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Friday, 26 April, 2024
होमदेशकोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए महाराष्ट्र का लातूर बना मास्क आपूर्ति का केंद्र, महिला स्व-सहायता समूहों ने संभाला मोर्चा

कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए महाराष्ट्र का लातूर बना मास्क आपूर्ति का केंद्र, महिला स्व-सहायता समूहों ने संभाला मोर्चा

कर्नाटक के कई सामाजिक संगठनों ने लातूर की महिला स्व-सहायता समूहों से संपर्क करके मास्क मांगे हैं. इसके तहत यहां के महिला समूहों ने कर्नाटक में अब तक 65 हजार मास्क पहुंचाए हैं.

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पुणे: देश में कोरोनावायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप झेल रहे महाराष्ट्र में लातूर जिले की महिलाओं ने इस संकट के दौरान एक नई पहल शुरू की है.

इसके तहत जिले के महिला स्व-सहायता समूह लाखों की संख्या में मास्क तैयार कर रहे हैं. यह निर्णय उन्होंने राज्य में मास्क की बढ़ती मांग को देखते हुए लिया है.

महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लातूर जिले के महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार मास्कों की मांग पड़ोसी राज्य कर्नाटक के कई जिलों से आ रही है. लातूर जिले की इन महिलाओं ने अब तक करीब 4 लाख मास्क तैयार किए हैं. इनमें 65 हजार मास्क कर्नाटक भेजे गए हैं.

बता दें कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र के कई शहरों में मास्क पहनना अनिवार्य हो गया है. राज्य के औरंगाबाद जिले में मास्क न पहनने वाले 92 लोगों से 46 हजार रूपए का जुर्माना वसूल किया जा चुका है. वहीं, राज्य में मास्क की कालाबाजारी रोकने के लिए प्रशासन द्वारा जगह-जगह छपामारी की जा रही है. इसके तहत, पिछले दिनों मुंबई में अंधेरी और भिवंडी इलाकों में स्थित गोदामों में 25 लाख के मास्क बरामद हुए थे और 4 लोगों को हिरासत में लिया गया था. दूसरी तरफ, लातूर जिले में स्व-सहायता समूहों द्वारा मास्क की कमी को दूर करने से राज्य सरकार को राहत मिली है.

लातूर जिले के अंतर्गत निलंगा तहसील में शिव-पार्वती महिला स्व-सहायता समूह भी मास्क बनाने में बढ़-चढ़ कर शामिल है. इस समूह की सदस्या भाग्यश्री मुगले कहती हैं, ‘निलंगा तहसील में 15 से 20 गांव की महिलाएं मास्क बनाने की गतिविधि से जुड़ी हैं. हम इस काम के लिए अन्य महिलाओं को भी जोड़ रहे हैं.’

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इसके बाद, इन महिला स्व-सहायता समूहों से बड़ी संख्या में मास्क तैयार करने की मांग बढ़ रही है. वहीं, संकट के इस दौर में लातूर की कई महिलाओं को भी घर पर ही रोजगार प्राप्त हो रहा है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में मास्क बनाने के मामले में लातूर जिला सबसे आगे चल रहा है. यहां से राज्य के अन्य जिलों में भी मास्क की आपूर्ति की जा रही है.

भाग्यश्री मुगले बताती हैं, ‘स्व-सहायता समूहों से जुड़ी नई महिलाओं को वीडियो के माध्यम से मास्क बनाना सिखा रहे हैं. यूट्यूब के लिंक भेज रहे हैं. जिले में हजारों की संख्या में महिलाओं को मास्क तैयार करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.’

राज्य में दिनोंदिन मास्क की मांग बढ़ने के कारण इन दिनों लातूर जिले में 63 महिला स्व-सहायता समूह मास्क बनाने में जुटी हुई हैं. ये समूह अधिक से अधिक मास्क बनाने के लिए बड़ी संख्या में महिलाओं को जोड़ रही हैं. इससे लॉकडाउन के कारण जहां कई व्यवसायिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, वहीं लातूर के ग्रामीण अंचल में खासी तादाद में महिलाओं को काम मिल रहा है.

दूसरी तरफ, जिला अधिकारी और कर्मचारी महिला स्व-सहायता समूहों की इस पहल को प्रोत्साहित कर रहे हैं और उनके मास्क को राज्य के अन्य भागों तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं.

बता दें कि लातूर जिले में अब तक 8 कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, नजदीकी जिले उस्मानाबाद में 4, सोलापुर में 2 और सांगली में 26 प्रकरण उजागर हुए हैं.

लातूर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संतोष जोशी का कहना है, ‘कोरोना संकट में लॉकडाउन के बाद जिले की कई महिला स्व-सहायता समूह द्वारा बनाए जा रहे मास्क आजीविका का साधन बन गए हैं. इन मास्क की गुणवत्ता अच्छी है तभी इनकी मांग बढ़ रही है. हमारे लिए यह बड़ी बात है कि संकट के इस दौर लातूर की महिलाएं इस तरह से अपना सहयोग दे रही हैं और पूरे राज्य में लातूर मास्क आपूर्ति का मुख्य केंद्र बन गया है.’


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इस तरह, लातूर के 63 महिला स्व-सहायता समूहों ने मास्क बनाने की सामाजिक-आर्थिक गतिविधि से अब तक 40 से 60 लाख रूपए से अधिक का कारोबार कर लिया है. क्योंकि, इन महिला स्व-सहायता समूहों ने अब तक करीब 4 लाख मास्क बेचे हैं. कोई महिला समूह एक मास्क को 10 रुपए तो कोई 15 रूपए की दर से बेच रहा है.

राज्य का लातूर जिला कर्नाटक की सीमा से लगा है. इसलिए, महाराष्ट्र की सीमा से लगे कर्नाटक के कई गांवों के लिए भी जिले की महिलाएं मास्क तैयार कर रही हैं. कर्नाटक के कई सामाजिक संगठनों ने लातूर की महिला स्व-सहायता समूहों से संपर्क करके मास्क मांगे हैं. इसके तहत यहां के महिला समूहों ने कर्नाटक में अब तक 65 हजार मास्क पहुंचाए हैं. इससे इन समूहों को करीब 8 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं.

(शिरीष खरे शिक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं और लेखक हैं)

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