scorecardresearch
Sunday, 29 September, 2024
होमदेशलॉकडाउन में सरकार से अनुमति के बाद भी ट्रक ड्राइवरों को दिल्ली दूर लग रही, सामान ढुलाई की कीमत 50 फीसदी बढ़ी

लॉकडाउन में सरकार से अनुमति के बाद भी ट्रक ड्राइवरों को दिल्ली दूर लग रही, सामान ढुलाई की कीमत 50 फीसदी बढ़ी

लॉकडाउन में सरकार द्वारा जीवनावश्यक वस्तुओं की ढुलाई की अनुमति दी गई है. लेकिन, लॉकडाउन के कारण कई उद्योग व व्यवसाय से जुड़ी गतिविधियां लॉकडाउन से पहले की स्थिति की तरह अभी भी सामान्य नहीं रह गई हैं.

Text Size:

मुंबई: देश में जारी लॉकडाउन के बीच पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मालवाहनों को माल ढुलाई की आवाजाही के लिए मंजूरी दे दी. इससे गैर-प्रतिबंधित श्रेणी की सभी वस्तुओं के उत्पादन और निर्यात का रास्ता खुल गया है.

दूसरी तरफ, जगह-जगह बड़ी संख्या में फंसे ट्रक, पुलिस की सख्ती, आवागमन के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों और ड्राइवरों की कमी का असर मालवाहनों से सामान की ढुलाई की कीमतों और मालवाहनों के किराए पर पड़ रहा है.

यही वजह है कि मालवाहन मालिकों ने मालवाहनों से विशेषकर उद्योग व व्यवसायिक सामानों की ढुलाई की कीमत 40 से 50 प्रतिशत बढ़ा दी है.

वहीं, जीवनावश्यक वस्तुएं की ढुलाई की कीमतों में सामान्यत: कोई अंतर नहीं आया है. कई मालवाहन मालिकों ने जीवनावश्यक वस्तुओं की ढुलाई पर तो किराया नहीं बढ़ाया है. लेकिन, अपने वाहन का किराया सामान्यत: 70 से 80 फीसदी तक बढ़ा दिया है.

किराया बढ़ाने पर मालवाहन मालिकों की दलीलें

लॉकडाउन में सरकार द्वारा जीवनावश्यक वस्तुओं की ढुलाई की अनुमति दी गई है. लेकिन, लॉकडाउन के कारण कई उद्योग व व्यवसाय से जुड़ी गतिविधियां लॉकडाउन से पहले की स्थिति की तरह अभी भी सामान्य नहीं रह गई हैं.

ऐसी हालत में मालवाहक मालिकों का कहना है कि अब यह जरूरी नहीं कि कोई वाहन को लौटते समय भी माल मिल ही जाए. कई बार उन्हें वाहन से सिर्फ एक तरफ की ढुलाई का किराया हासिल हो पा रहा है. लेकिन, अक्सर कई जगहों से वाहन खाली लौटने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है.


यह भी पढ़ें: विदर्भ में महज 25 फीसदी तेंदूपत्ता नीलाम, ‘कोरोना लॉकडाउन’ पर राज्य सरकार की छूट के बाद भी आदिवासी मजदूरों पर है संकट


जबकि, यदि सभी प्रकार के उद्योग व व्यवसाय सुचारू रूप से संचालित होते तो उन्हें एक जगह से दूसरी जगह माल पहुंचाने के बाद वापसी पर माल मिलने की अधिक संभावना रहती. लेकिन, मौजूदा परिस्थितियों में यदि उनका वाहन खाली लौटता है तो एक जगह से दूसरी जगह की दूरी के अनुपात में उन्हें उतना नुकसान उठाना पड़ता है.

उदाहरण के लिए, यदि सतारा से सांगली माल पहुंचाने के बाद वाहन को सतारा के लिए लौटते समय सांगली से ढुलाई के लिए माल नहीं मिलता है तो उन्हें लगभग 125 किलोमीटर की दूरी के हिसाब से नुकसान होगा. इसी तरह, यदि सतारा से मुंबई माल पहुंचाने के बाद वाहन को सतारा के लिए लौटते समय मुंबई से ढुलाई के लिए माल नहीं मिलता है तो उन्हें लगभग 260 किलोमीटर की दूरी के हिसाब से नुकसान उठाना होगा.

केस-1

सतारा से मुंबई मालवाहन किराया अब प्रति टन 17 हजार रूपए

मालवाहन के मालिक अमोल शिंदे लॉकडाउन के पहले सतारा से मुंबई के बीच 10 टन माल की ढुलाई के लिए सामान्यत: 9 से 10 हजार रूपए किराया हासिल करते थे. उनके मुताबिक इन दिनों कई उद्योग व व्यवसाय मंद पड़ने से उन्हें सामान्य दिनों की तरह मुंबई से लौटते समय ढुलाई के लिए माल नहीं मिल रहा है.

वे कहते हैं, ‘ऐसी हालत में हम किराया बढ़ाने के लिए मजबूर हैं. इसलिए, मुंबई से सतारा लौटते समय ढुलाई का माल नहीं मिले तो 10 टन माल के लिए मालवाहन का किराया 17 हजार रूपए की दर पर भेज रहे हैं.’

केस-2

नवी मुंबई से दक्षिण मुंबई शक्कर की एक बोरी की ढुलाई अब 20 से 30 रूपए ज्यादा

लॉकडाउन के पहले नवी मुंबई से वरली और दक्षिण मुंबई के कई इलाकों में मालवाहन से शक्कर पहुंचाई जाने के लिए ड्राइवर हर एक बोरी पर सामान्यत: 50 रुपए वसूलते थे. लेकिन, अब वे शक्कर की हर एक बोरी पर सामान्यत: 70 से 80 रूपए ले रहे हैं.

इस बारे में एक मालवाहक के मालिक सुरेश खोसला बताते हैं कि माल में ढुलाई की दर बढ़ाने के पीछे वजह यह है कि कोरोना के डर से कई मजदूर शहर में इधर-उधर चले गए हैं, जबकि कई मजदूर शहर से बाहर चले गए हैं. ऐसे में उन्हें ढुलाई के काम के लिए मजदूर ढूंढ़ने पड़ रहे हैं. अब मजदूरों को काम के लिए राजी कराना पड़ रहा है. वे उन्हें पहले से थोड़ी ज्यादा मजदूरी दे रहे हैं. इससे ढुलाई की कीमत बढ़ गई है.

वे कहते हैं, ‘कई बार कम मजदूर रहते हैं. इससे पूरा काम होने में अधिक समय खर्च होता है. ऐसे में ड्राइवर और उनके साथी मजदूरी करते हैं और मजदूरी के तौर पर अधिक पैसे मांगते हैं.’

केस-3

मुंबई से दिल्ली माल भेजने पर अब प्रति 25 टन 95 हजार रूपए किराया

लॉकडाउन से पहले मुंबई से दिल्ली मालवाहन से माल भेजने पर सामान्यत: प्रति 25 टन पर 75 हजार रुपए किराया लिया जाता था. लेकिन, अब 25 टन पर सामान्यत: 95 हजार रुपए किराया लिया जा रहा है.

इसका एक प्रमुख कारण यह है कि इस समय लगभग 25 फीसदी वाहन ही एक राज्य से दूसरे राज्यों की सीमाओं को पार करके आ-जा रहे हैं.

मुंबई में इस काम से जुड़े एक ड्राइवर गजानन मोरे बताते हैं कि अनेक ट्रक कई स्थानों पर अभी भी फंसे हुए हैं. वहीं, आजकल मैकेनिक भी नहीं मिल रहे हैं. इससे कई ट्रकों को दुरुस्त करने के काम में बाधा आ गई है. इसलिए माल ढुलाई के लिए वाहनों की कमी पड़ गई है.


यह भी पढ़ें: कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए महाराष्ट्र का लातूर बना मास्क आपूर्ति का केंद्र, महिला स्व-सहायता समूहों ने संभाला मोर्चा


वे कहते हैं, ‘माल ढोने के काम में ड्राइवर भी बहुत मुश्किल से राजी हो रहे हैं. कारण, मुंबई से दिल्ली पहुंचने और लौटने की बात सोचकर अब ड्राइवरों को भी डर लगता है. रोग तो अपनी जगह है ही, पुलिस की सख्ती और जगह-जगह लोकल पब्लिक के रोकने का भी डर लग रहा है. राज्य के भीतर जिले की सीमाएं सील हैं. इसलिए, ढुलाई की अनुमति के बाद भी ड्राइवरों को दिल्ली दूर ही लग रही है.’

किसी जगह पर वाहन कई दिन खड़े नहीं रख सकते

बॉम्बे गुडस एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक राजगुरु उदाहरण देकर बताते हैं कि पिछले दिनों एक मालवाहन से पशुओं का चारा मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर गुजरात के वलसाड भेजा गया था. लेकिन, वलसाड में दो-तीन दिनों तक वाहन से चारा उतारने के लिए मजदूर नहीं मिले. इसलिए, वहां से वाहन खाली माल लौटाना पड़ा. लौटने का किराया भी नहीं मिला और कई दिन वाहन से कोई काम भी नहीं ले सके.

वे कहते हैं, ‘कई वाहन मालिक मालवाहन बंद रहने के बावजूद वाहन का अच्छी तरह से रख-रखाव चाहते हैं. साथ ही, बेकार होने के बाद भी वे किसी तरह ड्राइवरों को पेमेंट कर रहे हैं.’

अंत में, इस बारे में आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बल मिल्कीत सिंह कहते हैं, ‘लौटने का भाड़ा नहीं मिल रहा है. इसलिए, मालवाहन की ढुलाई मंहगी पड़ रही है. नुकसान से निकलने के लिए हमारे पास कोई विकल्प नहीं है.’

(शिरीष खरे शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं और लेखक हैं)

share & View comments