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गुरूवार, 26 जून, 2025
होमदेशश्रमिक एक्सप्रेस द्वारा पंजाब से यूपी पहुंचे प्रवासी मजदूर हरदोई में फंसे, उनसे कहा गया कि अपने परिवहन की खुद व्यवस्था करें

श्रमिक एक्सप्रेस द्वारा पंजाब से यूपी पहुंचे प्रवासी मजदूर हरदोई में फंसे, उनसे कहा गया कि अपने परिवहन की खुद व्यवस्था करें

प्रवासी मज़दूर टोलियां बनाकर लखनऊ-हरदोई-शाहजहांपुर हाईवे पर इस उम्मीद में बैठे हैं कि वहां से गुज़रने वाला कोई ट्रक या कार, आख़िरकार उन्हें घर पहुंचा देगी.

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हरदोई: पंजाब से आए 1188 प्रवासी मज़दूर केंद्र सरकार की ओर से चलाई गई श्रमिक एक्सप्रेस के ज़रिए बृहस्पतिवार शाम उत्तर प्रदेश के हरदोई रेलवे स्टेशन पहुंचे. मज़दूरों को रात भर के लिए यूपी सरकार के राजा टोडरमल सर्वेक्षण-भूलेख प्रशिक्षण संस्थान में रखा गया, लेकिन शुक्रवार को सुबह होते ही उनसे कह दिया गया कि वे उस जगह को छोड़ दें और अपने परिवहन की खुद व्यवस्था करें.

मोहाली की धागा मिल में काम करने वाली एक प्रवासी मज़दूर सुनैया ने कहा, ‘लगता है हमारे दुख कभी ख़त्म नहीं होंगे. रेलवे स्टेशन से वो हमें यहां लाए और अब यहां से जाने को कह दिया. अगर पहले बता देते तो हम कुछ इंतज़ाम कर लेते. अब बच्चों के साथ इस गर्मी में हम क्या करें. हमारा घर (भगौली) यहां से 35 किलोमीटर दूर है.’

प्रवासी मज़दूर टोलियां बनाकर लखनऊ-हरदोई-शाहजहांपुर हाईवे पर इस उम्मीद में बैठे हैं कि वहां से गुज़रने वाला कोई ट्रक या कार,आख़िरकार उन्हें उनके घर पहुंचा देगा.


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मोहाली की उसी धागा मिल में काम करने वाला अमित कुमार भी अपने परिवार के 7 सदस्यों के साथ बैठा हुआ था जिनमें 4 बच्चे शामिल थे. इनमें से दो बच्चों की उम्र 6 माह से 2 साल के बीच थी. कुमार ने कहा, ‘अधिकारी हमें यहां ठहराने के लिए लाए, उन्होंने हमें दस किलो राशन (नमक, आटा व चावल) और एक किलो आलू भी दिया, लेकिन ये सब उठाकर हम घर तक कैसे जाएंगे? मैंने अपने गांव से किसी को बुलाया है. देखते हैं कि क्या हम घर पहुंच पाते हैं.’

प्रवासी मजदूरों का सामान | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

चार घंटे इंतज़ार करने के बाद आख़िरकार कुमार का रिश्तेदार वहां पहुंचा. और पूरा परिवार एक मिनी ट्रक में सवार होकर अपने घर के लिए रवाना हो गया. जब वो लोग ट्रक में बैठ रहे थे, तो वहां फंसे दूसरे प्रवासी मज़दूर, सूनी आंखों से उन्हें ताक रहे थे.

चंडीगढ़ से आए एक और प्रवासी मज़दूर अरुण ने कहा, ‘पता नहीं कैसे घर पहुंचेंगे, कई दिन से एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं, अब हम बिल्कुल थक गए हैं. कुछ कह नहीं सकता.’ अरुण ने दिप्रिंट से कहा कि वो बस अपने परिवार के पास जाकर घर में आराम करना चाहता है. उसका घर सीतापुर के संदाना में है, जो हरदोई से क़रीब 30 किलोमीटर दूर है.

पंजाब के धागा मिल में काम करने वाले परिवार की सदस्या प्रिंसी ने बताया, ‘पापा उन लोगों से बात करने गए हैं कि हमें अपनी गाड़ी में बैठने दें. अगर वो मान गए तो हम जा सकते हैं. अगर नहीं, तो फिर हमें गांव से किसी को कॉल करना पड़ेगा, फिर बैठकर इंतज़ार करेंगे, और कोई रास्ता नहीं है.’

हाइवे किनारे बैठी एक लड़की | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

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प्रवासी मज़दूर घंटों तक हाईवे पर बैठे, और उन ट्रक ड्राइवरों से मिन्नतें कीं, जिन्होंने पेड़ों के नीचे सुस्ताने के लिए अपने ट्रक पार्क किए हुए थे, कि उन्हें उनके गांव या कम से कम आधे रास्ते तक पहुंचा दें.

हाइवे किनारे अपने परिवार के साथ इंतजार करती लड़की | फोटो: ज्योति यादव/दिप्रिंट

उस जगह से बदबू आ रही थी, और मज़दूर जिस जगह ट्रक ड्राइवरों से बात कर रहे थे, वहां एक कुत्ता मरा हुआ पड़ा था. वो शायद दो दिन पहले मरा था, और ये सब लोग बदबू के लिए उसी को ज़िम्मेदार मान रहे थे.

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