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Friday, 22 November, 2024
होमदेशकोविड के बाद विश्व में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को कमर कसनी पड़ेगी : थॉमस फ्रीडमैन

कोविड के बाद विश्व में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को कमर कसनी पड़ेगी : थॉमस फ्रीडमैन

दिप्रिंट के ऑफ द कफ कार्यक्रम में अमेरिकी लेखक-पत्रकार थॉमस फ्रीडमैन ने कहा कि पीएम मोदी भारत में लॉकडाउन को जल्दी से लागू करने के लिए एक 'अच्छी ग्रेड' के हकदार थे.

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नई दिल्ली: न्यूयॉर्क टाइम्स के स्तंभकार और लेखक थॉमस फ्रीडमैन ने सोमवार को कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत जल्द ही राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का आदेश दिया था, जो कि आसान नहीं था. लेकिन इसने कोरोनावायरस को जल्दी से फैलने से रोक दिया और इसके लिए वह विश्व के अन्य नेताओं की तुलना में ‘अच्छे ग्रेड’ के हकदार हैं.

फ्रीडमैन ने दिप्रिंट के डिजिटल कार्यक्रम ऑफ द कफ में एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता के साथ बातचीत में कहा, ‘मुझे लगता है कि मोदी पहले की तुलना में अधिक प्रभावी रहे और भारत में वायरस उस गति और पैमाने पर नहीं फैला है, जिसकी मुझे उम्मीद थी. लेकिन यह महामारी विज्ञान के कारणों, जलवायु कारणों, अक्षांशीय कारण से हो सकता है, मुझे नहीं पता है. लेकिन अब मोदी एक अच्छे ग्रेड के हकदार हैं.’

राष्ट्रीय लॉकडाउन का आदेश देने के मोदी के ‘त्वरित’ कदम की सराहना करते हुए फ्रीडमैन ने कहा, ‘भारत जैसे देश में यह आसान नहीं है, जहां बहुत से लोग बहुत तनाव की स्थिति में रहते हैं और ग्रामीण इलाकों में इतनी अधिक गरीबी दर हैं, जहां सिर्फ नियमित रूप से साफ-सुथरे तरीके से हाथ धोना, सोशल डिस्टैन्सिंग करना आसान नहीं है.’

भारत का बहुलवाद ‘दुनिया के लिए आशीर्वाद’

‘द वर्ल्ड फ़्लैट’ पुस्तक के लेखक फ्रीडमैन ने कहा कि भारत अपने बहुलवाद और लोकतंत्र के लिए दुनिया भर में माना और देखा जाता है.

‘मैं भारत का फैन हूं. मुझे लगता है कि 1.3 अरब लोगों का एक देश जहां सौ अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं, हर पांच साल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाना एक चमत्कार है और अगर भारत आज सीरिया की तरह होता, तो पूरी दुनिया एक अलग जगह होती. उन्होंने कहा कि भारत का बहुलवाद और लोकतंत्र ‘दुनिया के लिए एक आशीर्वाद’ है.
उन्होंने कहा इस बात की कद्र करनी चाहिए, इसे संरक्षित करना चाहिए. क्योंकि भारत और दुनिया की सफलता के लिए भारत का बहुलवाद और बुनियादी लोकतांत्रिक आवेग महत्वपूर्ण है. इसका सम्मान करना चाहिए, इसे पोषित करना चाहिए और भारत और दुनिया की खातिर इसे संरक्षित करना चाहिए. लेकिन हाल ही में मुझे कुछ खतरे दिखते हैं, भारत का बहुलवाद और उसका लोकतंत्र इसकी सभी सफलताओं की मूल कुंजी है.

उनके अनुसार तुलनात्मक रूप से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ‘चूक गए’ और “समझने में विफल रहे” कि वुहान में क्या हो रहा था, वह स्थान जहां से वायरस की उत्पत्ति हुई थी और जिस गति के साथ घरेलू और विश्व स्तर पर दोनों का जवाब और पारदर्शिता के साथ जवाब देना चाहिए था. लेकिन वह विफल रहे.

लेकिन स्तंभकार ने यह भी कहा कि शी ने कुछ हफ्तों के बाद काबू पा लिया और फिर चीनी प्रणाली का उपयोग ‘वायरस के प्रसार को रोकने के लिए के लिए किया.

हालांकि, फ्रीडमैन के अनुसार, चीन अब दुनिया को धमकाने की कोशिश कर रहा है, जहां पारदर्शी तरीके से वायरस की जांच करने की मांग की जा रही है.

‘चीन पहले से ही काम पर है, भारत को भी आना चाहिए ‘

कोरोना के बाद के विश्व में ग्लोबल वैल्यू चेन पर चीन के साथ भारत की प्रतिस्पर्धा करने के मुद्दे पर फ्रीडमैन ने कहा कि भारत को ‘बहुत सावधान रहना चाहिए’ यहां तक ​​कि वैश्विक कंपनियां बीजिंग से बाहर अपना आधार बदलने के लिए भी देख रही हैं.

‘चीन पहले से ही काम पर है… चीन की सप्लाई चेन फिर से शुरू हो गई है और अधिक (एक) विश्वसनीय साथी के रूप में दिखता है क्योंकि वे एक महामारी से उबरने में सफल हो गए हैं। इसलिए मैं यह अनुमान लगाने में बहुत सावधानी बरतूंगा कि हमें अब चीन पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘वैश्विक कंपनियों को अगले छह महीने तक चीन पर और भी अधिक निर्भर होना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिका और भारत जैसे देश अभी भी परेशानी का सामना कर रहे हैं.’

भारत के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने या हटाने के लिए भारत को अभी कार्य करना है, फ्रीडमैन ने कहा.

उन्होंने कहा, अगर भारत को सप्लाई चेन के कुछ बाजारों में चीन को हटाना है, तो ऐसा करने के लिए एक साथ कार्य करना होगा.

जहां तक ​​दवाओं के लिए बुनियादी कच्चे माल की बात है, चीन से वापस सप्लाय चेन की शिफ्टिंग हो सकती है, क्योंकि देशों की योजना ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन और ड्रग्स बनाने की है.

”उन्होंने कहा, इसलिए मैं चीन ख़त्म हो गया है कि इस प्रकार की किसी भी भविष्यवाणी और यह अमेरिका या भारत का समय है इसको लेकर बहुत सावधान हूं. हम सभी को अब कार्य करना होगा क्योंकि दुनिया देख रही है.

अमेरिका और ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप समझौता

ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप व्यापार समझौते से बाहर निकलने और व्यापार युद्ध में अकेले चीन को निशाने पर लेने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कदम पर सवाल उठाते हुए, फ्रेडमैन ने कहा कि अमेरिका को इस पर हस्ताक्षर करना चाहिए और एशिया-पैसिफिक देशों को अपने पक्ष में लाना चाहिए और फिर बीजिंग से एकजुट होकर निपटा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘ट्रम्प प्रशासन जब चीन के साथ डील करता है तो बहुत सूझ-बुझ के साथ निर्णय नहीं लेता है… उन्हें ट्रांस-पैसिफिक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करना चाहिए और चीन के बिना ट्रांस-पैसिफिक व्यापार समझौते पर अमेरिकी व्यापार नियमों के तहत वैश्विक जीडीपी का 40 प्रतिशत लाना चाहिए. फिर भारत और यूरोप और उनके साथ शामिल होना चाहिए और फिर चीन से नेगोसिएसशन करना चाहिए जहां, चीन बनाम पूरी दुनिया हो जायेगा.

2017 में अमेरिका ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) नामक 12-राष्ट्र व्यापार सौदे से बाहर हो गया था, यह समझौता ट्रम्प के पूर्ववर्ती बराक ओबामा के दिमाग की उपज थी.

मेगा ट्रेड डील में दुनिया की अर्थव्यवस्था का 40 प्रतिशत हिस्सा था और 2015 में अमेरिका, जापान, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों द्वारा नेगोसिएशन किया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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