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Friday, 22 November, 2024
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MSME को बढ़ावा देने के लिए लोन मेले के बाद अब ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ की ऑनलाइन प्रदर्शनी लगाएगी योगी सरकार

ऑनलाइन एग्जीबिशन के माध्यम से यूपी की 'पारम्परिक कारीगरी' को पूरी दुनिया में दिखाया जाएगा. इससे प्रोडक्ट के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा साथ ही रोजगाए के नए अवसर पैदा होंगे.

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लखनऊ: कोरोना महामारी के कारण हुए राजस्व के नुकसान की भरपाई व श्रमिकों के रोजगार की व्यवस्था करने के लिए योगी सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज) को बढ़ावा देने के प्रयास में जुटी है.
एमएसएमई को सहारा देकर राज्य सरकार एक ओर जहां राज्य की अर्थव्यवस्था को सुधारने और उसे पुनर्जीवित करने में जुटी है वहीं इसके माध्यम से लाखों की संख्या में वापस लौटे मजदूरों के लिए रोजगार की व्यवस्था भी कर रही है.

इसके लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने पहले ही कई कदम उठाए हैं और एमएसएमई के तहत व्यवसाय शुरू करने वालों के लिए अहम श्रम कानून में भी बदलाव किए गए हैं. साथ ही अब राज्य में गुरुवार से ऑनलाइन लोन मेला शुरू किया गया है जो 20 मई तक चलेगा.

वहीं 25 जून से योगी सरकार ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओडीओपी) योजना के तहत ऑनलाइन एग्जीबिशन भी लगाने जा रही है.

एमएसएमई के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नवनीत सहगल ने बयान जारी कर कहा, ‘यूपी की ओडीओपी प्रकोष्ठ व हैंडी क्राफ्ट एक्सपोर्ट काउंसिल मिलकर 25 जून से ऑनलाइन एग्जीबिशन लगाएंगे जिनमें 57 ओडीओपी उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा.’

बयान में सहगल ने आगे कहा है, ‘इस एग्जीबिशन के माध्यम से यूपी की ‘पारम्परिक कारीगरी’ को पूरी दुनिया में दिखाया जाएगा. इससे प्रोडक्ट के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा साथ ही रोजगाए के नए अवसर पैदा होंगे.


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एमएसएमई विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक भदोही का कालीन, लखनऊ का चिकनकारी, बनारस की साड़ी, मुरादाबाद का पीतल समेत यपी के 57 प्रोडक्ट्स को इसमें रखा जाएगा.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड लघु इकाईयां 90 के करीब है और इससे करीब 3.50 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है.
यह यह जानना भी जरूरी है कि देश के एमएसएमई सेक्टर में उत्तर प्रदेश भी भागीदारी 14 फीसदी है.

अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी

प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि इस एग्जीबिशन के लिए हैण्डी क्राफ्ट एक्सपोर्ट काउंसिल के प्रतिनिधियों से उनकी बातचीत हो गई है. सहगल ने बताया, ‘इस तरह की प्रदर्शनी देश में पहली बार आयोजित की जा रही है. इससे कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुए कुटीर उद्योगों व पारंपरिक कारीगरों के उत्पादों के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए आर्डर प्राप्त करने में सहायता मिलेगी.’

उन्होंने कहा, ‘यूपी में पिछले साल एमएसएमई प्रोडक्ट से जुडा 28 प्रतिशत निर्यात बढ़ा है. इस साल 10 प्रतिशत और अधिक निर्यात बढ़ाने का लक्ष्य है.’

यूपी के एमएसएमई मिनिस्टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘ एमएसएमई इस सेक्टर तमाम देशों के निवेशक निवेश करना चाहते हैं. उन्हें यूपी में बड़ा स्कोप दिखता है.’

लोन मेला, प्रदर्शनी समेत सारे प्रयास एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए ही किए जा रहे हैं और यूपी के तो हर जिले में ये स्कोप है. यहां के हर जिले का कोई न कोई प्रोडक्ट फेमस है. बस इसे बेहतर मार्केटिंग व प्लेटफॉर्म की जरूरत है.


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बता दें कि लघु और सूक्षम उद्योगों के लिए सरकार लोन मेला आयोजित कर रही है जिसे राज्य सरकार के एमएसएमई पोर्टल के माध्यम से ही स्वीकार करेगी. सरकार के अधिकारियों के अनुसार अभी तक 56,754 उद्यमियों को 2000 करोड़ रुपये का ऋण दिया जा चुका है.

मेक इन यूपी पर फोकस

सूत्रों की मानें तो इस एग्जीबिशन का मुख्य उद्देशय ओडीओपी को तकनीक से जोड़ना है और साथ ही मेक इन इंडिया की तर्ज पर ‘मेक इन यूपी’ को आगे बढ़ावा देना है. ओडीओपी उत्पादों को ई-कामर्स प्लेटफार्म के जरिए बढ़ावा देने की कोशिश है. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि लखनऊ का ‘चिकनकारी’ और मेरठ के ‘बल्ले’ की तो दुनियाभर में ब्रांडिंग है लेकिन अब फर्रुखाबाद की ‘चूड़ियां’ , कन्नौज का इत्र, बरेली के वुडन वर्क के लिए भी ऑनलाइन ऑर्डर आने लग जाएं सरकार का एग्जीबिशन के जरिए यही प्रयास है.

ऑनलाइन ऑर्डर आने से कारीगरों को लॉकडाउन में भी काम मिलेगा. अधिकारी के मुताबिक, इन कारीगरों को डिजिटल सिस्टम से जोड़ने का ये सरकार का प्रयास है.

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