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Friday, 22 November, 2024
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साइकिल कंपनी एटलस के गाजियाबाद का कारखाना बंद होने से एक हजार से ज्यादा वर्कर्स संकट में, विपक्ष ने साधा निशाना

एटलस के इस फैसले के बाद यूपी में कानपुर की लेदर फैक्ट्री, भदोही की कालीन कारखानों समेत अन्य फैक्ट्री वर्कर्स में भी डर का माहौल है.

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लखनऊ/गाजियाबाद: कोरोनावायारस के कारण लागू लॉकडाउन का असर व्यापार पर काफी गहरा हुआ है जिस कारण तमाम लोग रोजगार भी खोते जा रहे हैं. भारत की मशहूर साइकिल कंपनी एटलस ने यूपी के गाजियाबाद स्थित अपना कारखाना बंद कर दिया है. एटलस फैक्ट्री मैनेजमेंट की ओर से गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित फैक्ट्री के गेट पर नोटिस चस्पा कर दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि बीते 3 जून से सभी कर्मचारी ले-ऑफ कर दिए गए हैं. इससे कर्मचारी, मजदूर मिलाकर लगभग 1 हजार वर्कर्स की रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ है.

नोटिस में कारखाना प्रबंधक एमपी सिंह राणा की ओर से कहा गया है कि कंपनी पिछले कई साल से आर्थिक संकट से गुजर रही है. कंपनी ने सभी फंड खर्च कर दिए हैं और आय का कोई साधन नहीं बचा है. यहां तक की दैनिक खर्चों के लिए भी धन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. कच्चा माल खरीदने तक के पैसे नहीं हैं. फैक्ट्री चलने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में सभी कर्मियों को ले-ऑफ पर घोषित किया जाता है. नोटिस में ये भी लिखा गया है कि ले-ऑफ के दौरान उन्हें ही मुआवजा दिया जाएगा, जो वीक-ऑफ के अलावा बाकी सभी दिनों पर गेट पर अटैंडेंस लगाएंगे.

एटलस साइकिल कर्मचारी यूनियन के जनरल सेक्रेटरी महेश कुमार ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि इस फैक्ट्री में कर्मचारी, मजदूर आदि स्टाफ मिलाकर एक हजार श्रमिक काम करते हैं. महेश ने बताया कि किसी को 2 जून को शाम तक अंदाजा नहीं था कि ऐसा होने वाला है. बीते बुधवार वह ड्यूटी के लिए कारखाना पहुंचे तो देखे की भीड़ इकट्ठा है और सबकी नजर दीवार पर चस्पा नोटिस पर है. इस बारे में उन्होंने मैनेजमेंट से संपर्क करने की कोशिश की तो कहा गया कि जो नोटिस में लिखा है वही आखिरी फैसला है. इसके आगे जिसे जो करना है वे स्वतंत्र है.

महेश ने बताया कि एसोसिएशन की ओर से जिला प्रशसन को पत्र लिखकर मदद की मांग करते हुए फैक्ट्री संचालकों पर कार्रवाई की मांग की गई है, लेकिन अभी तक कुछ ऐक्शन नहीं हुआ है.

महेश के मुताबिक, अभी मई महीने की सैलरी भी नहीं मिली है. कर्मचारियों को हटाने से पहले एटलस की ओर से कोई नोटिस भी नहीं दिया गया. महेश ने बताया कि घर में तीन छोटे बच्चे हैं. अगर फैक्ट्री हमेशा के लिए बंद हो गई तो परिवार सड़क पर आ जाएगा. यूनियन के एक अन्य सदस्य गंगा प्रसाद शुक्ला ने बताया कि फैक्ट्री में लगातार साइकिल बन रही थीं. लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद भी काम शुरू हो गया था लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि अचानक ले-ऑफ का फरमान आ जाएगा. ऐसे में सभी कर्मचारियों में भय का माहौल है. साहिबाबाद स्थित एटलस का यह कारखाना 1989 से चल रहा था.


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एक कर्मचारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि लॉकडाउन से पहले तक हर महीने कम से कम डेढ़ से 2 लाख तक साइकिल का निर्माण होता था. पूरे देशभर में यहां से साइकिलें जाती थीं. लॉकडाउन के कारण सैलरी भी पूरी नहीं मिल रही थी और अब ले-ऑफ का नोटिस देखते ही सब घबरा गए हैं.

फैक्ट्री के कई अन्य कर्मयारियों ने बताया कि मैनेजर और एचआर ना ही फोन उठा रहे हैं और ना ही किसी के पत्र का जवाब दे रहे हैं. ऐसे में वह किसके पास जाएं.

दिप्रिंट की ओर से एटलस साइकिल कारखाने के मैनेजर एमपी सिंह राणा से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. अगर वह कॉल बैक करते हैं तो उनके पक्ष को भी अपडेट किया जाएगा.

प्रियंका गांधी , मायावती ने उठाए सवाल

साइकिल कारखाना बंद होने के खिलाफ कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके कहा- कल विश्व साइकिल दिवस के मौके पर साइकिल कम्पनी एटलस की गाजियाबाद फैक्ट्री बंद हो गई. 1000 से ज्यादा लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए. सरकार के प्रचार में तो सुन लिया कि इतने का पैकेज, इतने एमओयू, इतने रोजगार लेकिन असल में तो रोजगार खत्म हो रहे हैं, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं. लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार को अपनी नीतियां और योजना स्पष्ट करनी पड़ेगी.

मायवती ने ट्वीट कर कहा, ‘सरकार एक ओर तो बंद पड़े उद्योगों को खोलने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रही है जबकि कारखानें बंद होने की खबरें आ रही हैं. सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा, ऐसे समय में जबकि लॉकडाउन के कारण बन्द पड़े उद्योगों को खोलने के लिए आर्थिक पैकेज आदि सरकारी मदद देने की बात की जा रही है जबकि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित एटलस जैसी प्रमुख साइकिल फैक्ट्री के धन अभाव में बन्द होने की खबर चिन्ताओं को बढ़ाने वाली है. सरकार तुरन्त ध्यान दे तो बेहतर है.’

एटलस साइकल कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, जानकी दास कपूर नामक व्यापारी ने इस कंपनी की स्थापना की थी. 1951 में पहले ही साल कंपनी ने 12 हजार साइकिल बनाने का रेकॉर्ड बनाया. 1965 तक यह देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी बन गई. 1978 में भारत में पहली रेसिंग साइकिल बनाई थी. कंपनी को ब्रिटिश स्टैंडर्ड इंस्टीट्यूशन से आईएसओ 9001-2015 सर्टिफिकेशन के साथ मान्यता मिली.

कंपनी ने सभी एज ग्रुप का ध्यान रखते हुए साइकिल की एक विस्तृत श्रृंखला बाजार में उतारी.

एटलस के इस फैसले के बाद यूपी में कानपुर की लेदर फैक्ट्री, भदोही की कालीन कारखानों समेत अन्य फैक्ट्री वर्कर्स में भी डर का माहौल है. योगी सरकार की ओर से फिलहाल गाजियाबाद की इस फैक्ट्री में ले-ऑफ के संदर्भ में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है.

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1 टिप्पणी

  1. ऐसे व्यापारी पहले तो बैंक से भारी भरकम रकम लेकर कम्पनी से लाभ कमाते हैं, उस लाभ से विदेशो में नई कम्पनी और सम्पत्ति बनाते है फिर जब इनक मूल कम्पनी के प्रति बैंक की देनदारी अधिक हो जाती है तो अपने को दिवालिया घोषित कर देते हैं ,ऐसे व्यापारियों की ढंग से जाँच होनी चाहिए ताकि इनकी वास्तविक सम्पत्ति का पता चल सके ,सरकर को ऐसे धूर्त व्यापारियों को तुरंत जेल भेजना चाहिए अभी ऐसे फ्रॉड तुरंत रुक जायेंगे

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