नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी के समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने आरोपों की नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं.
मंगलवार को एक ट्वीट में, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि आर्किटेक्ट अन्वय नाइक की बेटी अदन्या नाइक की एक ताजा शिकायत पर ‘पुनः जांच’ का आदेश दिया गया है, जिन्होंने अपनी मां के साथ 2018 में आत्महत्या कर ली थी.
देशमुख ने कहा कि अदन्या ने आरोप लगाया कि अलीबाग पुलिस ने ‘गोस्वामी के चैनल से बकाया भुगतान न करने की जांच नहीं की है, जिसने मई 2018 में उसके पिता और दादी को आत्महत्या के लिए प्रेरित किया.’
मंत्री ने कहा, ‘मैंने मामले की सीआईडी जांच का आदेश दिया है.’
Adnya Naik had complained to me that #AlibaugPolice had not investigated non-payment of dues from #ArnabGoswami's @republic which drove her entrepreneur father & grandmom to suicide in May 2018. I've ordered a CID re-investigation of the case.#MaharashtraGovernmentCares
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) May 26, 2020
यह मामला मई 2018 की एक घटना का उल्लेख करता है, जब गोस्वामी और दो अन्य लोगों को अलीबाग पुलिस ने 53 वर्षीय अन्वय और उसकी मां की आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के लिए बुक किया था.
अपने सुसाइड नोट में, अन्वय ने कथित तौर पर दावा किया था कि गोस्वामी और दो अन्य- मीडिया सर्विसेस फर्म आईकास्टएक्स/स्काईमीडिया के- फ़िरोज़ शेख और स्मार्ट वर्क के नितेश सारडा, जो ‘लचीले कार्यक्षेत्र प्रदान करता है’- उन पर कुल 5.4 करोड़ रुपये बकाया हैं.
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एफआईआर के अनुसार, गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी के स्वामित्व वाली मूल कंपनी एआरजी आउटलेयर मीडिया का आर्किटेक्ट पर 83 लाख रुपये बकाया है, जिसके पास कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड नामक एक फर्म है.
आरोप दूसरी बार सामने आए
यह दूसरी बार है जब यह मामला फिर से सामने आया है. इस महीने की शुरुआत में, महाराष्ट्र कांग्रेस के ट्विटर हैंडल ने एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें आर्किटेक्ट की विधवा अक्षता नाइक ने आरोप को दोहराया था, जिसने अर्णब गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
Mrs.Akshata Naik has alleged that her entrepreneur husband and her mother in law had to commit suicide due to non payment of dues from Mr. Arnab Goswami's @republic.
This is serious and needs further investigation. pic.twitter.com/sp0dovnMDr— Maharashtra Congress (@INCMaharashtra) May 5, 2020
जवाब में, समाचार चैनल ने एक बयान जारी करते हुए आरोप को खारिज करते हुए कहा कि वीडियो ‘वाड्रा कांग्रेस द्वारा नेटवर्क पर दबाव डालने का नवीनतम प्रयास’ था.
यह भी दावा किया कि पुलिस द्वारा एक क्लोजर रिपोर्ट दायर करने के बाद एआरजी आउटलेयर मीडिया के खिलाफ मामला एक अदालत द्वारा बंद कर दिया गया था. यह भी चेतावनी दी कि ‘तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने, झूठे दावे करने और एआरजी आउटलेयर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को निशाना बनाने’ का प्रयास नागरिक कानून और आपराधिक कानून के तहत कानूनी कार्रवाई के साथ किया जाएगा, जिसमें आपराधिक साजिश, मानहानि और आपराधिक धमकी के प्रावधान शामिल हैं.
हालिया विवाद
यह मामला महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस और अर्णब गोस्वामी के बीच चल रहे झगड़े के बाद शुरू हुआ.
पिछले महीने, पत्रकार को पालघर लिंचिंग मामले पर अपने प्रसारण पर कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के लिए बुक किया गया था, जिसमें दो साधुओं और उनके ड्राइवर को पीटा गया था. शो के कुछ घंटों बाद जारी किए गए एक वीडियो में, गोस्वामी ने आरोप लगाया था कि मुंबई में कांग्रेस के ‘गुंडों’ ने उन पर हमला किया था, जब वह अपने घर वापस आया रहे थे.
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बाद में उनके द्वारा दायर एक याचिका में, उन्होंने मांग की कि गांधी को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ 100 से अधिक एफआईआर- कई कांग्रेस शासित राज्यों में दायर की गई- इस आधार पर खारिज कर दी जाए कि ये अनुच्छेद 19 (1) (ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी के मामले में मुंबई पुलिस जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया, और कई राज्यों में समान एफआईआर को रद्द कर दिया. अदालत ने यह भी कहा कि एक ही प्रसारण पर कोई नया मामला दायर नहीं किया जा सकता है.
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साधुओं को पीटा नहीं था रे, पीट-पीटकर मार डाला था। सच पूरा लिख।