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Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिदो महीने राज्यों ने अपने बूते लड़ी कोरोना की लड़ाई, बिगड़ी अर्थव्यवस्था के लिए केंद्र मदद करे: गहलोत

दो महीने राज्यों ने अपने बूते लड़ी कोरोना की लड़ाई, बिगड़ी अर्थव्यवस्था के लिए केंद्र मदद करे: गहलोत

दिप्रिंट के ऑफ द कफ कार्यक्रम में एडिटर इन चीफ शेखर गुप्ता से हुई बातचीत में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा,चार घंटे के नोटिस पर देश में लॉकडाउन लगाना बहुत बड़ी भूल थी. इससे विश्व में देश की बदनामी हुई है.

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नई दिल्ली: कोविड-19 के चलते देश में लगे लॉकडाउन के बाद जो परेशानी देशवासियों को हुई इसके लिए राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया है. बुधवार को दिप्रिंट के ऑफ द कफ के डिजिटल संस्करण में उन्होंने लॉकडाउन को पीएम की सबसे बड़ी भूल बताया और कहा कि चार घंटे में पूरे देश को बंद करना ही सबसे बड़ी भूल है. इससे राज्यों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और अब केंद्र सरकार को राज्यों की मदद करनी चाहिए.

लॉकडाउन के सवाल पर राजस्थान के सीएम ने कहा, ‘चार घंटे के नोटिस पर देश में लॉकडाउन लगाना बहुत बड़ी भूल थी. इससे विश्व में देश की बदनामी हुई है. सड़कों पर लोग चल रहे है. बच्चे-बुजुर्ग मर रहे है’. जो ट्रेनों चल रही है उसमें लोग मर रहे है.’

‘जो माहौल देश में श्रमिको को लेकर बना उससे सरकार बच सकती थी. सरकार तीन से चार दिन की मोहलत देती तो आज ये स्थिति नहीं बनती.सुप्रीम कोर्ट के कहने से पहले ही हमने बसें चलाकर मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने का काम किया.’

लॉकडाउन की खबर क्या आपको भी चार घंटे पहले मिली? इस सवाल पर सीएम गहलोत ने कहा,’किसी को कोई खबर नहीं लगी. ये तो पीएम की अप्रोच है. नोटबंदी के दौरान भी उन्होंने ऐसा ही किया, कोरोना के दौरान भी ऐसा ही किया.’

मुझे जानकारी नहीं अगर कोई मुहूर्त निकाला हो तो अगर वे कोई मुहूर्त निकालकर कर फैसला करते है तो अलग बात है. वरना तो चार घंटे की नोटिस में कोई फैसला नहीं कर सकता. संसद के सत्र के बाद कई सांसद यही थे.उन्हें भी घर जाने के लिए 48 घंटे दिए गए. तो कोई मजदूर कैसे इतनी जल्दी अपने घर जा सकता था.

पीएम को समझाने के सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा, प्रधानमंत्री कितनी सुनते हैं, यह सभी को पता है.


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‘राज्यों की अर्थव्यवस्था हुई खस्ता हाल’ 

कोविड-19 चलते राजस्थान में बंद पड़े उद्योग और पर्यटन से खस्ताहाल होती अर्थव्यस्था पर सीएम गहलोत ने कहा,’ यह बातें भारत सरकार को समझ नहीं आ रही है. केवल राजस्थान की बात नहीं है बल्कि भारत के हर राज्य की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई है.’

‘लॉकडाउन की वजह से सारी औद्योगिक ईकाइयां बंद हैं. मजदूर सड़कों पर आ गए हैं. इससे स्थिति समझी जा सकती है.’

‘मैंने पीएम मोदी के साथ हुई कांफ्रेंस में भी कहा था कि राज्यों को लोन देने के बजाए ग्रांट दी जाए. अगर हमें लोन भी दे रहे है तो बिना ब्याज के दिया जाए.’

गहलोत ने आगे कहा, ‘सारा देश जानता है, कोविड की जंग भारत सरकार नहीं राज्यों की सरकारें बहुत ही अच्छे तरीके से लड़ रही हैं. केंद्र सरकार को चाहिए राज्य सरकार की मदद करें.

‘हर राज्य को कुछ न कुछ पैकेज मिलना चाहिए. ताकि वे ओर प्रभावी तरीके से कोरोना का मुकाबला कर सके. दो माह राज्य सरकारों ने अपने बल पर बहुत कुछ लिया. राज्यों का राजस्व कम हो गया है.सरकारी कर्मचारियों तक को वेतन देने में दिक्कतें आ रही हैं.’

‘लॉकडाउन को लगाना बहुत ही आसान है लेकिन खोलना मुश्किल काम है.दोबारा राज्य के राजस्व को पटरी पर लाने में लिए कई प्रकार की समस्या आती है.’ उन्होंने बताया, ‘राजस्थान की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए हमने कमेटी भी बनाई है. समय-समय पर हम सुझाव भी लेते हैं.’

तबलीग़ी जमात को इशु बनाया गया

राजधानी जयपुर में कोरोना के मामले बढ़ने और तबलीगी जमात के मामले से राजस्थान में फर्क पड़ने के सवाल का जवाब देते हुए सीएम गहलोत ने कहा, ‘तबलीगी जमात का इशु बनाया गया. इसे इतना बढ़ाने की जरुरत नहीं थी. ये एक लापरवाही का मामला था. जिसके कारण राज्य के अन्य भागों में कोरोना की ये स्थिति बनी कई लोगों में इसके होने की शिकायत सामने आई.

‘मेरा मानना है कि हमारे यहां विदेश से कुछ व्यक्ति आए थे जो कोरोना पॉजिटिव थे. यहां ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण संख्या बढ़ती गई लेकिन अब सब नियंत्रण में है.’

गहलोत ने अन्य राज्यों से उनके राज्यों की तुलना पर पूछे गए सवाल पर कहा, ‘मुझे किसी भी राज्य और शहर के मॉडल से कोई तुलना नहीं करनी है. भीलवाड़ा मॉडल तो भारत सरकार ने सराहा और कहा कि वहां राज्य सरकार की अप्रोच अच्छी रही है.’

‘केंद्र ने ही कहा था कि हम मॉडल की स्टडी करेंगे. ये बहुत ही सिंपल मॉडल था जिसे हर क्षेत्र में अपनाना चाहिए.आज जयपुर हो, जोधपुर हो या अन्य कोई शहर अधिकांश राजस्थान के अंदर स्थिति नियंत्रण में है.’

‘हमे पूरा यकीन है कि इस जंग को जीत कर रहेंगे. हमारी इस जंग में राजस्थान की पूरी जनता, राजनीतिक दल, एनजीओ और सभी धर्मगुरु सब एक साथ है. इस कारण हम राज्य में कोरोना पर काबू होने पर सफल हुए है. इस दौरान हमारी सरकार ने गरीबों के खाते में रुपए भेजे. जिनके खाते नहीं है उन लोगों को नकद रुपए दिए. अनाज भी फ्री में दिया. लोगों के घर घर अनाज पहुंचाने का काम किया है. इसके कारण राज्य में शांति बनी हुई है.’

सरकार की चूक और मजदूर

पीएम मोदी की जान है तो जहान के कथन से क्या मजदूर तबका डर गया इस सवाल पर सीएम गहलोत ने कहा, ‘पूरी दुनिया के अंदर माहौल ऐसा ही बन गया था. चीन और अमेरिका में भी यही हो रहा था.सभी मजदूर लोग भी टीवी देखते और अखबार पढ़ते है. जब पीएम ने कहा तो लोग समझ गए. और जब लॉकडाउन लागू  हुआ तो वे घबरा गए कि हमारा क्या होगा?’

‘मजदूर के दिमाग एक बात बैठ गई कि हमें अपने गांव जाना है. मरना ही है तो हम अपने गांव में ही मरेंगे. इस माहौल को भारत सरकार को समझ नहीं पाई. सरकार मजदूरों के घर पहुंचाने की व्यवस्था करती और थोड़ा समय देती तो आज सरकार और देश की बदनामी नहीं होती. फ्री में बसों और ट्रेनों से घर पहुंचा देते है. यहां सरकार की बहुत बड़ी चूक हुई है.’

लेबर लॉ में सुधार पर पीएम मोदी ने आपकी तारीफ की इस सवाल पर सीएम गहलोत ने कहा, ‘पीएम का कहना था कि रिफार्म की शुरुआत आपने की है. हमने मजदूरों को फायदा पहुंचाने के लिए इसकी शुरुआत की. लेबर काननू में सुधार करते हुए हमने 8 घंटे की जगह 12 घंटे की मजदूरी रखी. वह भी मजदूर की मंजूरी से होगी. ये केवल हमने मजदूर के फायदे के लिए किया था. ताकि वो फैक्ट्री में ही सो जाए और वहां कुछ एक्ट्रा काम कर काम भी ले. लेकिन धीरे धीरे जैसे ही लॉकडाउन खुलने लगा फिर हमने यह कानून वापस भी ले लिया. क्योंकि मजदूर वर्ग में यह भावना आ रही थी कि ये हमारे लिए नहीं है इंडस्ट्री के फायदे के लिए है.’

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