट ने, एचसीक्यू के अधिक इस्तेमाल पर ख़तरे की घंटी बजा दी थी और दावा किया था कि वायरस के दूसरे मरीज़ों के मुक़ाबले, जो लोग मलेरिया की दवा ले रहे थे. उनमें मौत का ख़तरा अधिक था और उन्हें दिल की धड़कन भी अनियमित महसूस हुई थी.


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इस बड़े अवलोकन अध्ययन में दावा किया गया था कि इसमें 96,000 मरीज़ों के डेटा का विश्लेषण किया गया. इसमें कहा गया कि स्टडी के क़रीब 15,000 मरीज़, जिन्हें एचसीक्यू या तो अकेले या किसी एंटीबायोटिक्स के साथ मिलाकर दी गई थी. उनकी तुलना बाक़ी 81,000 मरीज़ों के डेटा से की गई, जिन्हें ये दवा नहीं मिली थी.

डेटा का स्रोत नहीं परख पाए: तीन लेखक

तीनों लेखकों द्वारा लिखे गए वापसी के नोट में कहा गया कि सर्जिस्फियर से उन्हें जो डेटा मिला, वो एक स्वतंत्र थर्ड पार्टी समीक्षा पर पूरा नहीं उतर सका. नोट के अनुसार, ‘लैंसेट का हमारा लेख प्रकाशित होने के बाद, सर्जिस्फियर कॉरपोरेशन व उसके संस्थापक और हमारे सह-ऑथर, सपन देसाई द्वारा दिए गए डेटा की सच्चाई और उसके विश्लेषण को लेकर, कई चिंताएं ज़ाहिर की गईं.’

‘सपन देसाई की सहमति से हमने सर्जिस्फियर की एक स्वतंत्र थर्ड पार्टी समीक्षा शुरू की. ताकि डेटाबेस की शुरूआत का अंदाज़ा हो सके. डेटाबेट की सम्पूर्णता की पुष्टि हो सके और पेपर में पेश किए गए विश्लेषण को फिर से दोहराया जा सके.’

लेकिन, नोटिस ने कहा, ‘हमारे स्वतंत्र सहयोगी समीक्षकों ने हमें बताया कि सर्जिस्फियर पूरा डेटा सेट, क्लायंट कॉन्ट्रेक्ट्स, और पूरी आईएसओ रिपोर्ट विश्लेषण के लिए उनके सर्वर्स को ट्रांसफर नहीं करेगी, क्योंकि ऐसा ट्रांसफर क्लायंट्स के साथ हुए समझौतों और गोपनीयता बनाए रखने की ज़रूरत का उल्लंघन होगा.’

आगे ये भी कहा गया, ‘हमारे समीक्षक एक स्वतंत्र व निजी समीक्षा नहीं कर पाए. इसलिए उन्होंने हमें सूचित किया कि वो, पियर रिव्यू प्रोसेस से पीछे हट रहे हैं.’

रिसर्चर्स ने कहा, ‘रिसर्चर्स के नाते हम अपनी इस ज़िम्मेदारी को कभी नहीं भूल सकते कि हमें बहुत ईमानदारी से सुनिश्चित करना है कि हम डेटा के उन्हीं स्रोतों पर भरोसा करें, जो हमारे ऊंचे मानदंड़ों पर पूरा उतरते हों.’

उन्होंने ये भी कहा कि, ‘इस डवलपमेंट के बाद अब हम प्राइमरी डेटा सोर्स की सच्चाई की ज़मानत नहीं ले सकते. इस दुर्भाग्यपूर्ण डवलपमेंट की वजह से, लेखक अनुरोध करते हैं कि पेपर को वापस ले लिया जाए.’

उन्होंने ये कहते हुए अपने नोट का अंत किया कि ‘कोविड-19 वैश्विक महामारी के समय एक बड़ी ज़रूरत को देखते हुए, हम सब सदभाव के साथ योगदान देने के लिए इस सहयोग में शामिल हुए थे. हम सम्पादकों और पत्रिका के पाठकों से, बहुत गहराई के साथ माफी मांगते हैं अगर इससे किसी को कोई शर्मिंदगी या असुविधा महसूस हुई हो.’

लैंसेट ने ये भी कहा कि वो वैज्ञानिक ईमानदारी के मामलों को बेहद गंभीरता से लेती है और सर्जिस्फियर को लेकर अभी बहुत से सवाल बाक़ी हैं और उस डेटा को लेकर भी, जो कथित तौर पर इस स्टडी में शामिल किया गया.

लैंसेट ने कहा, ‘कमीटी ऑन पब्लिकेशन एथिक्स (कोप) और इंटरनेशनल कमीटी ऑफ़ मेडिकल जर्नल्स एडिटर्स (आईसीएमजेई) की गाइडलाइन्स के बाद सर्जिस्फियर के ऐसे अनुसंधान सहयोग की तुरंत संस्थागत समीक्षा कराने की ज़रूरत है.’

लेखकों ने दूसरी पत्रिका में भी अपनी एक और स्टडी को वापस लिया

मेहरा की अगुवाई में एक और स्टडी भी, जिसमें पटेल और सर्जिस्फियर के देसाई शामिल थे. न्यू इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) की ओर से वापस ले ली गई है जो एक दूसरी प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका है.

उस स्टडी में जिसका शीर्षक था, ‘कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ेज़, ड्रग थिरेपी, एण्ड मॉरटैलिटी इन कोविड-19′ दावा किया गया था कि दिल की बीमारियों से अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के मरीज़ों की मौत का ख़तरा बढ़ जाता है. इसे भी उन्हीं कारणों से वापस ले लिया गया है.’

वापसी के नोट में कहा गया, ‘चूंकि सभी लेखकों को रॉ डेटा तक नहीं पहुंचने दिया गया और रॉ डेटा को थर्ड पार्टी ऑडिटर को भी मुहैया नहीं कराया जा सका. हम अपने लेख ‘कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ेज़, ड्रग थिरेपी, एण्ड मॉरटैलिटी इन कोविड-19’, के प्राइमरी डेटा सोर्स की पुष्टि करने में सक्षम नहीं हैं. नोट में आगे कहा गया, ‘इसलिए हम अनुरोध करते हैं कि लेख को वापस ले लिया जाए. हम सम्पादकों और पत्रिका के पाठकों से, बहुत गहराई के साथ माफी मांगते हैं, उन मुश्किलों के लिए जो इससे पैदा हुईं हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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