नई दिल्ली: इज़रायल के लैब इंस्टीट्यूट ने कोरोनावायरस के इलाज के लिए एंटीबॉडी विकसित करने का दावा किया है. इज़रायल की इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च (आईआईबीआर) एक शोध इकाई है, जो सीधे इज़राइल के प्रधानमंत्री के कार्यालय के साथ काम करती है. इसका काम इज़रायल को बायोलॉजिकल वॉरफेयर से बचाना है.
इज़रायल की लैब आईआईबीआर ने जो एंटिबॉडी तैयार की है, कोरोना के इलाज के लिए इसको मोनोक्लोनल कहा जा रहा है. इसके बारे मे कहा जा रहा है कि यह एक अकेली ऐसी कोशिका से ली गई है जो बीमार होने के बाद स्वस्थ हुई है. इससे पहले कोरोनावायरस की एंटीबॉडी बनाने की कोशिश एक से अधिक कोशिकाओं को मिलाकर की जा रही थी.
संस्थान इसे टीके के रूप में तैयार करने की तैयारी में है. इज़रायल के रक्षामंत्री ने कहा है कि हम इसे विकसित करने जा रहे हैं. पूरी दुनिया में टीके पर तीन जगह काम हो रहा है. पहला ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका की मोडर्ना कंपनी और अब इज़रायल में इस पर काम चल रहा है.
इस टीके को मनुष्यों पर ट्रायल किया गया है या नहीं अभी इसका पता नहीं है. यह कैंसर मोनोक्लोनल एंटीबाडी की तरह महंगा नहीं होगा, क्योंकि कैंसर मोनोक्लोनल एंटीबाडी हर इंसान के लिए बनाया जाता है. इस पर भारतीय फार्मा के लोग काम कर रहे हैं. अमेरिका में भी चार प्रोजेक्ट मोनोक्लोनल एंटीबाडी पर काम कर रहे हैं.
कोरोना के इलाज का टीका नवंबर-दिसंबर तक आ सकता है. हर देश में इस पर काम हो रहा है.
18 मिनट का कोविड-19 टेस्ट क्या है
रॉस नामक कंपनी 18 मिनट में टेस्ट कर रिजल्ट देने वाली मशीन तैयार की है. इसके मशीन में 300 सैंपल एक साथ डाले जा सकते हैं. अमेरिका के एजेंसी एफडीए ने क्लीयरेंस दे दी है. भारत में भी सीई मार्क को माना जाता है. रॉस के सीईओ ने सीएनएन से कहा है कि हम इसे ज्यादा से ज्यादा बना सकते हैं. सीए मार्क जिन-जिन देशों में हम वहां इस टेस्ट किट को बेचेंगे.